भाजपा : मिथिला पर मेहरबान… चौड़ी होगी मुस्कान?
राजकिशोर सिंह
30 मार्च 2025
Patna : केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Stharaman) द्वारा लोकसभा (Lok Sabha) में बजट पेश किया जाना एक औपचारिकता थी. उसका निर्वहन हुआ. बजट में क्या था क्या नहीं , महत्व उसका था. इस दृष्टि से लगभग सभी वर्गों की उम्मीदें पूरी होती दिखीं. मध्य वर्ग को कुछ अधिक सुकून मिलता महसूस हुआ. यह सब तो हुआ, बजट प्रस्तुतीकरण के दरमियान जो दिखा या यूं कहें कि दिखलाया गया, उसका बिहार और विशेष कर मिथिलांचल (Mithilanchal) के लिए खास मायने-मतलब था. आमतौर पर ऐसा हर बार दिखता है कि बजट पेश करने के वक्त निर्मला सीतारमण का परिधान कुछ अलग तरह का होता है. आमतौर पर उसमें बजट की खासियत और प्राथमिकता की झलक दिख जाती है. इस बार भी उनका पहनावा कुछ खास किस्म का था.
दुलारी देवी का उपहार
हर किसी का ध्यान गया कि उन्होंने क्रीम कलर की सिल्क साड़ी और लाल ब्लाउज पहन रखी थीं. उस पर मधुबनी पेंटिंग (Madhubani Painting) की हुई थी. बजट में बिहार (Bihar) और मिथिलांचल को विशेष महत्व मिलने का वह स्पष्ट संकेत था. वैसा हुआ भी. उनकी साड़ी का भी अपना अलग महत्व था. निर्मला सीतारमण हाल में मधुबनी (Madhubani) आयी थीं तब वह साड़ी मधुबनी पेंटिंग की मिथिलांचल की मशहूर कलाकार पद्मश्री दुलारी देवी (Dulari Devi) ने उन्हें उपहार स्वरूप भेंट की थी. केन्द्रीय बजट में बिहार और मिथिलांचल के लिए इतने सारे प्रावधान हैं कि विपक्ष के कुछ नेता इसे ‘बिहार का बजट’ बताने से खुद को रोक नहीं पाये. और जो है सो तो है ही, मखाना बोर्ड की स्थापना के प्रावधान ने मिथिलांचल को मुग्ध कर दिया. मखाना मिथिला की संस्कृति से जुड़ा है. ‘पग-पग पोखरि माछ मखान, मधुर बोली मुख में पान’
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सदाशयता के पीछे चुनावी स्वार्थ
मिथिलांचल प्रफुल्लित तब भी हुआ जब अप्रत्याशित ढंग से रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) ने मधुबनी पेंटिंग से सज्जित साड़ी पहन दिल्ली (Delhi) के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके इस विशिष्ट पहनावे में दिल्ली के पूर्वांचली, खास कर बिहारी मूल के मतदाताओं के प्रति आभार का भाव तो था ही, मिथिलांचल का सम्मान भी था. इसमें दो मत नहीं कि नरेन्द्र मोदी की सरकार और भाजपा नेतृत्व की बिहार के प्रति इस सदाशयता के पीछे चुनावी स्वार्थ है. इसके बावजूद यह सराहनीय पहल है. इस कारण ही सही, कुछ विशेष तो हो रहा है इस राज्य में! बिहार विधानसभा सभा का चुनाव इसी साल अक्तूबर- नवम्बर में होना है.
धरी रह जायेगी तब रणनीति
भाजपा (BJP) की रणनीति जो हो, उसके प्रयासों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) ने ‘अलग मिथिला राज्य’ (Separate Mithila State) की मांग उठा उसे गहरी चिंता में डाल दिया है. मिथिला के प्रति भाजपा के इस अनुराग को इस चिंता से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार सिन्हा का मानना है कि ‘अलग मिथिला राज्य’ की मांग को राजद ने चुनाव का मुद्दा बना दिया तो भाजपा की रणनीति धरी की धरी रह जा सकती है. वैसे, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने खुले शब्दों में कहा है कि चुनाव के दौरान वह बिहार में जमेंगे. ऐसा उन्होंने गुजरात (Gujarat) के गांधीनगर (Gandhinagar) में 09 मार्च 2025 को आयोजित ‘शाश्वत मिथिला महोत्सव 2025’ में कहा. इस अवसर पर अमित शाह ने शाश्वत मिथिला भवन (Shashwat Mithila Bhavan) और महाकवि विद्यापति (great poet vidyapati) की प्रतिमा का अनावरण किया. गुजरात के विकास में बिहार, विशेषकर मिथिलांचलवासियों के योगदान को काफी अहम बताया.
अब सीता मंदिर पर जोर
मिथिलावासियों को मोहित करने के लिए अमित शाह ने सगर्व कहा कि अयोध्या (Ayodhya) में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो गया है. अब बिहार के सीतामढ़ी (Sitamarhi) में भव्य सीता मंदिर बनाया जायेगा. अमित शाह के इस बयान को मां सीता की जन्म भूमि में सीता मंदिर को अयोध्या के राम मंदिर जैसा मुद्दा बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. पुनौरा गांव (Punaura village) मां सीता की जन्मभूमि है जो सीतामढ़ी से तकरीबन पांच किलोमीटर दूर है. भाजपा इसे धर्मस्थल (religious place) के रूप में विकसित करना चाहती है, तो जदयू पर्यटन स्थल (tourist destination) के रूप में.
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