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रोसड़ा और भाजपा : मुश्किल में डाल देगा यह मसला!

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विकास कुमार
31 मार्च 2025

SAMASTIPUR : विधानसभा चुनाव (Assembly elections) लगभग छह माह दूर है. समस्तीपुर (Samastipur) जिले के प्रमुख राजनीतिक केन्द्र रोसड़ा में उसकी गतिविधियां धीरे-धीरे परवान चढ़ रही हैं. साथ में रोसड़ा को जिला बनाने का मुद्दा भी नये सिरे से उठ रहा है. चुनावी चाहत रखने वालों ने क्षेत्र में अघोषित तौर पर जन-सम्पर्क अभियान शुरू कर दिया है. पर, अभी उनकी ऊर्जा मुख्य रूप से दल की उम्मीदवारी हासिल करने की जोड़तोड़ में खप रही है. उम्मीदवारी के लिए होड़ दोनों मुख्य गठबंधनों में है. एनडीए (NDA) में कम, महागठबंधन (Grand Alliance) में कुछ अधिक.

संभावना नहीं के बराबर
एनडीए में मारामारी इसलिए कम है कि यह सीट भाजपा के हिस्से में है और वीरेंद्र कुमार (Virendra Kumar) उसके विधायक (MLA) हैं. इस कारण बदलाव की संभावना नहीं के बराबर है. तब भी भाजपा (BJP) के संभावित उम्मीदवार के रूप में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. गुरु प्रकाश पासवान (Dr. Guru Prakash Paswan) एवं भाजपा से गहरे रूप से जुड़े उदयनाचार्य रोसड़ा कालेज, रोसड़ा (UR College, Rosra) के प्रो. (डा.) विनय कुमार पासवान (Dr. Vinay Kumar Paswan) के नामों की खूब चर्चा है. दावेदारी पूर्व विधायक मंजू हजारी (Manju Hazari) की भी हो सकती है. महागठबंधन में रस्साकस्सी अभी उम्मीदवारी के लिए नहीं, उसके घटक दलों-राजद (RJD) एवं कांग्रेस (Congress) में हिस्सेदारी के लिए है.


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विधायक भी दिखने लगे हैं
2020 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के हिस्से में थी. उम्मीदवारी नागेन्द्र कुमार विकल पासवान को मिली थी. भारी पराजय का मुंह देखना पड़ गया था. इस बार राजद इसे अपने हिस्से में रखना चाहता है. प्रयास सफल हुआ तब सत्यविंद पासवान की किस्मत चमक जा सकती है. क्या होता है क्या नहीं यह वक्त बतायेगा. एनडीए में भाजपा ने ठोस चुनावी तैयारी प्रारंभ कर दी है. पार्टी के नये जिला अध्यक्षों की ताजपोशी के बाद से ही इसका सांगठनिक कार्यक्रम रफ्तार में है. विधायक भी क्षेत्रीय लोगों के बीच दिखने लगे हैं.

दोहराव के प्रति संशय भी
कल तक उनके कार्यकलापों पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले भाजपाई इन दिनों वीरेन्द्र कुमार की उम्मीदवारी एवं जीत के लिए एक पांव पर खड़े दिख रहे हैं. यह देख-सुन लोग चकित हैं कि कल तक विधायक वीरेन्द्र कुमार पर कुछ खास लोगों से घिरे रहने का आरोप मढ़ने और ‘भोजखौका’ कहनेवाले भाजपाई अब उनकी उपलब्ध्यिों का बखान करते अघा नहीं रहे हैं. इन सब के बावजूद आमजनों के बीच उनकी छवि सुधर नहीं पायी है. इस आधार पर उनके दोहराव के प्रति संशय भी है. सड़क- पुल-पुलिया, विद्यालय भवन आदि के निर्माण एवं जीर्णाेद्धार के अलावा विधायक द्वारा ऐसा कोई खास कार्य किये-कराया गया है जिससेे कि लोग उनके प्रति आकर्षित हों. ग्रामीण सड़कों, पुल-पुलियों एवं विद्यालय भवनों के निर्माण व जीर्णाेद्धार को लोग सामान्य की श्रेणी में रखते हैं.

जिला बनाने का मुद्दा
दिलचस्प बात यह कि विधायक वीरेन्द्र कुमार की जो तथाकथित उपलब्धियां हैं, क्षेत्रीय सांसद शांभवी चौधरी (Shambhavi Chaudhary) द्वारा भी उन योजनाओं को अपना वादा पूरा करने के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है. महत्वपूर्ण बात यह कि रोसड़ा को जिला बनाने का मुद्दा भी वीरेन्द्र कुमार के लिए परेशानी का सबब बनता दिख रहा है. सामान्य धारणा है कि इस चिर प्रतीक्षित मामले में विधायक ने गंभीरता नहीं, सिर्फ औपचारिकता निभायी है. जिला गठन के मामले में भाजपा की पूर्व विधायक मंजू हजारी के प्रयास से लोग तुलना करते हैं तो वीरेन्द्र कुमार के खाते में शून्य नजर आता है. यह शून्य उनकी चुनावी सेहत बिगाड़ दे, तो वह अचरज की कोई बात नहीं होगी.

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