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विक्रमशिला विश्वविद्यालय : यहां भी फंसा है जमीन‌ का लफड़ा!

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अतीश दीपंकर
24 दिसम्बर 2024

Bhagalpur : बिहार के चौथे केन्द्रीय विश्वविद्यालय (Central University) के रूप में विक्रमशिला विश्वविद्यालय (Vikramshila University) की पुनर्स्थापना का निर्णय 2015 में ‘पीएम पैकेज’ के तहत हुआ था. इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि का भी उपबंध कर दिया गया था. जमीन राज्य सरकार को उपलब्ध करानी है. राज्य सरकार ने 2018 में जमीन की उपलब्धता के लिए पहल की. इसकी सूचना केंद्र सरकार को भी दे दी गयी.

रिपोर्ट केंद्र केंद्र सरकार को सौंप दी
दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया के तत्कालीन कुलपति प्रो. हरिश्चंद्र सिंह राठौर की अध्यक्षता में गठित स्थल चयन समिति ने परशुरामचक (Parshuramchak) मौजा की 163.33 एकड़ और एकडरा (Ekdra) मौजा की 36.67 एकड़ यानी कुल 200 एकड़ जमीन को केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उपयुक्त माना और इसकी उपयोगिता से संबंधित रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी.

अनुपयुक्त करार दिया
बाद में इसमें व्यवधान इस रूप में खड़ा हो गया कि दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के नये कुलपति प्रो. कामेश्वर सिंह (Pro. Kameshwar Singh) की अध्यक्षता वाली समिति ने उसे खारिज कर दिया. फरवरी 2022 में समिति ने प्रस्तावित स्थल की जांच की. परशुरामचक की जमीन को जल जमाव वाली बता अनुपयुक्त करार दिया. मलकपुर अंतिचक (Malakpur Antichak) की 215 एकड़ जमीन को चौथे विकल्प के तौर पर पेश कर दिया. केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय (Union Ministry of Education) को यह जमीन भा गयी.

भू अर्जन में कठिनाई
पर, राज्य सरकार के समक्ष परेशानी यह है कि मलकपुर अंतिचक के प्रस्तावित भूखंड पर तकरीबन साठ की संख्या में दलित और आदिवासी परिवार बसे हुए हैं. लगभग 3500 पेड़ खड़े हैं. इसके अलावा बौद्ध धर्म के संस्थान और ग्रामीण सड़क के कारण भू अर्जन में कठिनाई है. जानकारों के मुताबिक राज्य सरकार यह जमीन उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं है. जबकि केन्द्र सरकार इसी जमीन के लिए अड़ी हुई है. इस तरह विक्रमशिला विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार मलकपुर अंतिचक और परशुरामचक एकडरा की जमीन के बीच अटक गया है. आगे क्या होता है, यह कहना फिलहाल कठिन है.

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