जेल की चक्की पिसेंगे अब ‘करोड़पति दरिद्र’!
महर्षि अनिल शास्त्री
27 अगस्त 2021
गोपालगंज. इस जिले के कटैया प्रखंड के बेलही पैक्स की तरह विजयीपुर प्रखंड के बेलवा पैक्स में भी धान की खरीद में भारी घपलेबाजी के आरोप उछल रहे हैं. सोनू पांडेय इस पैक्स के अध्यक्ष हैं. उनके कथित सौजन्य से वहां के कई करोड़पति व्यक्ति ‘दरिद्र’ हो गये. यानी उन सबने एक तरफ सौ क्विंटल से अधिक धान की बिक्री की तो दूसरी तरफ राशन कार्ड पर मुफ्त के अनाज भी उठाये. बेलवा पैक्स के अध्यक्ष के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने ही परिवार के आठ लोगों में किसी को रैयत तो किसी को गैर रैयत बनाकर धान की खरीदारी करवायी. दुर्गेश पांडेय के नाम पर 133 क्विंटल तो उनके पिता भृगुनाथ पांडेय को गैर रैयत बनाकर 46 क्विंटल धान की खरीद हुई. उसी परिवार से श्रीपति पांडेय, प्रभुनाथ पांडेय, सदानंद पांडेय, गुड़िया कुमारी, सोनू पांडेय एवं प्रभावती देवी समेत कुल आठ सदस्यों के नाम पर अलग-अलग तकरीबन आठ सौ क्विंटल धान की खरीदे गये. एक किसान हैं जयनारायण साह. बेलवा पैक्स को उन्होंने 140 क्विंटल धान बेचा. यानी 2 लाख 61 हजार 520 रुपये का धान. दूसरी तरफ उनकी पत्नी के नाम राशन कार्ड बना हुआ है. कोरोना संक्रमण के दौर में उन्होंने खैरात के राशन भी उठाये. दिलीप कुमार शर्मा ने 3 लाख 45 हजार 580 रुपये के 185 क्विंटल धान बेचे. उनकी मां के नाम से राशन कार्ड है. इसी तरह सुनील पांडेय की पत्नी के नाम बने राशन कार्ड पर प्रति माह राशन उठाये जाते हैं. उन्होंने 165 क्विंटल धान बेचा है जिसकी कीमत 3 लाख 8 हजार 220 रुपये होती है. ऐसे एक दर्जन से अधिक किसानों के नाम पर धान की खरीद हुई है जो सरकारी राशन भी उठा रहे हैं. हद तो यह कि एक बीघा जमीन का स्वामित्व रखने वाला भी 150 क्विंटल धान बेचा है. जबकि सरकारी आंकड़े के मुताबिक 2020 में प्रति हेक्टेयर 21 क्विंटल धान का ही उत्पादन हुआ है. हाईब्रीड धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 70 क्विंटल तक ही हुआ है. स्पष्ट है कि यह सब संबद्ध अधिकारियों की सरपरस्ती में ही हुआ होगा. यह घपलेबाजी ‘हरि अनंत, हरि कथा अनंता’ की तरह है. सीतामढ़ी के जिलाधिकारी डा- नवल किशोर चौधरी ने इसे काफी गंभीरता से लिया है. जांच के लिए उन्होंने अलग-अलग दो समिति बनायी है. ‘करोड़पति दरिद्र’ की वास्तविकता जांचने का जिम्मा अनुमंडलाधिकारी को सौंपा गया है. वह संपत्तिवान लोगों के नाम राशन कार्ड कैसे जारी हुआ इसकी जांच कर उसे रद्द करेंगे. राशन कार्ड बनाने-बनवाने में जिस किसी की भी भूमिका सामने आयेगी उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे. आमतौर पर पंचायत सचिव की अनुशंसा पर राशन कार्ड निर्गत किये जाते हैं. धान खरीद में धांधली की जांच तीन सदस्यीय समिति कर रही है. जिला लेखा पदाधिकारी, जिला कोषागार पदाधिकारी एवं जिला सहकारिता पदाधिकारी. इस समिति में जिला सहकारिता पदाधिकारी को शामिल किये जाने पर सवाल भी उठ रहे हैं. तब भी जांच में फर्जीवाड़ा प्रमाणित हुआ तो संबद्ध ‘करोड़पति दरिद्र’ को जेल में चक्की पिसना पड़ जा सकता है.