तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

मोतिहारी और राधामोहन सिंह : काल न बन जाये उनकी यह सियासी चाल

शेयर करें:

चम्पारण में भाजपा के अंदर शह और मात का जो खेल चल रहा है, यह कहानी उसी की है. प्रस्तुत है तीन किस्तों की इस कहानी की पहली कड़ी:


कफील एकबाल
13 अप्रैल, 2023

MOTIHARI : ‘महाभारत’ के एक महत्वपूर्ण पात्र भीष्म पितामह (Bhishma Pitamah) बाणों की शैय्या पर पड़े-पड़े सोच रहे थे कि उनसे क्या पाप हो गया कि उन्हें इतना बड़ा कष्ट सहना पड़ रहा है. श्रीकृष्ण (Srikrishna) ने उन्हें उनके पाप का स्मरण करा प्रायश्चित का उपाय बता दिया. पूर्वी चंपारण के ‘भीष्म पितामह’ राधामोहन सिंह (Radhamohan Singh) राजनीति के रण में बाणों से जख्मी तो हुए हैं, बाणों की शैय्या पर अभी नहीं गये हैं. इसलिए प्रायश्चित की बात नहीं सोच संभवतः प्रतिशोध में सुलग रहे हैं. महाभारत (Mahabharat)के भीष्म पितामह की तरह इन पर भी बाण ‘अपनों’ ने चलाये हैं. किसी ‘शिखंडी’ को नहीं, सोशल मीडिया के एक तुच्छ तबके द्वारा ‘शातिर से समाजसेवी’ के रूप में ‘कायांतरित’ को आगे कर इतने तीखे तीर चलाये हैं कि वह अंदर ही अंदर तिलमिला-से गये हैं. राजनीति (Politics) उनकी तकलीफ को इस रूप में महसूस कर रही है कि अब तक के लंबे राजनीतिक जीवन में विरोधी दलों के नेताओं ने जो घाव नहीं दिये, उससे कहीं ज्यादा गहरी पीड़ा अपनों ने दे दी हैं. इन अपनों में भाजपा के सांसद, विधायक एवं स्थानीय नेताओं के शामिल रहने की बात कही जाती है.

वक्त वक्त की बात
इसे वक्त वक्त की ही बात कहेंगे कि जो शख्स इतने ताकतवर थे कि जिले के विधायकों की जीत-हार तय करते थे, आज की तारीख में इन अपनों के सामने इतने लाचार और बेबस हो गये हैं कि मोतिहारी शहर में अपने खासमखास को भी एक अदद जीत नहीं दिला पाये! एक समाज विशेष के अपनों ने ‘अभिमन्यु’ की तरह घेरकर उनके ही उम्मीदवार (Candidate) की जीत रोक दी. राधामोहन सिंह इन बातों से इत्तेफाक रखें या नहीं, उनके लिए यह पहला कसैला अनुभव है. महत्वपूर्ण बात यह भी कि उनके खासमखास की हार के रूप में हुए इस ‘मान-अभिमान मर्दन’ से अभी भले कहीं खुशी, कहीं गम हो, आने वाले वक्त में ‘अभिमन्यु हार’ के घातक परिणाम (Result) दिखेंगे, इस संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता. वैसा हुआ तो इसकी तपिश में किस नेता की राजनीति झुलस जायेगी और किसकी निखर जायेगी, यह अभी नहीं कहा जा सकता.

‘प्रौढ़ अहंकार’ बनाम ‘बचकाना अंदाज’
एक तरफ ‘प्रौढ़ अहंकार’ तो दूसरी तरफ जातिवाद (Casteism) की चासनी में लिपटा ‘बचकाना अंदाज’! पूर्वी चंपारण (East Champaran) की राजनीति में प्रभुत्व बनाये रखने और प्रभुत्व मिटा देने की अदृश्य जंग लंबे समय से चल रही है. शह और मात के इस खेल में ‘जड़ उखाड़ू भिड़ंत’ पहले जनवरी 2022 में जिला परिषद (Zila Parishad) के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष और फिर अप्रैल 2022 के विधान परिषद के चुनावों में दिखी. ‘अपनों’ की नजर में जिला परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव की तरह विधान परिषद के चुनाव में भी राधामोहन सिंह की भूमिका संदिग्ध रही. राजद (RJD) के बागी निर्दलीय स्वजातीय उम्मीदवार महेश्वर सिंह (Maheshwar Singh) का उन्होंने खुलकर साथ नहीं दिया, समर्थन की बात नहीं कही. मगर उनकी ‘रहस्यमयी चुप्पी’ ने महेश्वर सिंह की जीत का मार्ग प्रशस्त कर दिया. उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव में व्यस्तता को आधार बना ऐसी ही चुप्पी उन्होंने जिला परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव के वक्त साध ली थी. सीधे तौर पर उसका लाभ कांग्रेस से जुड़े शशिभूषण राय उर्फ गप्पू राय (Shashibhushan Ray urf Gappu Ray) की पत्नी ममता राय (Mamta Ray) को मिल गया और वह बड़े इत्मीनान से अध्यक्ष पद पर काबिज हो गयीं. ढाका के भाजपा विधायक पवन जायसवाल (Pawan Jaiswal) की पत्नी जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष प्रियंका जायसवाल (Priyanka Jaiswal) को अध्यक्ष पद की बात दूर, उपाध्यक्ष के चुनाव में भी मुंह की खानी पड़ गयी.


इन्हें भी पढ़ें :
जाति आधारित गणना : मंडल की राजनीति में कमंडल की माया!
‘गुदड़ी के लाल’ तूने कर दिया कमाल!


कतर दिये ‘फड़फड़ाते पंख’
उस वक्त यह चर्चा खूब हुई कि पवन जायसवाल के ‘फड़फड़ाते पंख’ को कतरने के ख्याल से राधामोहन सिंह ने ममता राय की अंदरुनी मदद की. उस चुनाव में लगभग अलग-थलग पड़ गये पवन जायसवाल (Pawan Jaiswal) ने भविष्य में हिसाब बराबर करने की बात कही थी. लेकिन, कुछ ही दिनों बाद विधान परिषद (MLC) के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता (Rajesh Kumar urf Bablu Gupta) का सहयोग-समर्थन करने के लिए वह राधामोहन सिंह द्वारा आयोजित बैठक में शामिल हुए. एक तरह से उसे उनका ‘समर्पण’ माना गया. पवन जायसवाल के उस ‘समर्पण’ का राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता को कोई लाभ नहीं मिला. जीत महेश्वर सिंह (Maheshwar Singh) की हुई. कांटे के मुकाबले में उन्होंने राजद प्रत्याशी पूर्व विधायक राजेश कुमार रौशन उर्फ बबलूदेव (Babludeo) को परास्त कर दिया. इसके पहले के चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज करने वाले भाजपा प्रत्याशी राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता तीसरे स्थान पर अटक गये.

अगली कड़ी : मोतिहारी: डा. संजय जासवाल हैं सूत्रधार ?

अपनी राय दें