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आरसीपी के बैनर से ललन-उपेंद्र गायब, पड़ गयी तकरार की नींव

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राजनीतिक विश्लेषक

08 अगस्त, 2021

 

पटना. राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की खबर के साथ जितनी शंकाएं जाहिर की गयी थीं, वह सब धीरे-धीरे सरजमीन पर उतरने लगी हैं. शुरुआत ललन सिंह के स्वागत समारोह में अनंत सिंह जिन्दाबाद के नारे से हुई. अगला अध्याय यह है कि केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह के स्वागत के लिए बनाये गये पहले बैनर से ललन सिंह की तस्वीर और नाम गायब है. ललन सिंह के लिए लाभ की स्थिति यह है कि उस बैनर में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. बैनर प्रदेश युवा जदयू के अध्यक्ष अभय कुशवाहा ने बनवाया है. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा कह रहे हैं कि ऐसा करने वालों पर कार्रवाई होगी.

कौन हैं अभय कुशवाहा

2015 में गया जिला के टेकारी से जदयू के टिकट पर विधायक बने अभय कुशवाहा को 2018 में युवा जदयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. उनकी चर्चा 2020 के विधानसभा चुनाव के पहले उस समय हुई, जब एक बार गर्ल के साथ उनके नाचने का वीडियो वायरल हुआ. इस वीडियो में अभय कुशवाहा बार गर्ल के साथ देर तक नाचते नजर आ रहे थे. रुपये भी लुटा रहे थे. खैर, वीडियो के आधार पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. तालमेल में टेकारी सीट ‘हम’ के खाते में चले जाने के कारण पिछले विधानसभा चुनाव में उनका क्षेत्र बदल

ललन सिंह और आरसीपी सिंह.

गया. जदयू ने उन्हें बेलागंज से उम्मीदवार बनाया, जहां उनकी हार हो गयी. भवन सामग्री के कारोबारी अभय कुशवाहा का राजनीतिक प्रवेश मुखिया के रूप में हुआ. अपने इलाके में असर भी है. उन्हें आरसीपी का बेहद करीबी माना जाता है. प्रदेश जदयू अध्यक्ष हाल में गया की यात्रा पर थे तो अभय कुशवाहा ने शानदार ढंग से उनका स्वागत किया.

स्वागत की जवाबी तैयारी

छह अगस्त को पटना में ललन सिंह का ऐतिहासिक स्वागत हुआ. राजनीतिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखने वाले लोग कहते हैं कि इतना जबरदस्त स्वागत किसी और राजनेता का नहीं हुआ था. अब आरसीपी के लोग 16 अगस्त को उनकी पटना यात्रा के समय भीड़ और गाड़ी के जुटान का नया रिकार्ड बनाना चाह रहे हैं. ऊपरी तौर पर कहा जा रहा है कि आरसीपी सिंह की बिहार यात्रा में कोई खास तामझाम नहीं होना है. लेकिन, अंदरूनी तौर पर ललन सिंह के स्वागत के रिकार्ड को तोड़ने की तैयारी चल रही है. ललन सिंह की यात्रा में आरसीपी सिंह के समर्थकों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. बदले में ललन सिंह के लोग भी ऐसा ही कर रहे हैं. सबकुछ ढंके तौर पर चल रहा था. अभय कुशवाहा के पोस्टर ने आरसीपी सिंह के समर्थकों के इरादे को खुलेआम कर दिया. अब तो 16 अगस्त को ही पता चलेगा कि ललन सिंह और आरसीपी सिंह में भीड़ जुटाने के मामले में कौन किस पर भारी पड़े.

अनंत सिंह जिन्दाबाद का नारा

ललन सिंह के स्वागत में बाहुबली विधायक अनंत सिंह जिन्दाबाद का नारा लगना आरसीपी समर्थकों को भा रहा है. इसे प्रचारित किया जा रहा है कि एक जाति विशेष के लोग दलीय सीमा से उपर उठ कर भीड़ बन कर आ गये थे. आरसीपी समर्थक इस घटना को जदयू पर एक जाति विशेष के कब्जे की रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं. हालांकि नारा लगाने वाला आदमी पेशेवर भीड़ का हिस्सा रहा है और वह उस वक्त भी ललन और अनंत के जिन्दाबाद का नारा लगाता था, जिस वक्त दोनों साथ थे. लेकिन, उस दिन वाला जिन्दाबाद ललन सिंह को नाराज कर गया.

ललन-उपेंद्र एक साथ

आगे क्या होगा, कहना मुश्किल है, फिर भी इतना तय हो गया कि जदयू की गुटीय राजनीति में ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा का एकसाथ रहना जरूरी है और मजबूरी भी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुखिया के रूप में दोनों गुटों के बीच रहेंगे. जहां तक जदयू संगठन पर असर का मामला है, आज की तारीख में आरसीपी इन दोनों पर भारी पड़ रहे हैं. क्योंकि प्रदेश संगठन और प्रकोष्ठों में आरसीपी ने अपने करीबी लोगों को बिठा दिया है. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी आरसीपी की ही पसंद हैं.

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