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दरभंगा एम्स : पलटी मार गये तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार!

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विजयशंकर पांडेय
30 नवम्बर 2024

Darbhanga: दरभंगा एम्स (AIIMS) के प्रति राज्य सरकार की बेरुखी के बाद भी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा (JP Nadda) ने 01 जुलाई 2018 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को पत्र लिखकर पुरानी बातें दोहराते हुए बिहार (Bihar) में जमीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया. राज्य सरकार ने तकरीबन तीन महीने तक उस पत्र को संचिकाओं में दबाये रखा. कुछ दिनों बाद चेतना लौटी, कुत्सित सोच में थोड़ा बदलाव आया. एम्स के लिए नयी कोई जमीन तलाशने की बजाय राज्य सरकार ने दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (DMCH) को ही एम्स के तौर पर उत्क्रमित करने का प्रस्ताव केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry)  के समक्ष रख दिया. केन्द्र सरकार ने इसे अमान्य कर दिया. तर्क यह कि किसी पुराने अस्पताल को एम्स के रूप में उत्क्रमित करने का कोई प्रावधान नहीं है.

टालमटोल की नीति
हालांकि, राज्य सरकार की टालमटोल की नीति से आजिज केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नियमों को दरकिनार कर जनवरी 2019 में दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल की लगभग खाली पड़ी जमीन को एम्स के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी. पर, परिसर में धरोहर रूपी प्राचीन इमारतों के रहने और सुविधाओं की दृष्टि से जगह उपयुक्त नहीं होने को आधार बना कोई दूसरी जमीन उपलब्ध कराने की बात भी कही. पर, राज्य सरकार ने उसके वैकल्पिक आग्रह को ठुकरा दिया. कहा कि अस्पताल परिसर में स्थित जिन प्राचीन इमारतों को धरोहर बताया जा रहा है, वे उस श्रेणी में नहीं हैं. जमीन की वास्तविकता और व्यावहारिकता को बगैर जाने-समझे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार नहीं, कई बार कहा कि दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल परिसर एम्स के लिए बहुत ही उपयुक्त जगह है.

कोई औचित्य नहीं
विवशता जो रही हो, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रावधान नहीं रहने के बाद भी दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल परिसर में ही एम्स की स्थापना पर सहमति प्रदान कर दी. हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि ऐसा उसे हरगिज नहीं करना चाहिये था. यह सामान्य समझ की बात है कि वहां जब एक बड़ा अस्पताल है ही, तो फिर उसी के बगल में दूसरे बड़े अस्पताल का कोई औचित्य नहीं था. इसको नजरंदाज कर 300 एकड़ वाले इस परिसर के 200 एकड़ में एम्स और शेष 100 एकड़ में दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के रहने की बात तय हो गयी.


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तब भी स्वीकृति
केन्द्र की सहमति-स्वीकृति के बाद भी करीब साल भर यह मामला जहां का तहां पड़ा रहा. 2019 में नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार की सत्ता में वापसी हुई. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में जे पी नड्डा की जगह डा. हर्षवर्धन (Dr. Harsh Vardhan) आ गये. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 10 जनवरी 2020 को दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल परिसर में जमीन की स्वीकृति का पत्र राज्य सरकार को दे दिया गया. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 19 सितम्बर 2020 को इसके निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर दी. 03 नवम्बर 2021 को एम्स के लिए जमीन मिल गयी.

कार्यालय खुल गया
बिहार सरकार ने दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल परिसर में एम्स के लिए चिन्ह्ति जमीन में 14 करोड़ रुपये की लागत से मिट्टी भराई, समतलीकरण और पुराने भवनों को हटाने का काम करीब-करीब पूरा करा दिया. समतलीकरण इसलिए कि इस भू-भाग के भी एक बड़े हिस्से में गड्ढा था. स्थानीय लोगों के मुताबिक बरसात के दिनों में 03 से 05 फीट तक जलजमाव हो जाया करता था. समतलीकरण के बाद प्रथम चरण में सितम्बर 2022 में 81 एकड़ 09 डिसमिल जमीन दरभंगा एम्स के निदेशक के नाम निबंधित कर दी गयी. दरभंगा के प्रमंडलीय आयुक्त (Divisional Commissioner) के कार्यालय के पांच कमरों में एम्स का कार्यालय खुल गया.

सत्ता बदली, मामला अटका
अगस्त 2022 से कार्यपालक निदेशक और 08 कर्मचारी कार्यरत हैं. डा. माधवानंद कार कार्यपालक निदेशक का दायित्व संभाल रहे हैं. उपनिदेशक, वित्तीय सलाहकार और अभियंता समेत सात और पद स्वीकृत हैं. निर्माण की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ती कि जमीन के हस्तांतरण से माह भर पहले राज्य की सत्ता बदल गयी. नीतीश कुमार के फिर पलटी मार लेने से राजग (NDA) की जगह महागठबंधन (Mahagathbandhan) की सरकार सत्ता में आ गयी. उसके साथ ही संकेत मिलने लगे कि दरभंगा मेडिकल कालेज एवं अस्पताल परिसर में एम्स की स्थापना के मामले में भी नीतीश कुमार पलटी मार सकते हैं. हुआ भी वैसा ही.
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