तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

दरभंगा का दोहरे हत्याकांड : सभी निर्दोष… फिर गुनाह किसका?

शेयर करें:

विकास कुमार
13 दिसम्बर 2024

Patna : तकरीबन नौ साल पहले एस एच 88 सड़क बना रही निर्माण ऐजेंसी के दो इंजीनियरों की एक साथ हुई हत्या (Murder) से दरभंगा (Darbhanga) दहल गया था. खबर राजधानी पटना पहुंची तो शासनिक-प्रशासनिक महकमों में सनसनी फैल गयी थी. पुलिस मुख्यालय सन्न रह गया था. मामला राष्ट्रीय स्तर की सुर्खियों में आ गया था. नौ साल बाद वह मामला फिर सुर्खियों में है. इस रूप में कि दोहरे हत्याकांड (Double Murder) में निचली अदालत से उम्रकैद की सजा पाये सभी अभियुक्तों को पटना उच्च न्यायालय ने निर्दोष मान बरी कर दिया है.

यह है दरभंगा का मामला
खबर की चर्चा इस कारण भी कुछ अधिक है कि निर्दोष पाये गये अभियुक्तों में कभी उत्तर बिहार (North Bihar) में आतंक का पर्याय माने जाने वाले कुख्यात संतोष झा, मुकेश पाठक और विकास झा उर्फ कालिया भी हैं. मामला क्या है, इसे संक्षेप में जानिये. 26 दिसम्बर 2015 को रंगदारी के लिए सड़क निर्माण ऐजेंसी (Road Construction Agency) के दो इंजीनियरों मुकेश कुमार सिंह (Mukesh Kumar Singh) और ब्रजेश कुमार सिंह (Brajesh Kumar Singh) की बहेड़ी थाना (Baheri Thana) क्षेत्र के शिवराम चौक पर दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी. दोनों को ए के 56 रायफल से भून दिया गया.

दस अभियुक्तों को उम्रकैद
पुलिस के अनुसंधान में संतोष झा गिरोह की संलिप्तता की बात सामने आयी. हत्या के वक्त संतोष झा (Santosh Jha) गया जेल में बंद था. संतोष झा और मुकेश पाठक (Mukesh Pathak) के साथ गिरोह के अन्य कुछ सदस्यों को अभियुक्त बनाया गया. ‌संतोष झा पर साजिश रचने का आरोप लगा. घटना के दो साल चार माह बाद दरभंगा व्यवहार न्यायालय के पंचम अपर सत्र न्यायाधीश रूपेश देव ने 08 मार्च 2018 को कुख्यात संतोष झा और मुकेश पाठक समेत दस अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनायी. अर्थदंड भी लगाया.

न्यायालय परिसर में हत्या
आजीवन कारावास की सजा पाने वाले अन्य अभियुक्तों में विकास झा उर्फ कालिया, अभिषेक झा, निकेश दूबे, संजय लालदेव, पिंटू लालदेव, बहेड़ी की पूर्व प्रखंड प्रमुख मुन्नी देवी, पिंटू तिवारी और पिंटू झा शामिल थे. इससे पहले इसी न्यायालय ने 26 फरवरी 2018 को ऋषि झा, सुबोध दूबे, अंचल झा और टुन्ना झा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था. सजा सुनाये जाने के लगभग साढ़े चार माह बाद 16 जुलाई 2018 को पूर्वी चंपारण के सिकरहना अनुमंडल न्यायालय परिसर में अभिषेक झा और उसके सवा माह बाद 28 अगस्त 2018 को उसके गुरु संतोष झा की सीतामढ़ी न्यायालय परिसर में हत्या हो गयी.


ये भी पढ़ें :

ऐसा क्या था डीपी ओझा की रिपोर्ट में… तिलमिला गये थे लालू?

शहाबुद्दीन पर खुलासा : लालू हो गये लाल, सकते में आ गयी सरकार !

लग गयी लंगड़ी : आ गये औकात में मनीष वर्मा !


उच्च न्यायालय में अपील
इस बीच दोहरे हत्याकांड के‌ मुख्य अभियुक्त मुकेश पाठक उर्फ चुटुल पाठक उर्फ आदित्य कुमार और विकास झा उर्फ कालिया समेत सभी सजायाफ्ताओं ने दरभंगा न्यायालय के निर्णय के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में अपील दायर कर दी .सुनवाई न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति राजेश कुमार वर्मा की दो सदस्यीय खंडपीठ ने की. अक्तूबर 2024 में सुनवाई पूरी हो गयी. ‌‌‌‌निर्णय सुरक्षित रख लिया गया.

हो पायेगा कभी खुलासा?
11 दिसम्बर 2024 को पटना उच्च न्यायालय का फैसला आया. त्रुटिपूर्ण अनुसंधान व साक्ष्य के अभाव में सभी अभियुक्तों को दोषमुक्त कर दिया गया.त्रुटिपूर्ण अनुसंधान व साक्ष्य का मतलब पुलिस की विफलता से है. यह तो है, पर पटना उच्च न्यायालय के फैसले के साथ यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि सब के सब आरोपित निर्दोष हैं, तो फिर हत्याकांड को अंजाम दिया किसने? क्या इसका खुलासा कभी हो पायेगा?

#Tapmanlive

अपनी राय दें