दरभंगा एम्स : ‘गड्ढे’ में निर्माण! बीस सांसदों ने जतायी थी आपत्ति
विजयशंकर पांडेय
03 दिसम्बर 2024
Darbhanga : यहां यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि एक समय में एम्स (AIIMS) के लिए दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (Darbhanga Medical College and Hospital) परिसर को सर्वाधिक उपयुक्त बताने वाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) राजद के पूर्व विधायक भोला यादव (Bhola Yadav) के कहने पर उसे अनुपयुक्त मान बैठे या राजद (RJD) नेतृत्व का कोई अतिरिक्त दबाव था? सामान्य दिमाग में भी यह सवाल उठा होगा. परन्तु, विश्लेषकों की समझ में इसका रहस्य कुछ और है. हर कोई के स्मरण में यह बात होगी ही कि जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में ‘एस्टीमेट घोटाला’ की चर्चा की थी. इसमें भी वैसा ही कुछ संदेह उत्पन्न होता है.
‘अनावश्यक खर्च’ पर सवाल
दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल परिसर के समतलीकरण पर मात्र 14 करोड़ रुपये खर्च हुए. शोभन-एकमी बाइपास (Shobhan-Ekmi Bypass) की चिन्ह्ति जमीन पर 309 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी. यह काम स्वास्थ्य विभाग का उपक्रम बिहार मेडिकल सर्विसेज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन करायेगा. इससे आगे समझने की जरूरत है, बताने की नहीं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने बिहार सरकार के इस ‘अनावश्यक खर्च’ पर सवाल खड़ा किया, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उस दौरान स्वास्थ्य विभाग संभाल रहे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) उन पर टूट पड़े. नरेन्द्र मोदी के दरभंगा में एम्स चालू हो जाने से संबंधित बयान को आधार बना तेजस्वी प्रसाद यादव ने उन्हें सबसे बड़ा झूठा तक कह दिया.
कहीं कोई कुंठा तो नहीं
29 जून 2023 को केन्द्रीय परियोजनाओं की समीक्षा के क्रम में नरेन्द्र मोदी ने उक्त ‘अनावश्यक खर्च’ पर सवाल उठाया. दो-तीन दिनों बाद नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया आयी- ‘एम्स बनेगा, तो शोभन-एकमी बायपास वाली जमीन पर ही. इसके सिवा राज्य सरकार (state government) कोई दूसरी जमीन उपलब्ध नहीं करायेगी… बनाना है तो बनाये, नहीं बनाना है तो मत बनाये… आगे ये लोग हटेंगे, तब अच्छा-अच्छा काम होगा.’ इस पूरे प्रकरण पर नजर डालने से ऐसा अहसास होता है कि दरभंगा एम्स को लेकर नीतीश कुमार जिस ढंग की बयानबाजी कर रहे थे उसके पीछे उनकी कोई न कोई कुंठा जरूर थी, जो इसके निर्माण में बाधक बनी हुई थी.
सांसदों ने उठाये सवाल
कहीं वह कुंठा नालंदा (Nalanda) में एम्स का निर्माण न होने से तो जुड़ी नहीं थी? या फिर दरभंगा में निर्माण का निर्णय केन्द्र ने खुद तो नहीं कर लिया था? इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि शोभन-एकमी बाइपास की जमीन की अनुपयुक्तता की बात सिर्फ केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ही नहीं, महागठबंधन (grand alliance) के 20 सांसदों ने भी संयुक्त रूप से कही थी. उनमें जदयू (JDU) के अलावा राजद और कांग्रेस के भी सांसद थे. अगुवाई मधेपुरा के जदयू सांसद दिनेश चन्द्र यादव (Dinesh Chandra Yadav) ने की थी. यहां गौर करने वाली बात है कि सांसदों ने यह आपत्ति केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की जांच टीम की स्थल निरीक्षण रिपोर्ट आने से पहले दर्ज करायी थी.
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‘परिभ्रमण’ करा दिया
केन्द्रीय टीम ने 27 अप्रैल 2023 को स्थल निरीक्षण किया था. महागठबंधन के उस समय के 20 सांसदों ने उससे 33 दिन पहले 24 मार्च 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रेषित पत्र में इन तथ्यों को रखा था. कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्र (Premchandra Mishra) ने बड़े आक्रामक अंदाज में इस मुद्दे को बिहार विधान परिषद में उठाया था. नीतीश कुमार की जिद के सामने उनकी बातों का महत्व इतना भर रहा कि प्रस्तावित निर्माण स्थल का उन्हें ‘परिभ्रमण’ करा दिया गया. प्रेमचंद्र मिश्र ‘संतुष्ट’ हो गये. भाजपा पर अंड़गा डालने का आरोप मढ़ने लगे.
आईना दिखा दिया
जहां तक महागठबंधन के तब के 20 सांसदों की बात है, तो सहरसा (Saharasa) में एम्स की जरूरत पर जोर देने के लिए इन सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जो पत्र लिखा था उसमें कहा था-‘दरभंगा में एम्स के लिए शोभन-एकमी बायपास पर जो जगह चयनित हुई है वह 15 से 20 फीट गड्ढे में है. दरभंगा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है. इस गड्ढे में एम्स का निर्माण होने से वह हमेशा असुरक्षित रहेगा, उसकी उपयोगिता सार्थक नहीं होगी.’ महागठबंधन के इन सांसदों ने आईना दिखाया तो नीतीश कुमार की सरकार का मुंह नहीं खुला. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तकनीकी आधार पर अमान्य कर दिया, तो वह भाजपा (BJP) की अड़ंगेबाजी हो गयी. यही हो रही थी दरभंगा एम्स पर राजनीति!
पिछड़ गये गोपालजी ठाकुर
दरभंगा एम्स का मामला नौ वर्षों तक अटका क्यों रहा, इसकी भी एक अलग कहानी है. सामान्य समझ में दरभंगा के भाजपा सांसद गोपालजी ठाकुर (Gopalji Thakur) और जदयू के राज्यसभा सदस्य संजय झा (Sanjay Jha) उस कहानी के दो महत्वपूर्ण पात्र रहे हैं. गोपालजी ठाकुर दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर में एम्स की स्थापना के लिए जोर लगा रहे थे तो संजय झा शोभन-एकमी बायपास में ले जाने के लिए ऊर्जा खपा रहे थे. इस दौड़ में गोपालजी ठाकुर पिछड़ गये. ‘राजशाही जिद’ (Rajshahi Jid) की जीत हो गयी. जनता के व्यापक हित में केन्द्र सरकार (central government) का झुकना कहें या 2024 के संसदीय चुनाव के बाद भी राजनीतिक विवशता, तकनीकी तौर पर अनुपयुक्त रहने के बाद भी दरभंगा एम्स का निर्माण शोभन-एकमी बायपास में पंचोभ गांव के समीप होगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 नवम्बर 2024 को इसका शिलान्यास किया.
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