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आखिरी मौका : नाकामयाब रहे इस बार भी तब ?

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विष्णुकांत मिश्र

11 जुलाई 2024

Gaya : इमामगंज के विधायक जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) गया से सांसद निर्वाचित हो गये हैं. इस कारण उन्होंने विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी‌ है. अब वहां उपचुनाव होगा. तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है. दो दिग्गज नेताओं में टक्कर की वजह से इमामगंज पिछले दो चुनावों से सुर्खियों में है. इस टक्कर की कथा काफी दिलचस्प है. इमामगंज से उदयनारायण चौधरी (Udayanarayan Chaudhary) चुनाव लड़ते थे. कभी निर्वाचित‌ होते थे‌ तो कभी हार भी जाते थे. पहली जीत उन्हें 1990 में मिली थी. दूसरे चुनाव यानी 1995 में रामस्वरूप राम से हार गये. 2000 में वापसी हुई तो 2015 तक काबिज रह गये. यानी 2005 के दोनों चुनावों के साथ 2010 के चुनाव में भी उनकी जीत हुई. लेकिन, उसके बाद से हाथ मल रहे हैं. 2015 और 2020 में उनकी लगातार हार हो गयी.

हिसाब बराबर करना था
जीतनराम मांझी पहले बाराचट्टी से चुनाव लड़ते थे और निर्वाचित भी होते थे. नये परिसीमन में भूगोल बदल गया तब 2010 में मखदमपुर के चुनावी अखाड़े में उतर गये. इस संवाद का रोचक हिस्सा यह है कि 2015 में उदयनारायण चौधरी को परास्त करने का खुला संकल्प लिये वह इमामगंज (Imamganj) के अखाड़े में कूद गये. खुन्नस यह कि उनके मुख्यमंत्रित्व काल में जदयू (JDU) में हुए सत्ता संग्राम में उदयनारायण चौधरी द्वारा निभायी गयी भूमिका में कथित रूप से उन्हें निष्पक्षता व पारदर्शिता नहीं दिखी थी. उदयनारायण चौधरी उस वक्त बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) के अध्यक्ष थे. इमामगंज में उसी का हिसाब बराबर करना था.

बड़े अंतर से हार गये
जीतनराम मांझी 2015 में उस मखदमपुर से भी अपनी पार्टी ‘ हम’ का उम्मीदवार (Candidate) बन गये थे, जहां से 2010 में जदयू उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुए थे. 2015 में जदयू महागठबंधन में था. मखदमपुर में जीतनराम मांझी की हार हो गयी. लेकिन, इमामगंज में उन्होंने अपने संकल्प के अनुरूप उदयनारायण चौधरी को धूल चटा दी. उदयनारायण चौधरी तब महागठबंधन में जदयू के उम्मीदवार थे. इसके बावजूद 29 हजार 408 मतों के बड़े अंतर से मुंह की खा गये. एनडीए के जीतनराम मांझी को मिले 79 हजार 389 मतों के मुकाबले उन्हें 49 हजार 981 मत ही मिल पाये थे. एनडीए में संभावना (Possibility) समाप्त देख 2020 में वह राजद में शामिल हो गये. इमामगंज से‌ उसका उम्मीदवार बन गये.

बेहतर अवसर‌ है उनके लिए
उस चुनाव में जीतनराम मांझी की जीत के मतों का अंतर कम जरूर हो गया, पर उदयनारायण चौधरी की हार का सिलसिला नहीं टूटा. 16 हजार 034 मतों से वह पिछड़ गये. जीतनराम मांझी के 78 हजार 762 मतों के मुकाबले उन्हें 62 हजार 728 मत प्राप्त हुए. विश्लेषकों (Analysts) की समझ में‌ उपचुनाव उनके लिए बेहतर अवसर है. इस रूप में कि प्रत्यक्ष रूप में जीतनराम मांझी उनके सामने नहीं होंगे. मैदान में उनका कोई नुमाइंदा होगा. ऐसे में राजद (RJD) की उम्मीदवारी मिलती है तो उदयनारायण चौधरी की किस्मत के बंद द्वार खुल जा सकते हैं.

हौसला बुलंद है राजद का
वैसे, पूर्व के चुनावों की तुलना में अभी का सामाजिक समीकरण (Social Equation) तो अनुकूल दिख ही रहा है, संसदीय चुनाव (Parliamentary Elections) में इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा (BJP) के पिछड़ ज़ाने से भी राजद का हौसला बुलंद है. इसका लाभ उन्हें मिल सकता है. इमामगंज विधानसभा क्षेत्र औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के तहत आता है. भाजपा प्रत्याशी सुशील कुमार सिंह (Sushil Kumar Singh) वहां 02 हजार 628 से पिछड़ गये. इतनी अनुकूलता के बाद भी इस बार राजद उम्मीदवार के तौर पर उदयनारायण चौधरी हार के क्रम को नहीं तोड़ पाते हैं तो फिर उनकी राजनीति (Politics) का क्या होगा, यह बताने की शायद जरूरत नहीं.

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