तिरहुत स्नातक क्षेत्र : दिखेगा जलवा जन सुराज का?
मदनमोहन ठाकुर
01 दिसम्बर 2024
Sitamarhi : बिहार विधान परिषद के तिरहुत स्नातक (Tirahut Snatak) निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव (By-Election) की सरगर्मी परवान चढ़ी हुई है. चूंकि समय कम है इसलिए सभी प्रमुख उम्मीदवार ‘करो या मरो’ की नीति के अनुरूप चुनाव अभियान में जुटे हैं. 2020 में इस क्षेत्र से देवेश चन्द्र ठाकुर (Devesh Chandra Thakur) निर्वाचित हुए थे. सीतामढ़ी से उनके सांसद बन जाने के कारण लगभग डेढ़ साल के शेष कार्यकाल के लिए उपचुनाव हो रहा है. मतदान 05 दिसम्बर 2024 को होना है. चुनाव मैदान में 17 उम्मीदवार हैं. एनडीए (NDA) ने देवेश चन्द्र ठाकुर की इस विरासत को संभालने के लिए जदयू (JDU) उम्मीदवार के तौर पर इंजीनियर अभिषेक झा (Abhishek Jha) को मैदान में उतारा है. लोग कहते हैं कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पसंदीदा प्रत्याशी हैं. नीतीश कुमार ने उनकी जीत सुनिश्चित कराने की मुख्य जिम्मेदारी देवेश चन्द्र ठाकुर को ही दे रखी हैं. वैसे, सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दलों की ताकत भी इसमें खप रही है.
रोचक बना दिया मुकाबले को
महागठबंधन (Mahagathbandhan) से पूर्व विधायक केदार गुप्ता के पुत्र गोपी किशन (Gopy Kishan) राजद (RJD) के उम्मीदवार हैं. नवगठित जन सुराज पार्टी (Jan Suraj Party) की उम्मीदवारी डा. विनायक गौतम (Dr. Vinayak Gautam) को मिली है. निर्दलीय प्रत्याशी की हैसियत से अरविन्द कुमार उर्फ विभात कुमार सिंह, राघोपुर के दिवंगत बाहुबली बृजनाथी सिंह के पुत्र राकेश रौशन (Rakesh Roshan) और परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बंशीधर ब्रजवासी (Banshidhar Brajwasi) ताल ठोक रहे हैं. परिणाम जो निकले, इन तीनों ने मुकाबले को रोचक बना दिया है. राकेश रौशन लोजपा-आर (LJP-R) में थे. पार्टी से बगावत कर मैदान में उतरे हैं. वैसे, राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि वह लोजपा-आर के अघोषित प्रत्याशी हैं. इसमें सच्चाई कितनी है यह नहीं कहा जा सकता. इन सब के अलावा रिंकू कुमारी (Rinku Kumari) समेत और भी कुछ निर्दलीय उम्मीदवार हैं.
हर तरह से हैं सक्षम
सभी उम्मीदवारों की अपनी-अपनी खासियत और अपना-अपना दावा है.प्रख्यात चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार डा. विनायक गौतम धन-धान्य से परिपूर्ण हैं. किसी चुनाव में पहली बार भागीदारी निभा रहे हैं. इस वजह से चुनावी राजनीति के लिए अपरिचित-अनजान चेहरा हैं, पर चमकदार राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं. इस तरह का चुनाव लड़ने में पूरी तरह सक्षम-समर्थ हैं. डा. विनायक गौतम का सबसे बड़ा परिचय यह है कि मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के ‘नगर पिता’ की पहचान रखने वाले दिवंगत पूर्व मंत्री रघुनाथ पांडेय (Raghunath Pandey) के वह नाती हैं. इसी स्नातक क्षेत्र से तीन बार विधान पार्षद निर्वाचित हुए रामकुमार सिंह इनके पिता हैं.
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यह भी है एक पहचान
मामा प्रसिद्ध उद्योगपति अमरनाथ पांडेय (Amarnath Pandey) और उनकी पत्नी यानी डा. विनायक गौतम की मामी विनीता विजय (Vineeta Vijay) की भी राज्य स्तरीय बड़ी राजनीतिक पहचान है. कांग्रेस, भाजपा और लोजपा की राजनीति करने के बाद विनीता विजय इन दिनों जन सुराज पार्टी का बड़ा चेहरा बनी हुई हैं. जानने वाली महत्वपूर्ण बात यह भी है कि डा. विनायक गौतम की मां डा. सुनीति पांडेय मुजफ्फरपुर के महंत दर्शन दास महिला महाविद्यालय की प्राचार्य रही हैं. अभी उनकी बहन डा. कनू प्रिया उस महाविद्यालय की प्राचार्य हैं. डा. विनायक गौतम की पत्नी डा. रश्मि गौतम की भी चिकित्सा जगत में अपनी एक अलग पहचान है.
देखना दिलचस्प होगा
चुनाव अभियान में अपने-अपने स्तर से सभी जुटे हुए हैं. सब का लक्ष्य तिरहुत स्नातक क्षेत्र पर अपने परिवार को फिर से काबिज कराना है. गौर करने वाली बात है कि 2002 से पहले डा.विनायक गौतम के पिता रामकुमार सिंह इस पर काबिज थे. 22 साल बाद परिवार का खूंटा फिर से गाड़ने के बन रहे अवसर को सभी यूं ही हाथ से निकलने नहीं देना चाह रहे हैं. इसलिए जोर लगा रहे हैं. चुनाव जीतने के लिए जिन तत्वों की आवश्यकता होती है, इस परिवार के पास उसकी कोई कमी नहीं है, एक तरह से परिपूर्णता ही है. पुश्तैनी अनुभव है, चुनावी रणनीतिकार का मार्गदर्शन है, परिवारजनों का संपूर्ण साथ है. स्नातक मतदाताओं में बदलाव की चाहत भी है. इस अनुकूलता को डा.विनायक गौतम जीत में बदल पाते हैं या नहीं, देखना दिलचस्प होगा.
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