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भाजपा : मिथिला राज्य की मांग, कर न दे हलकान

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राजकिशोर सिंह
31मार्च 2025
Patna : मैथिली (Maithili) को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाना, संविधान के मैथिली संस्करण का प्रकाशन और मखाना बोर्ड (Makhana Board) के गठन की घोषणा को तो भाजपा (BJP) भावनात्मक मुद्दे के तौर पर परोसती ही है, पार्टी नेतृत्व का मिथिलांचल (Mithilanchal) के प्रति अतिरिक्त अनुराग बिहार मंत्रिमंडल (Cabinet) के विस्तार में भी दिखा. इस राज्य में लम्बे समय से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में एनडीए (NDA) की सरकार है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के हाल के बिहार दौरा के ठीक दूसरे दिन राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. सात नये मंत्रियों को शपथ दिलायी गयी. राजनीति यह देख हैरान रह गयी कि शपथ लेने वाले सातो मंत्री भाजपा के थे. इनके शामिल होने से नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में भाजपा के मंत्रियों की संख्या 21 हो गयी है जो मुख्यमंत्री समेत जदयू (JDU) के 13 मंत्रियों से 08 अधिक है. ऐसा पहली बार हुआ है. 36 सदस्यीय मंत्रिमंडल में एक ‘हम’ के और एक निर्दलीय सदस्य हैं.

भाजपा का दबदबा
राज्य में नीतीश कुमार की सरकार में मंत्रियों की बड़ी संख्या के रूप में भाजपा का दबदबा कायम हो जाना चकित करने वाली बात तो है ही, दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के इस निर्णय में भी मिथिलांचल को तरजीह मिली है. उसने जो सात नये मंत्री बनाये हैं उनमें तीन मिथिलांचल के हैं. नीतीश कुमार की सरकार में मिथिलांचल से भाजपा के छह मंत्री हैं. उनमें सर्वाधिक चार दरभंगा (Darbhanga) जिले से हैं. मंत्रिमंडल के विस्तार में जातीय समीकरण का खास ख्याल रखा गया है. मारवाड़ी वैश्य समाज के संजय सरावगी (Sanjay Saraogi) लंबे समय से दरभंगा शहर से विधायक हैं. वैश्य समाज को थोड़े बहुत भटकाव के बावजूद भाजपा समर्थक सामाजिक समूह माना जाता है.

सवर्ण समाज को भी संतुष्ट कर दिया
लिहाजा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वैश्य समाज से मंत्री बनाकर भाजपा ने यह संदेश दिया है कि उसे इस समाज का ख्याल पूर्व जैसा ही है. मंत्रिमंडल में जगह पाये मोतीलाल प्रसाद (Motilal Prasad) सीतामढ़ी (Sitamarhi) जिले के रीगा (Riga) से भाजपा के विधायक हैं. तेली जाति से आते हैं जो अत्यंत पिछड़ा वर्ग में सूचीबद्ध है. 2024 के संसदीय चुनाव में भाजपा के प्रति इस जाति में कुछ नाराजगी दिखी थी. मोतीलाल प्रसाद को मंत्री का पद देकर उस नाराजगी को दूर करने की कोशिश की गयी है. जाले (Jale) के ब्रह्मर्षि समाज के विधायक जीवेश कुमार मिश्र (Jeevesh Kumar Mishra) को मंत्री बनाकर भाजपा समर्थक सवर्ण समाज को भी संतुष्ट कर दिया गया है.


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दोगुना करने का लक्ष्य
दरभंगा को मिथिलांचल की राजधानी माना जाता है. इस अंचल में भाजपा को सुकूनदायक चुनावी जीत मिलती है. खासकर शहरी क्षेत्रों में. ग्रामीण क्षेत्रों में राजद और जदयू की पकड़ अब भी बनी हुई है. भाजपा की इस कवायद को उस पकड़ को तोड़ने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. वैसे तो दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी और समस्तीपुर जिलों को ही मूल मिथिलांचल माना जाता है, पर अब इसका दायरा बेगूसराय, सहरसा, सुपौल और मधेपुरा तक बढ़ा दिया गया है. इन जिलों में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं. इनमें सिर्फ 20 पर भाजपा काबिज है. इसे कम से कम दोगुना करने का उसका लक्ष्य है. 2020 में मूल मिथिलांचल की 38 सीटों में से 16 पर इसकी जीत हुई थी.

साध रही है भाजपा सामाजिक समीकरणों को
वर्तमान में विकास की सरकारी योजनाओं को लागू कराने के साथ-साथ भाजपा सामाजिक समीकरणों को भी साध रही है. इसी रणनीति के तहत मल्लाह समाज के हरि सहनी (Hari Sahani) को पहले विधान पार्षद, फिर विधान परिषद में विपक्ष के नेता और नीतीश कुमार की सरकार में उसने मंत्री बनवाया है. सफलता कितनी मिल रही है और कितनी मिलेगी, यह कहना फिलहाल कठिन है, भाजपा मल्लाह समाज के बीच हरि सहनी को महागठबंधन से जुड़े वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) के समानांतर उभारने का प्रयास कर रही है. केन्द्र सरकार द्वारा मखाना और मखाना की खेती को बढ़ावा देने के उपक्रम को भी इसी नजरिये से देखा जा रहा है.

मिल सकता है चुनावी लाभ
गौर करने वाली बात है कि मखाना की खेती से मल्लाह समाज के लोग बड़ी संख्या में जुड़े हुए हैं. सिर्फ मिथिलांचल में ही नहीं, सीमांचल (Seemanchal) में भी अब बड़े पैमाने पर इसकी खेती होने लगी है. मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा से ही नहीं, सीता माता (sita Mata) की प्राकट्य स्थली सीतामढ़ी में भव्य जानकी मंदिर, दरभंगा में एयरपोर्ट, एम्स, मेट्रो् रेल आदि योजनाओं से मिथिलांचल में भाजपा को चुनावी लाभ मिलने की संभावना से इनकार नहीं जा सकता है. वैसे, राबड़ी देवी ने अलग मिथिला राज्य की मांग उठा उसके मंसूबों में पलीता लगाने का उपक्रम कर दिया है. असर क्या पड़ता है, देखना दिलचस्प होगा.

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