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जदयू : इसलिए उठ गया था गुस्से का गुबार?

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विकास कुमार
28 सितम्बर 2024

Patna : दूसरी कतार के किसी नेता की पार्टी की बैठक से संबंधित होर्डिंग में तस्वीर नहीं लगाया जाना, गुस्से का इतना बड़ा कारण हो सकता है क्या? सामान्य समझ (Common Sense) में इसका सीधा जवाब नहीं होगा. मतलब यह गुस्से का कारण नहीं हो सकता है. लेकिन, जदयू के वयोवृद्ध नेता ऊर्जा मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव (Vijendra Prasad Yadav) को कथित तौर पर उस दिन होर्डिंग में अपनी तस्वीर नहीं देख गुस्सा आ गया. तनी मनी नहीं, खूब आ गया. इतना कि जदयू (JDU) में नहीं रहने की बात तक उन्होंने कह डाली. हालांकि, कुछ ही क्षणों बाद उस गुस्से को उन्होंने मजाक में ढाल दिया.

कारण कुछ और था!
जो हो, गुस्सा तो उन्हें आया था. अब वह होर्डिंग में तस्वीर नहीं लगाये जाने की वजह से आया था या कारण कुछ और था, सवाल तो खड़ा होता ही है. इसलिए भी कि जदयू की वह कोई बड़ी बैठक नहीं थी, औपचारिक (Formal) संगठनात्मक बैठक थी. ऐसी बैठकों की होर्डिंग में दूसरी कतार के नेताओं की तस्वीर लगाने की पार्टी की परिपाटी भी शायद नहीं रही है. इसके बाद भी विजेन्द्र प्रसाद यादव को गुस्सा आ गया और बगैर नाम लिये वह बैठक में अशोक चौधरी (Ashok Chaudhary) पर बरस पड़े, तो उसका अवश्य कोई न कोई दूसरा कारण रहा होगा. इसलिए कि उस बैठक में अशोक चौधरी पर उनके बरसने का कोई तुक नहीं था.


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संबंध तो मधुर हैं ही
उनके विरोधियों का कहना है कि आय से अधिक संपत्ति (Disproportionate Assets) के आरोपों में घिरे आईएएस अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ कार्रवाई के राज्य सरकार के निर्णय से उठा वह गुबार था जिसे उन्होंने जदयू की संगठनात्मक बैठक (Organizational Meeting) में निकाल दिया. आधार जो माना जाये, लोग कहते हैं कि संजीव हंस से उनके संबंध पूर्व विधायक गुलाब यादव (Gulab Yadav) जितने प्रगाढ़ भले नहीं रहे हैं, मधुर तो हैं ही. करीब के लोग बताते हैं कि निकटता तब कायम हुई थी जब संजीव हंस ऊर्जा मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव के गृह जिला सुपौल (Supaul) के जिलाधिकारी थे.

टूट जा सकता है मिथक
इधर के वर्षों में संजीव हंस (Sanjeev Hans) ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव भी रहे. उनपर जो आरोप लगे हैं उनमें कथित रूप से ऊर्जा विभाग के कारनामें भी शामिल हैं. इससे आगे कुछ बताने की शायद जरूरत नहीं. वैसे, इस सच से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि विजेन्द्र प्रसाद यादव की छवि पाक साफ है. कहीं कोई दाग नहीं है. पर, विश्लेषकों का मानना है कि संजीव हंस के मामले में यह मिथक टूट जाये, तो वह अचरज (Surprise) की कोई बात नहीं होगी.

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