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नजर लागी… : लग जा सकता है ग्रहण संसदीय राजनीति पर

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विष्णुकांत मिश्र
03 अगस्त 2023

Patna : अब मूल विषय पर. लालू परिवार (Lalu family) की बेनामी संपत्ति के जिन मामलों को लेकर राजनीति में तूफान उठा हुआ है, वे कोई नया नहीं हैं. सार्वजनिक रूप से इनके खुलासे की शुरुआत तकरीबन छह साल पूर्व 2017 में हुई थी. कुछ मामलों का उससे पहले भी. बाद के दिनों में इसका आकार और प्रकार बढ़ गया. इन खुलासों के आलोक में सीबीआई (CBI), आयकर विभाग (Income tax department) और ईडी (ED) की रुक-रुक कर हो रही कार्रवाई ने लालू-राबड़ी परिवार के संकट को बहुआयामी बना दिया है. अद्यतन कार्रवाई में ईडी ने दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कालोनी स्थित तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) के बहुचर्चित व बहुविवादित आलीशान बंगला समेत इस परिवार से जुड़ी छह संपत्ति जब्त कर लिया है. राजनीति महसूस कर रही है कि यह प्रकरण लालू प्रसाद (Lalu Prasad) को नयी कानूनी उलझनों में डाल दे सकता है तो राबड़ी देवी (Rabri Devi) एवं उनके पुत्रों व पुत्रियों की संसदीय राजनीति पर ग्रहण लगा दे सकता है.

बढ़ रहा संकट
सजायाफ्ता लालू प्रसाद जमानत पर हैं. किडनी प्रत्यारोपण के बाद सांसद पुत्री मीसा भारती (Misa Bharti) के नयी दिल्ली स्थित आवास पर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं. साथ में केन्द्र की घोर प्रतिकूल सत्ता को चुनौती देते हुए बिहार (Bihar) में विरासत संभाल रहे छोटे पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव की राजनीति को शान चढ़ा रहे हैं. इस सिलसिले में अब पटना भी आने-जाने और अपने अंदाज में बोलने लगे हैं. नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ विपक्षी एकजुटता के प्रयास का महत्वपूर्ण हिस्सा भी बने हुए हैं. पर, होटल घोटाला और नौकरी के बदले जमीन के मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज करायी गयी अलग-अलग प्राथमिकी, एक-दो मामलों में दाखिल अभियोग पत्र और कुछ संपत्ति की जब्ती ने उनके संकट को नये सिरे से बढ़ा दिया है. सबसे बड़ा संकट राबड़ी देवी, मीसा भारती, तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) और तेजस्वी प्रसाद यादव के भविष्य को लेकर है.

दुर्दिन का नया द्वार
रेलवे के होटल घोटाला को आईआरसीटीसी घोटाला (IRCTC Scam) के रूप में भी जाना जाता है. यह उस दौर का है जब लालू प्रसाद रेल मंत्री थे. एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के चारा घोटाले को लेकर लंबी फजीहत झेलने के बाद भी उत्कट परिवार मोह में घिरे लालू प्रसाद की नैतिक-अनैतिक तरीकों से पैसा बटोरने और वैध-अवैध संपत्ति अर्जित करने की प्रवृत्ति नहीं बदली, भूख नहीं मिटी. तृष्णा बनी रही. आमजन की ऐसी धारणा का एक बड़ा प्रमाण है यह कथित घोटाला, जिसने इस परिवार के दुर्दिन का नया द्वार खोल रखा है. कैसे और किसलिए हुआ यह घोटाला? कहानी कुछ यूं है.

जब सीबीआई का छापा पड़ा था अबु दोजाना के घर पर.

लीज में अनियमितता
लालू प्रसाद को मई 2004 में डा.मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) के नेतृत्व वाली संप्रग की सरकार में रेल मंत्रालय की जिम्मेवारी मिली थी. कार्यभार संभालने के आठ माह बाद फरवरी 2005 में रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे खान-पान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के रांची और पुरी स्थित बीएनआर होटलों को लीज पर देने का निर्णय किया. लीज पटना की सुजाता होटल्स (Sujata Hotels) नाम की कंपनी को मिली. आरोपों के मुताबिक लीज निर्धारण में अनियमितता हुई. टेंडर की शर्तों में ढील के रूप में. ऐसा कहा जाता है कि पहली टेंडर में सुजाता होटल्स उसके मानक पर खरा नहीं उतरी. शर्तें बदलकर दोबारा टेंडर निकाली गयी. दिसम्बर 2006 में लीज उसे मिल गयी.

लीज से पहले जमीन का खेल
सुजाता होटल्स कंपनी कोचर बंधुओं- हर्ष कोचर और विनय कोचर की है, जो पटना में चाणक्या होटल (Chanakya Hotel) चलाती है. लीज मिलने से पहले जमीन का खेल हो गया. आरोप उछले कि रांची और पुरी के होटलों की लीज के एवज में पटना के दानापुर में सगुना मोड़ के समीप लालू-राबड़ी परिवार को बेशकीमती तीन एकड़ जमीन मिली. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने तब जो जानकारी सार्वजनिक की थी उसके मुताबिक वह जमीन पहले सुजाता होटल्स की थी. पुरी और रांची (Ranchi) के होटलों को लीज पर देने का निर्णय होते ही सुजाता होटल्स ने उसे डिलाइट मार्केटिंग नाम की छोटी सी कंपनी को बेच दी, 01 करोड़ 47 लाख रुपये में.


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डिलाइट मार्केटिंग कंपनी
डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लालू प्रसाद के हरियाणा निवासी ‘अतिप्रिय’ सांसद प्रेमचंद्र गुप्ता (Premchandra Gupta), उनकी पत्नी सरला गुप्ता और पुत्र गौरव गुप्ता की थी. केन्द्र में सत्ता परिवर्तन के बाद डिलाइट मार्केटिंग कंपनी बिक गयी. उसके सारे शेयर लारा (लालू-राबड़ी) प्रोजेक्ट्स प्रा. लि. ने खरीद लिये. मात्र 64 लाख रुपये में. यहां सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी हो गयी कि 01 करोड़ 47 लाख रुपये में खरीदा गया भूखंड सिर्फ 64 लाख रुपये में बेच दिया गया? सुशील कुमार मोदी ने इसे कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट यानी व्यक्तिगत हितों से प्रभावित निर्णय बताया. बाजार दर से जमीन की कीमत 94 करोड़ रुपये होने की बात कही.

बिहार का सबसे बड़ा मॉल
उसी भूखंड पर कथित रूप से 750 करोड़ रुपये की लागत से लालू-राबड़ी परिवार का बिहार (Bihar) का सबसे बड़ा मॉल बन रहा था. राजद के ही तत्कालीन विधायक अबु दोजाना (Abu Dojana) की निर्माण कंपनी मेरीडियन कंस्ट्रक्शन (इंडिया) लि. बना रही थी, आधा-आधा की हिस्सेदारी पर. लारा प्रोजेक्ट्स प्रा.लि.के मालिकान राबड़ी देवी, तेजस्वी प्रसाद यादव हैं. तब औने-पौने में डिलाइट मार्केटिंग से भूखंड खरीदने के आरोप उछले थे. प्रेमचंद्र गुप्ता ने कानूनी तौर पर हालात को साफ किया था. कहा था कि डिलाइट मार्केटिंग की होटल व्यवसायी से जमीन की खरीदारी गैर कानूनी नहीं थी. इसी तरह लालू परिवार के सदस्यों की डिलाइट मार्केटिंग के शेयर की खरीदारी भी गलत नहीं थी.

स्वामित्व गलत नहीं
प्रेमचंद्र गुप्ता का यह भी कहना रहा कि लालू प्रसाद की पत्नी, पुत्रियों व पुत्रों को उसका डायरेक्टर बनाना और कंपनी पर उनका स्वामित्व होना भी गलत नहीं है. परन्तु, जांच में सीबीआई को संभवतः ये तमाम बातें बनावटी लगीं. फिर मामला भ्रष्टाचार तक सिमटा नहीं रह गया. बेनामी संपत्ति, मनी लॉउंडरिंग, काला धन आदि से जुड़ गया. जांच के काम में ईडी का भी प्रवेश हो गया. सीबीआई और ईडी ने 2018 में भ्रष्टाचार एवं आपराधिक षड्यंत्र का मामला दर्ज किया. संबद्ध अदालत में अभियोग पत्र भी दाखिल हो गया. आरोपितों से पूछताछ, आवासों एवं अन्य ठिकानों पर छापा, तलाशी आदि का सिलसिला चल पड़ा. मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) का मामला दिल्ली के पटियाला हाउस स्थित ईडी की विशेष अदालत में चल रहा है. इस बीच लालू परिवार के लिए बड़ी राहत की बात रही कि 28 जनवरी 2019 को इस अदालत से राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव को नियमित जमानत मिल गयी.

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