नीरा : एक बूंद भी नहीं टपकी कभी इस संयंत्र से …
अंजुम परवेज
03 अगस्त, 2021
हाजीपुर. पांच-सवा पांच साल पहले बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई. उसके दायरे में ताड़ी भी आती, लेकिन राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के दबाव पर वह बंदी से बाहर रह गयी. उस वक्त जद(यू) की सहभागिता वाले महागठबंधन की सरकार थी और नीतीश कुमार ही उसके मुख्यमंत्री थे. चूंकि गठबंधन सरकार का प्रारंभिक दौर था और लालू प्रसाद की इच्छा थी इसलिए न चाहते हुए भी नीतीश कुमार ताड़ी को बंदीमुक्त रखने पर बाध्य हो गये. लेकिन, उसके साथ ही उन्होंने ताड़ी के उपयोग के लिए दूसरी योजना बना डाली ताकि सीधे तौर पर आमलोगों को पीने के लिए वह उपलब्ध नहीं हो.
योजना ताड़ी को नीरा के रूप में पिलाने की थी, प्रसंस्करित कर बाजार में बेचने की. इसके लिए और कुछ जगहों के अलावा हाजीपुर के औद्योगिक क्षेत्र में बहुत बड़ा नीरा प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित हुआ. पर, आधा दशक बीत जाने के बाद भी उससे कभी एक बूंद नीरा नहीं निकली. वर्तमान में स्थिति यह है कि संयंत्र परिसर में लंबी-लंबी घासें उग आयी हैं. सिर्फ सुरक्षाकर्मी ही वहां तैनात रहते हैं और कोई नही. सुरक्षाकर्मी का कहना रहा कि मौका-मुआयना करने कभी-कभार ही कोई साहब आते हैं. इसमें कभी उत्पादन शुरू भी होगा इसका कोई आसार नहीं दिख रहा है. नीरा मूल रूप से ताड़ी ही है. ताड़ और खजूर के पेड़ में सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच जो ताड़ी निकलता है उसे नीरा कहते हैं. बाजार में बेचने के लिए प्रसंस्करित किया जाता है.