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दबा कर बैठ गया शातिर साहब का मोटा माल!

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विशेष प्रतिनिधि
17 अगस्त 2023

Patna : साहब भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) के अधिकारी हैं. सुंदर, विनम्र और व्यवहार कुशल. वसूली के मामले में ये भी किसी मंत्री या किरानी बाबू की तरह पक्के हैं. किसकी मजाल कि बिना कुछ दिये, इनसे कुछ हासिल कर ले. इस काम में भी वह विनम्रता का उपयोग करते हैं. एसडीओ, डीएम, कमिश्नर, सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी से लेकर अपर मुख्य सचिव मतलब एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (Additional Chief Secretary) तक के लंबे सफर में इन्होंने कभी गरीबों को निराश नहीं किया. अपने गृह प्रदेश में बाग – बगीचा लगाये हुए हैं. अगर किसी गरीब ने गरीबी का दर्दनाक बखान कर दिया तो साहब का भावुक दिल पसीज जाता है.

किताब लिखने का कारोबार
ऐसे गरीबों को वह नर्सरी के लिए एक पेड़ के समतुल्य राशि (Equivalent Amount) देने के लिए कह कर काम कर देते हैं. उनके पास पढ़े – लिखे गरीबों के लिए भी समाधान है. साहब के घर में किताब लिखने का भी कारोबार होता है. अगर किसी पढ़े- लिखे गरीब ने दर्द भरा बयान दर्ज करा दिया तो साहब उससे कहते हैं-ये चार किताब आप खरीद लीजिये. बड़े काम की किताबें हैं. ज्ञान तो बाद में बढ़ेगा, अभी आपका काम हो जायेगा. किताब भी एमआरपी (MRP) से कम पर दे देते हैं. उनकी इन खूबियों की चर्चा हर उस जगह पर होती है, जहां कभी साहब पोस्टेड रहे हैं.

लुट गयी खलिहान में रखी फसल
विधि का विधान देखिये कि इधर दो साल से साहब का सितारा साथ नहीं दे रहा है. लगातार दूसरे साल भी तबादले की खेती पर पाला पड़ गया. पाला क्या पड़ा, समझ लीजिये कि खलिहान में रखी फसल लूट गयी. अब फसल जमा करने वाले मजदूर हर्जाना मांग रहे हैं. साहब कह रहे हैं कि धैर्य  (Patience) रखो. कुछ दिनों की बात है. जून का बदला दिसंबर में ले लेंगे. मगर, बिचौलिये मान नहीं रहे हैं. साहब राजनेता होते तो आसानी से फसल दबा कर बैठ जाते. सरकारी सेवा में हैं और बदनामी का डर अलग से है.


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अटैची लेकर गया सो‌ गया…
चलिये, यह छोटा मामला है. साहब का मोटा माल एक बिचौलिया दबा कर बैठ गया है. साहब आखिरी पारी खेल रहे हैं. एक दिन बैठे – बिठाये हिसाब लगा रहे थे कि किस विभाग में इस समय सबसे अधिक माल है. शोध के बाद पता चला कि पटना मेट्रो  (Patna Metro) को नियंत्रित करने वाले विभाग की प्रधानी मिल जाये तो फिर कमाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह विचार मन में आते ही उन्होंने बिचौलिए की खोज की. एक बड़ा बिचौलिया मिला. दावे के साथ कहा कि अभी अटैची भर कर दीजिये. अटैची लेकर जायेंगे , उधर से लेटर लेकर आ जाएंगे. अटैची जो गया, छह महीना से ज्यादा हो गया, अभी तक लेटर नहीं आया है.

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