संस्कृत विश्वविद्यालय का अजीबोगरीब कारनामा
विजय शंकर पांडेय
05 अगस्त, 2021
दरभंगा़. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का एक अजीबोगरीब कारनामा सामने आया है. एक ही तरह की डिग्री और एक ही तरह के पद रहने के बाद भी वेतनमान अलग-अलग निर्धारित करने का. मामला शारीरिक शिक्षा अनुदेशक के पद से सेवानिवृत्त प्रमोद कुमार झा और मदन प्रसाद राय से जुड़ा है. ऐसा बताया जाता है कि दोनों शारीरिक शिक्षा में एक वर्षीय डिप्लोमाधारक हैं. उनके वेतनमान में विषमता इस रूप में है कि प्रमोद कुमार झा का वेतन डिप्लोमा आधारित है तो मदन प्रसाद राय का विश्वविद्यालय सेवा अनुदान आयोग निर्धारित. इसी वेतनमान के अनुसार दोनों को पेंशन मिल रही है. प्रमोद कुमार झा को तकरीबन 53 हजार तो मदन प्रसाद राय को एक लाख से भी अधिक. वेतनमान और पेंशन की राशि में इतना बड़ा अंतर आमलोगों की समझ से परे हैं. दिलचस्प बात यह कि मदन प्रसाद राय के वेतनमान के लिए विश्वविद्यालय की एक समिति बनी थी. उसी समिति ने ऐसी सिफारिश की थी. उस सिफारिश पर गंभीर सवाल खड़ा हुए थे. मदन प्रसाद राय को इस वेतनमान पर पेंशन पर आपत्ति महालेखा परीक्षक की अंकेक्षण रिपोर्ट में भी जतायी गयी थी, पूर्व में दी गयी राशि की वसूली का निर्देश दिया गया था. विश्वविद्यालय कार्यालय में भी कई स्तरों पर इस वेतनमान के विरुद्ध गंभीर टिप्पणी की गयी थी. इन सबको नजरंदाज कर विश्वविद्यालय की उक्त समिति ने इसी वेतनमान की सिफारिश कर दी. दरअसल, विश्वविद्यालय की ऐसी समितियों पर संदिग्ध आचरणों के आरोप अक्सर लगते रहते हैं. होता यह है कि इन समितियों के सदस्य आमतौर पर विभिन्न महाविद्यालयों से प्रतिनियोजन पर विश्वविद्यालय में आये शिक्षक ही होते हैं. विवादित मामलों में वे स्वार्थ साधने लग जाते हैं.
संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर कार्यरत विनय मिश्र का मामला भी बहुत कुछ ऐसा ही बताया जाता है. उनकी प्रोन्नति को अवैध कहा जा रहा है. एक समय विश्वविद्यालय ने भी शपथ पत्र और संबंधित साक्ष्यों के साथ इस प्रोन्नति को अदालत में गलत बताया था. इस मामले में अदालत का आदेश आया. आश्चर्यजनक ढंग से विश्वविद्यालय ने उसके विरुद्ध कोई अपील दायर नहीं की. यह दायित्व विधि पदाधिकारी का बनता था. लेकिन, उन्होंने कुछ नहीं किया. संभवतः इस वजह से कि वह खुद गलत तरीके से विश्वविद्यालय में प्रतिनियोजित हैं. आरोप तो यह भी है कि उन्होंने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सक्रियता दिखा कथित रूप से विनय मिश्र के करोड़ों के भुगतान का मार्ग प्रशस्त कर दिया.