संवारता है संस्कार मंत्रोच्चार
तापमान लाइव डेस्क
03 जुलाई, 2022
मंत्र एक स्वतंत्र विज्ञान है, जो शब्दों (Words) पर निर्भर करता है. शास्त्रों (Shastron) में शब्दों को ब्रह्मा कहा गया है. शब्द ध्वनि से उत्पन्न तरंगों में अपार शक्ति (Shakti) होती है. पुराने समय में विज्ञान (Science) का अधिक विकास नहीं था. इसलिए इसका प्रयोग केवल शारीरिक, मानसिक और आत्मिक उन्नति के लिए ही किया जाता था. आधुनिक वैज्ञानिक (Scientist) इन ध्वनि तरंगों का प्रयोग अस्त्र-शस्त्रों में भी करने लगे हैं. वैज्ञानिकों ने इसका सफल परीक्षण (Examine) किया है और इससे शारीरिक रोग के साथ-साथ मानसिक रोगों से निजात पाने में भी लाभ प्राप्त हो रहा है.
भूलते जा रहे हैं लोग मंत्रों का प्रयोग
अब शब्द ध्वनि (Sound) के प्रयोग से सभी क्षेत्रों में लाभ प्राप्त किया जा रहा है. परंतु, आजकल इन मंत्रों (Mantron) को साधारण मानकर इनका प्रयोग करना बंद होता जा रहा है. पहले इन मंत्रों को पढ़ना और इसका ज्ञान रखना सभी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता था. आज इसे लोग भूलते जा रहे हैं. सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) में मंत्रों को मिलाने का उद्देश्य है कि व्यायाम से मिलने वाले लाभ की मात्रा इससे कई गुणा बढ़ जाती है. वैज्ञानिकों ने शरीर (Body) पर पड़ने वाले प्रणव (मंत्र) और बीज मंत्रों का अध्ययन किया है.
सूक्ष्म इन्द्रियों पर पड़ता है प्रभाव
मंत्र के उच्चारण से हृदय, मस्तिष्क, पेट और सभी सूक्ष्म इन्द्रियों पर प्रभाव पड़ता है. न्हू अक्षर से पेट, जिगर, तिल्ली (प्लीहा), आंतों और गर्भाशय (Uterus) पर दबाव पड़ता है, जिससे इन अंगों को शक्ति मिलती है. न्हें अक्षर से मलमार्ग (Sewage) के रोग दूर होते हैं. हौ से पेट (Abdomen) के रोग दूर होते हैं, पक्वाशय और आमाशय मजबूत होते हैं, मूत्राशय शुद्ध होता है और कब्ज (Constipation) दूर होता है. न्ह से अन्न नली को और फेफड़ों को शक्ति मिलती है.
शारीरिक स्वस्थता के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध
मंत्र के उच्चारण का शारीरिक स्वस्थता के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है. इस मंत्र से प्राप्त लाभों को भारतीयों (Indians) ने लाखों वर्ष पहले ही समझ लिया था और इससे लाभ प्राप्त करने के नियम बना दिये थे. सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) भी उनमें से एक क्रिया है. इसमें निम्न मंत्रों (Mantron) का उच्चारण प्रत्येक सूर्य नमस्कार के प्रथम आसन से पहले करना चाहिए.
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