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किसका इलाज करेंगे अब होम्योपैथी वाले डाक्टर!

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राजनीतिक विश्लेषक
10 अगस्त, 2021

पटना. राजनीति से जुड़े लोग सिर्फ जनसेवा ही नहीं करते हैं. समय-समय पर डाक्टरी भी करते हैं. राजनीति की भाषा में इसे इलाज करना कहते हैं. याद होगा, जद(यू) के एक बड़े नेता ने विधानसभा चुनाव के समय एक दबंग विधायक का होमियोपैथी पद्धति से इलाज कर दिया था. बेचारे विधायक जी जेल चले गये. खुद सुशासन बाबू भी कभी-कभी इलाज की चर्चा करते रहते हैं. वह आपको बतायेंगे कि उनके पिताजी वैद्य थे. मरीजों को पुड़िया में दवा देते थे. बचपन में सुशासन बाबू भी पुड़िया बांधते थे. ऐसा बांधते थे कि झटका से फेंकने पर भी वह खुलता नहीं था. उनके एक सहयोगी तो और बड़े डाक्टर निकले. बिना आपरेशन और एक्स-रे के बता दिया था कि सुशासन बाबू के पेट में कितना दांत है. यह अलग बात है कि राजनीतिक इलाज में डाक्टर और मरीज बदलता रहता है. आज जो डाक्टर है, कल मरीज हो जाता है. कुछ माह पहले होम्योपैथी वाले डाक्टर के इलाज की तैयारी चल रही थी. कुशवाहा जी को जद(यू) में लाना इलाज की तैयारी का ही हिस्सा था. कुशवाहा जी कभी सुशासन बाबू के बेहद करीबी थे. लेकिन, दल में जब होम्योपैथी डाक्टर साहब का दबदबा बढ़ा तो उन्होंने कुशवाहा जी का तबीयत से इलाज कर दिया. ऐसा इलाज कि ठीक दस साल बाद घर लौटने का होश आया. वक्त बदलने लगा. कुशवाहा जी डाक्टर की भूमिका में आ गये. अस्पताल तैयार होने लगा. यह नहीं पता चल पाया कि कुशवाहा जी किस पद्धति से इलाज करेंगे. क्योंकि पहली बार उनका उपयोग डाक्टर के तौर पर होने वाला था. बड़ी बात यह कि कुशवाहा जी की कम्पाउंडरी दादा कर रहे थे. दादा का भी मन भरा हुआ था. कह रहे थे कि तबीयत से इलाज करेंगे. इलाज की तैयारी से सुशासन बाबू खुश हो रहे थे. उन्हें लग रहा था कि आखिरी पारी में सभी मरीजों का इलाज हो जायेगा. सुशासन बाबू की तरह वक्त फिर ऐसा पलटी खाया कि होम्योपैथी वाले डाक्टर पूर्ण अधिकार पा इलाज करनेवाली हैसियत में पुनः आ गये. त्वरित इलाज भगवानजी का हो गया. कुशवाहा जी का क्या होता है, यह देखना दिलचस्प हो गया है. फिलहाल संबंध डाक्टर-कम्पाउंडर जैसा नजर आ रहा है.

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