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किरण मंडल : कौमुदी महोत्सव में बही कविता-धारा

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अश्विनी कुमार आलोक
18 अक्तूबर 2024

Hajipur : हाजीपुर में 77वें कौमुदी महोत्सव (Kaumudee Mahotsav) का सारस्वत आयोजन किया गया. यह आ‌योजन प्रतिष्ठित लेखक व समाजवादी चिंतक डा. व्रजकुमार पांडेय को समर्पित था. विषय प्रवेश कराते हुए किरण मंडल के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ रंगकर्मी क्षितिज प्रकाश ने किरण मंडल के सांस्कृतिक लक्ष्य, कौमुदी महोत्सव और डा. व्रजकुमार पांडेय के लेखकीय अवदानों को गंभीरता के साथ याद किया. कोषाध्यक्ष सरोज कुमार ने स्वागत भाषण किया. देवघर से पधारे वरिष्ठ कवि अनिल कुमार झा ने अध्यक्षता की और संचालन समस्तीपुर (Samastipur) के प्रतिष्ठित शायर और उद्घोषक इंतखाब आलम ने किया.

संस्कृति को वैचारिक बनाया
आकाशवाणी, पटना (Patna) की रेडियो साहित्यक पत्रिका ‘शतदल’ के संपादक और कार्यक्रम अधिशासी अंशुमान झा इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे. उन्होंने कहा कि कौमुदी महोत्सव सिर्फ इतिहास और आज के समय की परस्पर वार्ता नहीं, बल्कि यह अनुराग के सांस्कृतिक उपहार का पर्व है. आकाशवाणी, पटना के रिकार्डिंग इंजीनियर आशीष कुमार रंजन ने कहा कि साहित्यकारों और आकाशवाणी ने मिलकर संस्कृति को बचाया और वैचारिक बनाया है.

सत्यनारायण व्रतकथा
किरण मंडल के पूर्व अध्यक्ष डा. दामोदर प्रसाद लिखित ‘सत्यनारायण व्रतकथा: हिंदी काव्य रूपांतरण’ एवं अश्विनी कुमार आलोक के उपन्यास ‘डोरि तेहि पानी’ का विमोचन अतिथियों ने किया. विमोचित पुस्तकों की विस्तृत समीक्षा करते हुए हरिनारायण सिंह हरि ने कहा कि सत्यनारायण व्रतकथा लोकचित्त की श्रद्धा में परंपरा का संवाद है, इसके काव्यात्मक स्वरूप से साहित्य समृद्ध हुआ है. ‘डोरि तेहि पानी’ की कथा को अद्भुत और शिल्प को चमत्कृत करनेवाला सिद्ध करते हुए हरिनारायण सिंह हरि ने कहा कि इसकी मनोरमता और आंचलिकता को स्थानीय शब्दों ने इतना बढ़ा दिया है कि अश्विनी कुमार आलोक के रूप में फणीश्वरनाथ रेणु का पुनर्जन्म हुआ प्रतीत होता है.

गजलों से शुरुआत

कवि गोष्ठी की शुरुआत छपरा के शायर अविनाश भारती की ग़ज़लों से हुई :
इस दौर में मत ढूंढो तुम प्यार सदाकत को
वो और जमाना था ये और जमाना है
प्रतिष्ठित कवि हरिनारायण सिंह हरि ने प्रेम के सर्वाेच्च शिखर पर श्रद्धा और भक्ति के समानांतर प्रेमिका का स्थान निर्धारित किया :
खिल खिल कर खिल उठी कुमुदिनी,रजनी महक गयी
मन मंदिर में देवी का अवतार उतर आया

गीतों का सर्वस्व बताया

वरिष्ठ गीतकार हृदयेश्वर ने प्रेयसी को अपने गीतों का सर्वस्व बताया :
मैं सुबह के चांद का एहसास लेकर क्या करूंगा
तुम न होगी वहां तो आकाश लेकर क्या करूंगा
किरण मंडल के महासचिव अश्विनी कुमार आलोक ने ईश्वर को प्रेम का पर्याय कहा :
न जाने कौन है जिसने मोहब्बत को बना डाला
समंदर कोई कहता है, कोई कतरा समझता है

गये दिनों की याद

सभापति अनिल कुमार झा ने लक्ष्यहीन हुए जीवन के संबंध में कहा :
दुःख में सुख में रोकर गाकर, जीवन भर बस आकर जाकर
भूल गए क्या-क्या करना था, और जीये हम क्या भरमाकर
बिछुड़न का दर्द लिये हुए इंतखाब आलम ने गाया
गये दिनों की याद-सा वो फिर कहीं से आ गया

अंशुमान झा ने अपनी व्यंग्य कविता से रोमांचित कर दिया :
कोई उनका खास है
किसी को अर्जी पर आस है

मनोरंजन वर्मा और विजय कुमार विनीत ने भी काव्यपाठ किया. धन्यवाद ज्ञापन किरण मंडल के सचिव जयप्रकाश ने किया.

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