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आस्था पर आ गया तिरुमाला लड्डू का विवाद !

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तापमान लाइव ब्यूरो

30 सितम्बर 2024

New Delhi : तिरुपति मंदिर (Tirupati Temple) का लड्डू विवाद दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है. आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) से भगवान वेंकेटेश्वर मंदिर में प्रवेश करने से पहले आस्था घोषित करने वाले फार्म भरने को कहने से विवाद को विस्तार मिला है. वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री एन चन्द्रबाबू नायडू पर तिरुपति के लड्डुओं पर आरोप लगाकर कथित रूप से किये गये पाप का प्रायश्चित करने के राज्यव्यापी मंदिर अनुष्ठान के तहत भगवान वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर (Lord Venkateshwara Swamy Temple) जाने वाले थे. तेलगू देशम पार्टी, जनसेना पार्टी और भाजपा ने उनके इस मंदिर दौरे का विरोध किया. आस्था घोषित करने संबंधित फार्म भरने को कहा. इससे नाराज जगन मोहन रेड्डी ने मंदिर यात्रा रद्द कर दी.

चन्द्रबाबू नायडू ने अपमान किया

जगन मोहन रेड्डी ने सवाल उठाया कि वह अपने घर के अंदर बाइविल (Bible) पढ़ते हैं, लेकिन बाहर हिन्दू, इस्लाम और सिख धर्मों का सम्मान करते हैं. क्या लोग मेरे धर्म को नहीं जानते? तेलगू देशम पार्टी और उसके गठबंधन के नेताओं को हिम्मत कैसे हुई कि वे उनसे मंदिर न जाने के लिए कहें? उन्होंने आरोप मढ़ा कि तेलगू देशम पार्टी, जनसेना पार्टी और भाजपा (BJP) के नेता धर्म के नाम पर गंदी राजनीति (Dirty Politics) कर रहे हैं. चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने गलत आरोप उछाल कर भगवान वेंकेटेश्वर मंदिर और तिरुपति लड्डू की पवित्रता का अपमान किया है. इस विवाद (Controversy) का इस्तेमाल वह मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कर रहे हैं. तिरुमाला लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल की अफवाह फैला रहे हैं.

नियमों का पालन करने में दिक्कत क्या है?

दूसरी तरफ आस्था की घोषणा के संदर्भ में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पलटवार किया. कहा, ‘अगर जगन मोहन रेड्डी सभी धर्मों का सम्मान करते हैं तो यह क्यों पूछ रहे हैं कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले उन्हें अपनी आस्था की घोषणा (Declaration of Faith) क्यों करनी चाहिये, जबकि यह परंपरा और नियम है. क्या किसी ने उन्हें मंदिर जाने से रोका है. बस इतना ही कहा गया है कि मंदिर के नियमों और परिनियमों का पालन करें. इतने सारे प्रमुख व्यक्तियों ने घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर (Signature) किये हैं और बिना किसी हंगामे के मंदिर का दौरा किये हैं. जगन मोहन रेड्डी को तिरुमाला मंदिर के नियमों और परंपराओं का सम्मान करने में क्या दिक्कत है?’

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