मटिहानी और बोगो सिंह : फिसल गया मुद्दा हाथ से!
विनोद कर्ण
06 फरवरी 2025
Begusarai : गुप्ता-लखमिनिया बांध प्रायः हर साल बाढ़ काल में सुर्खियों में रहता है. इसलिए कि गंगा नदी के उत्तरी किनारे का का यह बांध बरौनी औद्योगिक क्षेत्र (Barauni Industrial Area) और बेगूसराय शहर का सुरक्षा कवच है. बांध पर गंगा के पानी का दबाव (Ganga water pressure on the dam) बढ़ता है तो बाढ़ के खतरे को लेकर स्वाभाविक रूप से यह सुर्खियों में आ जाता है. यह तो है, लेकिन इसके सुर्खियों में रहने का एक और कारण है. वह है बांध और सड़क के चौड़ीकरण का मुद्दा जो चुनाव के वक्त मटिहानी विधानसभा क्षेत्र में गंगा के पानी की तरह हिलोरें मारने लगता है. यहां यह जान लेने की जरूरत है कि गंगा नदी (Ganga River) मटिहानी विधानसभा (Matihani Assembly) क्षेत्र के बीच से गुजरती है.
हो गयी राशि स्वीकृत
गुप्ता-लखमिनिया बांध (Gupta-Lakhminiya Dam) और सड़क के चौड़ीकरण का मुद्दा हर चुनाव में गर्म हो जाता है. 2025 के चुनाव को लेकर भी गर्म है, पर बिल्कुल बदले स्वरूप में. हुआ यह है कि नीतीश कुमार की सरकार (Nitish Kumar’s government) ने गुप्ता-लखमिनिया बांध के चकिया से बलिया (Chakia to Ballia) तक के 38 किलोमीटर वाले हिस्से के चौड़ीकरण और बाइपास सड़क (Bypass Road) के निर्माण को स्वीकृति प्रदान कर इस पर हो रही राजनीति को तात्कालिक तौर पर विराम लगा दिया है. इसके लिए 04 फरवरी 2025 को राज्य कैबिनेट की बैठक (Cabinet Meeting) में 393 करोड़ 62 लाख 04 हजार रुपये मंजूर भी कर दिये गये हैं.
नहीं छोड़ेंगे मैदान
विश्लेषकों की समझ में राज्य सरकार की इस पहल से मटिहानी के जदयू (JDU) विधायक राजकुमार सिंह (MLA Rajkumar Singh) की मुस्कान खिल उठी है, तो जदयू के ही पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार सिंह (Narendra Kumar Singh) उर्फ बोगो सिंह (Bogo Singh) मायूसी में घिर गये हैं. ऐसा इसलिए कि जदयू की उम्मीदवारी से नाउम्मीद बोगो सिंह ने 2025 में इसी को मुख्य मुद्दा बना निर्दलीय चुनावी बेड़ा पार लगा लेने का जो मंसूबा बांध रखा था, इस निर्णय से उस पर पानी फिर गया है. हालांकि, इससे बोगो सिंह हताश हो मैदान छोड़ देंगे, ऐसा सोचना-मानना मूर्खता होगी. परिणाम जो आये, बोगो सिंह चुनाव लड़ेंगे ही.
बोगो सिंह का भी है योगदान
वैसे, ऐसा भी नहीं है कि गुप्ता-लखमिनिया बांध के चौड़ीकरण और बाइपास सड़क के निर्माण के लिए बोगो सिंह ने कोई प्रयास नहीं किया. एनडीए के लोग इस निर्णय का श्रेय भले राजकुमार सिंह को दे रहे हैं, पर इसमें बोगो सिंह का योगदान भी कम नहीं रहा है. याद कीजिये, दीर्घकाल से महसूस की जा रही इस जरूरत को तत्कालीन क्षेत्रीय सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और मटिहानी के तब के निर्दलीय विधायक बोगो सिंह ने 2007 में नवोदय विद्यालय प्रांगण में आयोजित नीतीश कुमार की सभा में जोरदार तरीके से रखा था.
बीत गये सत्रह साल
नीतीश कुमार ने उसी सभा में गुप्ता-लखमिनिया बांध के चौड़ीकरण की घोषणा की थी. यह अलग बात है कि सत्रह साल बीत जाने के बाद भी उस पर अमल नहीं हुआ. स्वाभाविक रूप से लोगों की धारणा में वह घोषणा ‘डपोरशंखी ‘ के रूप में दर्ज हो गयी. पर, वह डपोरशंखी घोषणा नहीं थी, उस पर अमल में हुई तकनीकी गड़बड़ी ने इसे इस धारणा में डाल दिया. यह भी कह सकते हैं कि श्रेय बोगो सिंह को माथे नहीं मिलना था इसलिए वैसा हो गया. तकनीकी गड़बड़ी कैसे और किस रूप में हुई, उसकी प्राकल्लन से जुड़ी बड़ी दिलचस्प कहानी है.
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नहीं समझ पाये अधिकारी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बांध के चौड़ीकरण की घोषणा तो कर दी, पर ऐसा बांध के उत्तर में हो या दक्षिण में, इसका निर्धारण अधिकारियों-अभियंताओं के विवेक पर छोड़ दिया. अधिकरियों ने बांध के उत्तर चौड़ीकरण का प्राक्कलन बना दिया. तर्क यह कि दक्षिण यानी रिवर फ्रंट साइड में खाई अधिक है. भराई में ही अधिक पैसे लग जायेंगे. लेकिन, प्राक्कलन तैयार करने वालों की समझ में यह बात नहीं आयी कि उत्तर दिशा में चौड़ीकरण से तकरीबन सौ लोगों के घर हटाने पड़ते. उसके मुआवजे की रकम काफी हो जाती.
अब कोई अड़चन नहीं
हुआ वही, मुआवजे को लेकर बजट बढ़ गया, सरकार पीछे हट गयी. वैसे, जानकारों की मानें, तो फैसला वापस लेने का एक कारण प्रभावित होने वाले ग्रामीणों का प्रबल प्रतिरोध भी रहा. स्थानीय लोग बताते हैं कि बोगो सिंह को श्रेय नहीं मिल पाने का मलाल तो है, पर उसके लिए फिर उन्होंने कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किया. जदयू विधायक राजकुमार सिंह कहते हैं कि इस बार चौड़ीकरण का प्रस्ताव रिवर फ्रंट साइड से करने का दिया गया है. उस साइड में लोगों के घर नहीं के बराबर हैं. इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि गुप्ता-लखमिनिया बांध के चौड़ीकरण और बाइपास सड़क के निर्माण में अब कोई अड़चन पैदा नहीं होगी.
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