आशा लकड़ा : लोहरदगा के लिए है मजबूत दावेदारी
विष्णुकांत मिश्र
05 जनवरी 2024
Ranchi : उसी कालेज में पढ़ाई करते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (All India Student Council) से जुड़ गयीं. फिर ज्ञान, शील और एकता की भावना को आत्मसात कर आत्मविश्वास से भरे चरित्र का निर्माण किया.2005 से 2010 तक रांची विश्वविद्यालय में विद्यार्थी परिषद की संगठन मंत्री रहीं. उसके बाद भाजपा के लिए समर्पित हो गयीं. विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग से उन्होंने बीएड किया. रांची विश्वविद्यालय से एमए और फिर पीएचडी भी. आदिवासी समाज (Tribal Society) की महिलाओं में ऐसी विद्वता के उदाहरण गिने-चुने ही होंगे.
सुहाग उजड़ गया
विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री रहते अप्रैल 2010 में राजेन्द्र कुमार धान से उनकी शादी हो गयी. आशा लकड़ा (Asha Lakda) खुद भाजपाई और पति कांग्रेसी! मूल रूप से व्यवसायी रहे राजेन्द्र कुमार धान मांडर के पूर्व कांग्रेस विधायक देवकुमार धान के छोटे भाई थे. वह भी कांग्रेस की राजनीति करते थे. कांग्रेसी परिवार में भाजपाई महिला की शादी की तब खूब चर्चा हुई थी. दुर्भाग्य ऐसा कि शादी के दो साल भी नहीं बीते कि उनका सुहाग उजड़ गया. 25 अप्रैल 2012 को उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आफ इंडिया (पीएलएफआई) से जुड़े नक्सलियों ने लापुंग थाना क्षेत्र के छुपाटोली में राजेन्द्र कुमार धान (Rajendra Kumar Dhaan) की हत्या कर दी.
हृदय विदीर्ण हो उठा
उस हादसे के वक्त आशा लकड़ा घर में नहीं थीं. जेठ देवकुमार धान एवं परिवार के अन्य कुछ सदस्यों के साथ रांची में फर्नीचर की खरीदारी कर रही थीं. उसी दरम्यान नक्सलियों ने उनके मोबाइल फोन पर पति की हत्या की सूचना दी. स्वाभाविक रूप से हृदय विदीर्ण हो उठा. ऐसा कि सामान्य होने में महीनों लग गये. तब वह भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय मंत्री थीं. संगठन की पश्चिम बंगाल और दिल्ली प्रदेश इकाइयों की सह-प्रभारी भी रहीं. उस कालखंड में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष थीं. पति की हत्या के सदमे में वह लंबे समय तक गहरे अवसाद में रहीं.
महापौर बन गयीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भाजपा (BJP) के नेताओं का संबल मिला, 2014 में फिर से राजनीति में सक्रिय हुईं. प्रथम प्रयास में ही रांची नगर निगम के उपचुनाव में महापौर निर्वाचित हो गयीं. इस जीत का दुहराव 2018 में भी हुआ. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की उम्मीदवार वर्षा गाड़ी के मंसूबों को उन्होंने तकरीबन 39 हजार मतों से धो दिया. खासियत यह कि उपचुनाव की तुलना में इस चुनाव में उन्हें चार गुणा अधिक मत प्राप्त हुए.
जेठा कच्छप पर लगा आरोप
आशा लकड़ा के पति राजेन्द्र कुमार धान की हत्या का आरोप पीएलएफआई के कुख्यात नक्सली जेठा कच्छप उर्फ जेठा नाग पर लगा था. 25 अप्रैल 2012 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर 04 अगस्त 2014 को जेठा कच्छप की गिरफ्तारी हुई. तुपुदाना क्षेत्र के चोरटंगा गांव में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में कमजोर पड़ जाने के बाद उसने हथियार डाल दिये थे. तीन लाख का यह ईनामी एरिया कमांडर जेल में बंद पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप का दाहिना हाथ है. उस पर 60 से अधिक संज्ञेय अपराधों के आरोप हैं.
कोई साक्ष्य नहीं मिला
कर्रा थाना क्षेत्र के डमरगडी गांव निवासी जेठा कच्छप ने गिरफ्तारी के बाद कबूल किया कि राजेन्द्र कुमार धान की हत्या उसी ने की थी. लेकिन, उसकी इस स्वीकारोक्ति का कोई साक्ष्य नहीं मिला. 04 जुलाई 2016 को अदालत में आशा लकड़ा की गवाही हुई. उन्होंने खुले तौर पर कहा कि उनके पति की हत्या किसने की और क्यों की, यह उन्हें नहीं मालूम. इस आधार पर रांची की अदालत ने 10 मई 2017 को जेठा कच्छप एवं तीन अन्य आरोपितों-गंगेश्वर उरांव, संदीप उरांव एवं शिवकुमार तिर्की को बाइज्जत बरी कर दिया.
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चार राज्यों का प्रभार
भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री के अलावा आशा लकड़ा प्रधान मंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के पांच राज्यों की प्रभारी और स्वाबलंबी भारत कार्यक्रम के चार राज्यों की प्रभारी हैं. यह उन पर नेतृत्व के भरोसा को प्रदर्शित करता है. इस आधार पर कयास लगाये जा रहे हैं कि 2024 के संसदीय चुनाव (Parliamentary Elections) में इन्हें लोहरदगा में अवसर उपलब्ध कराया जा सकता है. लोहरदगा से अभी सुदर्शन भगत भाजपा के सांसद हैं. लगातार तीन चुनावों में उनकी जीत हुई है. पार्टी नेतृत्व के स्तर से उम्मीदवारी में बदलाव का निर्णय हुआ तब प्राथमिकता आशा लकड़ा को मिल सकती है.
दावेदारी में है दम
वैसे, आस पूर्व आईपीएस अधिकारी डा. अरुण उरांव और उभरते आदिवासी नेता राज्यसभा सदस्य समीर उरांव ने भी लगा रखी है. समीर उरांव भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. विश्लेषकों के मुताबिक इन दनों की दावेदारी में भी दम है, पर आशा लकड़ा की संभावना इसलिए मजबूत दिखती है कि एक तो वह सक्षम-समर्थ महिला नेता हैं और दूसरी की पार्टी नेतृत्व ने भी झारखंड (Jharkhand) की बाबत उनसे बहुत कुछ उम्मीदें बांध रखी है.
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