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दरभंगा : गिरेंगी बिजलियां कुछ अधिकारियों पर!

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सत्येन्द्र मिश्र
27 मार्च, 2023

DARBHANGA : गांव से शुरू हुआ यह मुद्दा प्रशासन (Administration) की अकड़ की वजह से अब इतना तूल पकड़ चुका है कि जिले के कुछ अधिकारियों पर मुख्य सूचना आयुक्त की गाज गिरना करीब-करीब तय माना जा रहा है. मामला कमतौल (Kamtaul) पंचायत (वर्तमान में कमतौल अहियारी नगर पंचायत) में विकास के कार्यों में हुए कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है. कमतौल के ही रहने वाले संजीव कुमार ठाकुर (Sanjiv Kumar Thakur) ने कुछ माह पूर्व इस अनियमितता की शिकायत जिला प्रशासन से की थी. उस आलोक में वरीय उपसमाहर्त्ता राहुल कुमार (Rahul Kumar) जांच के लिए कमतौल आये थे. संजीव कुमार ठाकुर ने पंचायत की मुखिया मंजू देवी (Manju Devi) के पति रंजीत ठाकुर (Ranjit Thakur) द्वारा जांच को प्रभावित करने की आशंका जतायी थी. अपने लोगों को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक कानून में फंसवा देने की बात कही थी. इसके मद्देनजर जांच के दौरान सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करने का अनुरोध किया था. स्थानीय प्रशासन ने उनके उस अनुरोध को नजरंदाज कर दिया. कमतौल के तत्कालीन थाना प्रभारी ने भी महत्व नहीं दिया.

पत्रकार से बदसलूकी
ऐसा कहा जाता है कि संजीव कुमार ठाकुर (Sanjiv Kumar Thakur) की यह मांग मुखिया पति रंजीत ठाकुर को नागवार गुजरा. आरोपों के मुताबिक जांच के लिए आये वरीय उपसमाहर्त्ता राहुल कुमार (Rahul Kumar) को भी यह पसंद नहीं आयी. लोग कहते हैं कि उन्होंने जांच की खानापूर्ति भर की. पुलिस (Police) को दी गयी सूचना के मुताबिक जांच अधिकारी के लौटते ही मुखिया (Mukhiya) पति रंजीत ठाकुर और उनके कुछ समर्थकों ने संजीव कुमार ठाकुर के साथ मारपीट की. उस वक्त वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर पांडेय (Vijay Shankar Pandey) भी वहां मौजूद थे. मुखिया पति एवं उनके लोगों की कथित हरकतों का उन्होंने मोबाइल फोन (Mobile Phone) से वीडियो क्लिप (Video Clip) बना लिया. रंजीत ठाकुर की नजर इस पर पड़ी तो उन्होंने पत्रकार (Journalist) से मोबाइल फोन छिनवा वीडियो क्लिप नष्ट करवा दिया.

प्राथमिकी दर्ज करा दी
मामला वहीं तक सिमटा नहीं रहा. संजीव कुमार ठाकुर, पत्रकार विजय शंकर पांडेय और होमियोपैथिक चिकित्सक (Homeopathic Doctor) डा. चित्तरंजन शर्मा (Dr. Chitranjan Sharma) के खिलाफ वार्ड संख्या 16 की वार्ड सदस्य रीता देवी (Reeta Devi) के पति नागेश्वर पासवान (Nageshwar Paswan) ने कमतौल (Kamtaul) थाने में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक कानून के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज करा दी. सूचना मिलने पर सभी आरोपित हैरान रह गये. बाद में संजीव कुमार ठाकुर की गिरफ्तारी हुई. अन्य दोनों आरोपितों को भी परेशानी झेलनी पड़ी. मामला फिलहाल अदालत (Court) में है. इधर, विकास योजनाओं में कथित अनियमितताओं की जांच करने वाले अधिकारी ने चुप्पी साध ली.

अब भी है रहस्य
जिला प्रशासन के सक्षम प्राधिकार के समक्ष उन्होंने जांच प्रतिवेदन सौंपा या नहीं. सौंपा तो उस पर कोई कार्रवाई हुई या नहीं, यह सब रहस्य बना हुआ है. गंभीर बात यह कि बार-बार के अनुरोध के बावजूद शिकायत कर्त्ता को जांच प्रतिवेदन की प्रति नहीं दी गयी. जबकि नियम कहता है कि उन्हें ऐसा करना चाहिये था. आवेदक सिर्फ जांच करने वाले अधिकारी (Officer) के यहां ही नहीं, उपविकास आयुक्त, जिलाधिकारी और प्रमंडलीय आयुक्त तक के यहां दौड़ लगाते रहे. कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. लोक सूचना अधिकार (Lok Suchana Adhikar) के तहत मांगी गयी सूचना को भी अनसुना कर दिया गया. सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी.

मुख्य सूचना आयुक्त को भी कर दिया अनसुना
हताश-निराश संजीव कुमार ठाकुर (Sanjiv Kumar Thakur) ने मुख्य सूचना आयुक्त, पटना का दरवाजा खटखटाया. इस कार्यालय से प्रथम अपीलीय प्राधिकार -सह- उपविकास आयुक्त, दरभंगा को 15 दिनों के अंदर आवेदक को सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश मिला. सूचना उपलब्ध कराने में विलंब का कारण भी पूछा गया. सुनवाई की अगली तारीख 23 मार्च 2023 निर्धारित की गयी. आवेदक संजीव कुमार ठाकुर द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक इस तारीख पर दरभंगा (Darbhanga) जिला प्रशासन का कोई भी संबंधित अधिकारी (Officer) उपस्थित नहीं हुआ. उधर, आवेदक को भी अपेक्षित सूचना नहीं उपलब्ध करायी गयी. इस पर मुख्य सूचना आयुक्त ने कड़ा रूख अख्तियार किया. जिलाधिकारी, मनरेगा (Manrega) के कार्यक्रम पदाधिकारी एवं दो अन्य संबद्ध अधिकारियों पर उसकी गाज गिर जाये, तो अचरज की कोई बात नहीं होगी.

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