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कहां चरित्तर चाचा और कहां भतीजा बिहारी!

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बांके बिहारी साव
05 अक्तूबर 2023

ड़े आदमी का खून भी जब गिरने लगता है तो उसकी कोई सीमा नहीं होती है. कहां चरित्तर चाचा और कहां भतीजा बिहारी! एक मंत्री की दलाली करने के लिए एक पार्टी से बिहारी ने पूरे एक लाख रुपये मांग दिये. पार्टी थी होशियार, सो उसने इसकी खबर एंटी करप्शन विभाग को कर दी और बिहारी रंगे हाथ पकड़ा गया. मामला यहीं नहीं रुका. उसके घर में ‘रेड’ हुई, तो पूरे पांच करोड़ रुपये मिले. सिर्फ पांच वर्षों में ही एक मामूली कार्यकर्त्ता के घर नगद पांच करोड़…! एक शानदार घर…!
यह समाचार फ्रंट पेज पर छपा था. समाचार पढ़ते ही चरित्तर चाचा और मनमोहिनी पागलों की तरह करने लगे. खबर का असर इतना पड़ा कि लूटन चाचा, खखरू चाचा और झगड़ू भैया फटाफट चरित्तर चाचा के घर पहुंच गये. उनके पहुंचने के कुछ देर बाद ही ‘बिहारी’ का पुतला लिये सैकड़ों की संख्या में लोग चरित्तर चाचा के घर के सामने आकर चिल्लाने लगे –
‘मनमोहिनी…’
‘हाय…हाय…’
‘बिहारी चोर है…!’
‘चोर है… चोर है…!’
‘चरित्तर चाचा…!’
‘हाय…हाय…!’

अखबार वाले तो ऐसे मौके की तलाश में रहते ही हैं, सो उनकी भी भीड़ जुट गयी. कैमरे का क्लिक दनादन बजने लगा. भीड़ एक बार फिर चिल्लायी – ‘चरित्तर चाचा…!’
‘बाहर निकलो…बाहर निकलो…!’
चरित्तर चाचा अपनी मंडली के साथ बाहर निकले. उनके चेहरे पर प्रायश्चित का कोई भाव नहीं था. भीड़ में से कोई बोला-
‘भ्रष्टाचार ने चरित्तर चाचा जैसे चरित्रवान आदमी को भी निर्लज्ज बना दिया.’
‘जिसका भतीजा बिना मंत्री बने ही करोड़पति हो गया, वह मंत्री बनकर कितना लूटेगा?’
‘अब मनमोहिनी भी रानी की तरह जियेगी.’

इतनी सारी बातें सुनकर भी चरित्तर चाचा मुस्कुरा रहे थे. इस मुस्कुराहट का मतलब उनकी मंडली भी नहीं समझ पा रही थी. लेकिन, वाह रे चरित्तर चाचा…! उन्होंने भीड़ के अगुवा से कहा – ‘तुम एक नाई बुलाओ!’
‘वह क्यों…?’ अगुवा ने पूछा.
‘मैं जो कह रहा हूं, वह करो…!’
‘चाचा की बात मानो.’ भीड़ में से किसी ने अगुवा को कहा.
तुरंत एक नाई बुलाया गया. चरित्तर
चाचा उसके सामने बैठ गये और बोले – ‘मेरा सर मुड़ो…!’

नाई बेचारा क्या करता? चरित्तर चाचा का ‘अदब’ तो पूरा शहर मानता था, फिर इस मामूली नाई की क्या औकात? वह बेचारा चरित्तर चाचा के पके उजले बालों को पानी से पूरी तरह भींगा कर ‘सफाचट’ कर रहा था. भीड़ का अगुवा और उसके पीछे खड़ी भीड़ ‘अकचका’ कर चरित्तर चाचा की करतूत देख रही थी. फिर चरित्तर चाचा ने अगुवा से कहा – ‘आग लाओ…!’
अगुवा ने विस्मित भाव से एक आदमी के हाथ से जल रहे मशाल लेकर चरित्तर चाचा की ओर बढ़ा दिया.
फिर चरित्तर चाचा बोले – ‘पुतला आगे करो…!’
पुतला आगे लाया गया, तो चरित्तर चाचा ने अपने हाथों उसमें आग लगायी और चिल्ला पड़े -‘चरित्तर मुर्दाबाद…!’

चरित्तर चाचा के इस नारे के प्रत्युत्तर में भीड़ पूरी तरह शांत थी. लेकिन, कवियाठ, जिसका बेटा अपने ऑफिस में घूस लेते हुए पकड़ाया था, ने ताना मारा – ‘लेकिन मनमोहिनी भौजी तो बाहर नहीं आयीं?’
खखरू चाचा को यह प्रश्न नागवार गुजरा. उन्होंने तपाक से उत्तर दिया-‘तुम जब किसी चोर मंत्री के विरोध में नारे लगाते हो, तो उसकी पत्नी बाहर आती है क्या?’
लेकिन, चरित्तर चाचा खखरू चाचा को शांत रहने का ईशारा करते हुए बोले-‘वह भी आ रही है.’
मनमोहिनी सपाट मांग और सफेद कपड़े में जब बाहर आयी तो भीड़ सन्न रह गयी. वह भी बाहर निकलकर चिल्लाई-‘चरित्तर मुर्दाबाद…!’
इस बार भी भीड़ ने मुर्दाबाद के नारे नहीं लगाये, तो मनमोहिनी पुरजोर आवाज में बोली-‘मैं जब चरित्तर मुर्दाबाद के नारे लगा रही हूं, तो आप चुप क्यों हैं? इसका मतलब मैं आपको बताती हूं. ऐसा इसलिए कि मेरा पति चोर निकला, तो मैंने उन्हें मरा हुआ मान लिया. चरित्तर चाचा ने सर मुड़वाकर उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया. लेकिन, झंडा थामे अपने अगुवा से पूछिये कि मात्र दस वर्षों में इसने करोड़ों की संपत्ति कहां से अर्जित कर ली? इसका एक बेटा एक करोड़ रुपये डोनेशन देकर मेडिकल की पड़ाई कहां से कर रहा है? इसके दामाद की करोड़ों की राईस मिल कहां से आ गयी? अपनी छोटी बेटी की शादी में इसने एक करोड़ रुपये दहेज कहां से दिये?’

‘यह सब बहाना नहीं चलेगा. अपने पति के बारे में बताओ…’
तब मनमोहिनी बोली-‘मैंने तो मान लिया कि मेरा पति अपराधी है. मैंने तो यह भी मान लिया कि मैं आज से विधवा हो गयी. वैसे भी मैं उनसे कई वर्षों से अलग हूं. क्योंकि उन्होंने एक भ्रष्ट वंशवादी नेता को अपना गुरु बना लिया है. लेकिन, आप हैं कि एक भ्रष्ट आदमी के हाथ में अपना झंडा देकर भ्रष्टाचार से लड़ने चले हैं. बाप को चोर जानकर बेटा अलग हो गया. पति को चोर समझ कर मैं उनसे अलग हो गयी. और, आज उनके चाचा ने अपने भतीजे का अपराध देखकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया. इससे ज्यादा और आपको क्या चाहिये? अपने-अपने घर जाकर पत्नियों से पूछिये कि वे आपकी चोरी के पैसे पर कैसे नाचती हैं. अपनी औलाद से पूछिये कि वे आपके चोरी के धन पर कितनर निर्लज्जता से मौज कैसे करते हैं? आज बस इतना ही. हां, एक बात और… आप में से कोई यदि ईमानदार है तो वह मुझसे प्रश्न कर सकता है.’

मनमोहिनी का इतना कहना था कि पूरी भीड़ छंट गयी. प्रेस वाले भी मुंह बनाकर चले गये. फिर चरित्तर चाचा ने गर्व से मनमोहिनी की ओर देखा और बोले-
‘तुम्हारी जैसी बेटी पर मुझे गर्व है.’

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