सीमांचल में राजद : बायसी नया अड्डा, अररिया छूट गया पीछे
अशोक कुमार
22 मार्च 2025
Purnia : बात उस कालखंड की है जब दिवंगत केन्द्रीय राज्यमंत्री तसलीम उद्दीन के रुतबा-रुआब तले सीमांचल (Seemanchal) की गैर भाजपाई राजनीति आकार लेती थी. विशेष कर जनता दल और बाद के दिनों में राजद (RJD) की राजनीति. इस प्रसंग में इसकी चर्चा समयोचित है कि राजद का मुस्लिम-यादव (माय) समीकरण बिहार के दूसरे हिस्सों में जितना असरदार था, सीमांचल में उतना प्रभावी नहीं था. सियासत की उस धारा में सिक्का तसलीम उद्दीन का चलता था. लाख प्रयत्न के बाद भी लालू प्रसाद (Lalu Prasad) उनके तिलिस्म को तोड़ नहीं पाये थे. उस प्रयास में उन्हें उनके दमखम का अंदाजा लग गया था. इसको इस रूप में भी कहा जा सकता है कि तसलीम उद्दीन (Tasleem Uddin) ने उन्हें अपनी जनप्रियता का अहसास करा दिया था.
हालात बदल गये
कोई बस नहीं चला तब साख का ख्याल रख लालू प्रसाद राजद की सीमांचल की राजनीति अघोषित रूप से उन्हीं के हवाले कर लगभग इत्मीनान हो गये थे.परिणामस्वरूप अररिया (Araria) और उसमें भी जोकीहाट (Jokihat) राजद की राजनीति का मुख्य केन्द्र बन गया था. नीति, रणनीति और कुटनीति सब वहीं बनती थी. आमतौर पर नियंत्रण-निर्देशन भी वहीं का रहता था. लेकिन, तसलीम उद्दीन के निधन और लालू प्रसाद के शारीरिक रूप से अशक्त हो जाने के बाद हालात पूरी तरह से बदल गये. तसलीम उद्दीन की विरासत संभालने वाले पुत्रों को परिस्थितियों के सांसद, विधायक और मंत्री बनने का सौभाग्य तो प्राप्त हो गया, पर सियासत में पिता जैसी बात तो दूर रही, उनके पासंग हैसियत भी नहीं बन पायी.
राजनीति के मुख्य केन्द्र
विश्लेषकों की समझ में इसकी वजह विरासत के लिए पारिवारिक कलह तो है ही, सरफराज आलम (Sarfaraz Alam) हों या शाहनवाज आलम (Shahnawaz Alam), प्रभाव जमाने लायक काबिलियत और सलाहियत किसी में नहीं दिखी. किसी एक में भी ऐसा कुछ गुण होता तो सीमांचल में राजद की राजनीति का मुख्य केन्द्र जोकीहाट (Jokihat) की जगह बायसी (Biasi) नहीं बन जाता. बायसी में इन दिनों 2025 के विधानसभा चुनाव की राजनीति और रणनीति की बोआई हो रही है. पाक रमजान (Pak Ramzan) शरीफ के महीने में इफ्तार पार्टी (Iftar Party) के रूप में. राजनीतिक दलों के ऐसे आयोजन का वहां सिलसिला-सा बना हुआ है. सीमांचल के चारो जिलों-पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार और अररिया के लोग बड़ी संख्या में उसका हिस्सा बन रहे हैं.
प्रमंडल स्तरीय इफ्तार पार्टी
राजनीति के लिए चौंकने वाली बात है कि राजद के अघोषित सुप्रीमो पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi Prasad Yadav) ने भी बायसी में इस सिलसिला को विस्तार दिया. 22 मार्च 2025 को राजद की ओर से बायसी के बेलगच्छी मैदान में प्रमंडल स्तरीय इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया. तेजस्वी प्रसाद यादव के साथ पूर्व विधायक भोला यादव (MLA Bhola Yadav) आये. विधायक रूकनुद्दीन अहमद (Ruknuddin Ahmed) आयोजक थे. पूर्व विधायक हाजी अब्दुस सुबहान, विधायक इजहार असफी, अंजार नईमी, सऊद आलम असरार एवं शाहनवाज आलम, पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी (Ali Asraf Fatmi), पूर्व विधायक बीमा भारती (Bima Bharti), विधान पार्षद कारी शोएब आदि की उपस्थिति गौर करने वाली रही. सीमांचल के सभी चार जिलों के राजद नेता-कार्यकर्ता एवं समर्थक काफी संख्या में शामिल हुए.
जन सुराज की इफ्तार पार्टी
इफ्तार पार्टी की इस रूप में शुरुआत इस बार बायसी के राजद विधायक सैयद रूकुनुद्दीन अहमद ने की. अपने पूर्व विधायक पिता सैयद मोइनुद्दीन की बरसी पर पैतृक गांव बैरिया में उन्होंने ऐतिहासिक आयोजन किया. सीमांचल के प्रायः हर हिस्से के लोगों ने उसमें शिरकत की. चर्चा दूर-दूर तक हुई. प्रतिस्पर्धा में जन सुराज पार्टी (Jansuraj Party) ने भी 19 मार्च 2025 को बायसी में इफ्तार पार्टी आयोजित किया. पहल इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने की मुकम्मल तैयारी कर रखे पार्टी की कोर कमिटी के सदस्य शाहनवाज आलम ने की. इसमें भी लोगों का जबर्दस्त जुटान हुआ. सुर्खियां भी खूब मिलीं. शाहनवाज आलम का मनोबल बढ़ा.
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एमआईएम का इंतजार
बायसी में सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) का भी बड़ा जनाधार है. लोगों को उसके आयोजन का इंतजार है. इसलिए कुछ ज्यादा कि 2020 के चुनाव में इसी बायसी से एआईएमआईएम ने अपने अभियान की शुरुआत की थी. पांच क्षेत्रों में विजय हासिल हुई थी. तब सैयद रूकुनुद्दीन अहमद (Syed Rukunuddin Ahmed) उसके सिपहसालार थे. इस बार राजद के हैं. बहरहाल, रजनीतिक दलों के ऐसे आयोजनों को मिल रही सुर्खियों के बीच लोगों की उत्सुकता इस सवाल में कुछ अधिक दिख रही है कि स्थानीय नेताओं की बात अहलदा है, इफ्तार पार्टी के लिए तेजस्वी प्रसाद यादव ने बायसी को ही क्यों चुना? अररिया या किशनगंज को क्यों नहीं?
वक्त बतायेगा
इस बाबत राजद के ही लोगों का कहना है कि तसलीम उद्दीन के वारिसों के ‘प्रभाव शून्य’ हो जाने के बाद राजद नेतृत्व को सीमांचल में एक सौम्य और सुलझे स्वभाव वाले नेता की तलाश थी. सैयद रूकुनुद्दीन अहमद का राजद से जुड़ाव हुआ तो उसकी जरूरत पूरी हो गयी. बायसी में राजद का पहले से जनाधार रहा है. हाजी अब्दुस सुबहान (Haji Abdus Subhan) विधायक निर्वाचित होते थे. उनकी बढ़ी उम्र के मद्देनजर राजद नेतृत्व वर्तमान विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद का कद बढ़ा सीमांचल की राजनीति में नयी पैठ बनाने का उपक्रम कर रहा है. इसी क्रम में बायसी उसकी राजनीति का केन्द्र बन गया है, अररिया और जोकीहाट पीछे छूट गया है. फलाफल क्या निकलता है, यह वक्त बतायेगा.
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