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देवघर में शिव बारात : अलग-थलग क्यों हैं इस बार बबलू खवाड़े?

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विजय कुमार राय
30 जनवरी, 2023

DEOGHAR : बैजनाथ धाम कहें या बैद्यनाथ धाम, देवाधिदेव महादेव की नगरी देवघर में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर निकलने वाली भव्य शिव बारात (Shiv Barat) की चर्चा पूर्व महापौर राजनारायण खवाड़े उर्फ बबलू खवाड़े (Rajnarayan Khaware urf Bablu Khaware) का जिक्र किये बगैर अधूरी मानी जायेगी. स्थानीय लोग दोनों को एक-दूसरे के पर्याय के रूप में देखते व मानते हैं. इस समझ की खास वजह है. यह कि अब तक के 26 आयोजनों (1994 से 2020) के मुख्य कर्ता-धर्ता वही थे. सहयोग सबका मिलता था, व्यवस्था उनकी ही होती थी. लेकिन, दो वर्षीय कोरोना (Corona) संक्रमण काल के बाद इस बार आयोजित होने वाली शिव बारात की तैयारी से वह दूर-दूर दिख रहे हैं. क्षेत्रीय सांसद निशिकांत दूबे (Nishikant Dubey) इस आयोजन पर हावी होते नजर आ रहे हैं. शहर अचंभित है कि ऐसा क्यों हो रहा है? राजनारायण खवाड़े उर्फ बबलू खवाड़े खुद इससे दूर हो गये हैं या निशिकांत दूबे ने उन्हें किनारे लगा दिया है, शहरवासियों के लिए यह रहस्य बना हुआ है.

ऐसे शुरू हुई थी शिव बारात
पहले यह जान लें कि शिव बारात की शुरुआत कब और कैसे हुई. महाशिवरात्रि का उत्सव पहले औपचारिकताओं में सिमटा था. पूरे विधि-विधान से विशेष पूजा-अर्चना होती थी, काफी संख्या में श्रद्धालु ज्यातिर्लिंग पर जलार्पण करते थे. शिव बारात का संभवतः कोई प्रचलन नहीं था. पंडा-पुरोहित अपने स्तर से ऐसा कर-करा देते होंगे तो वह अलग बात है. शिव बारात की शुरुआत 1994 में हुई. पहल बाबा मंदिर प्रबंधन (Baba Mandir Prabandhan) या जिला प्रशासन (District Administration) की नहीं, सामाजिक धार्मिक संस्था धर्म जागृति संघ (Dharm Jagriti Sangh) की थी. समाजसेवी राजकुमार शर्मा (Rajkumar Sharma) इस संस्था के अध्यक्ष थे. उन्होंने ही 24 फरवरी 1994 को कामना ज्योतिर्लिंग रावणेश्वर बैद्यनाथ धाम की नगरी के तमाम सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों को एकजुट कर शिव बारात निकालने का निर्णय किया.

मंदिर प्रबंधन की भूमिका नहीं
शिव बारात के लिए शिवरात्रि महोत्सव समिति का गठन हुआ. अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी जयप्रकाश नारायण सिंह (Jaiprakash Narayan Singh) को मिली. सचिव राजनारायण खवाड़े उर्फ बबलू खवाड़े को बनाया गया. बबलू खवाड़े तब की देवघर नगरपालिका (Deoghar Nagarpalika) के वार्ड पार्षद हुआ करते थे. बाद के वर्षों में वह तो खुद देवघर नगर निगम (Deoghar Nagar Nigam) के महापौर बने ही, पत्नी रीता राज खवाड़े (Reeta Raj Khaware) को भी इस सम्मानजनक पद पर आसीन कराने में सफल रहे. उस दौर में उनकी पहचान शहर के एक ऐसे शख्स की थी कि बगैर उनके जुड़ाव के शिव बारात का मकसद शायद पूरा नहीं होता. स्थानीय लोगों की मानें, तो बबलू खवाड़े पूरा नहीं होने देते. इसलिए कि शहर में सिक्का उन्हीं का चलता था. दिलचस्प बात यह कि शिव बारात के आयोजन में मंदिर प्रबंधन का कोई योगदान नहीं रहता है.

धरती पर उतर आता है कैलाश
देवघर में पहली बार 10 मार्च 1994 को आर मित्रा उच्च विद्यालय (R. Mitra High School) के प्रांगण से भव्य शोभा यात्रा के साथ शिवजी की बारात निकली. ठीक वैसी ही बारात जैसी लोगों की कल्पना में रहती है. बाजे-गाजे और रोशनी की उत्तम व्यवस्था के बीच देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों, भूत- बैताल -प्रेत-पिशाचों आदि की मनोरम झांकियां. दृश्य ऐसा कि मानो कैलाश देवघर की धरती पर उतर आया हो. जानकार बताते हैं कि उस पहली शिव बारात के स्वागत के लिए सराती पक्ष भी था. पुरुषों के अलावा उषा झा (Usha Jha) एवं प्रभा मिश्रा (Prabha Mishra) के नेतृत्व में चांदनी चौक पर काफी संख्या में महिलाएं मौजूद थीं. चूंकि भीड़ अपेक्षा से कहीं अधिक जुट गयी थी इसलिए अगले साल से सराती पक्ष का प्रावधान खत्म कर दिया गया.


पहले शिव बारात की शुरुआत के के स्टेडियम से होती थी. बाजला चौक से धोबी टोला, टावर चौक एवं मुख्य बाजार से घूमते हुए शोभायात्रा बाबा मंदिर पहुंचती थी. इस बार शुरुआत तो के के स्टेडियम से ही होगी, लेकिन शोभा यात्रा का मार्ग बहुत लम्बा तय कर दिया गया है.


परिदृश्य से ओझल हैं बबलू खवाड़े
शिव बारात की लोकप्रियता ने राजनारायण खवाड़े उर्फ बबलू खवाड़े का मनोबल इतना बढ़ा दिया कि 1995 में आयोजन समिति के अध्यक्ष वही बन गये. संभवतः अब तक वही अध्यक्ष हैं. इस वजह से यह आयोजन उन्हीं का माना जाने लगा. बहुत कुछ वैसा था भी. धन का जुगाड़ वही करते थे. जो आया सो आया, शेष अपना धन लगा देने में कोई हिचक नहीं होती थी. लेकिन, दो साल के कोरोना संक्रमण काल के बाद इस बार निकलने वाली शिव बारात की बाबत फिलहाल उनकी कोई सक्रियता नहीं दिख रही है. स्थानीय लोग यह देख हैरान हैं कि बबलू खवाड़े नेपथ्य में चले गये हैं और आगे-आगे क्षेत्रीय सांसद निशिकांत दूबे (Nishikant Dubey) कूद रहे हैं. हालांकि, पूर्व के आयोजनों में राजनारायण खवाड़े उर्फ बबलू खवाड़े को निशिकांत दूबे का अपेक्षित सहयोग-समर्थन मिला करता था. वर्तमान में संपूर्ण व्यवस्था पर वही काबिज होते नजर आ रहे हैं. ऐसे में बबलू खवाड़े की इस बार कोई भूमिका रहेगी भी या नहीं, यह अभी अस्पष्ट है.


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इस मौन का मतलब क्या?
करीब के लोग बताते हैं कि 2019 में लीवर प्रत्यारोपण के बाद से बबलू खवाड़े की सामाजिक सक्रियता लगभग ठहर-सी गयी है. कुछ लोगों का कहना है कि शिव बारात से उनके दूर रहने का यह एक कारण हो सकता है. वैसे, शहर में चर्चा यह भी है कि कोरोना (Corona) संक्रमण काल के दौरान निशिकांत दूबे (Nishikant Dubey) और बबलू खवाड़े (Bablu Khaware) के बीच कुछ मुद्दों को लेकर विवाद पैदा हो गया था. शिव बारात के आयोजन का अगुवा बनने के निशिकांत दूबे के प्रयास को उससे भी जोड़कर देखा जा रहा है. इधर निशिकांत दूबे ने मीडिया (Media) को जानकारी उपलब्ध करायी कि इस बार की शिव बारात पूर्व की तुलना में काफी आकर्षक होगी. फिल्म अभिनेता संजय दत्त (Sanjay Dutta), अभिनेत्री भाग्य श्री (Bhagya Shree), सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari), कैलाश खेर (Kailash Kher) और भोजपुरी के सुपर स्टार खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav), आम्रपाली दूबे (Amrapali Dubey) भी इसमें शामिल होंगे. ऐसी जानकारी पहले राजनारायण खवाड़े उर्फ बबलू खवाड़े उपलब्ध कराते थे. पता नहीं क्यों, इस बार उन्होंने मौन धारण कर रखा है. महत्वपूर्ण बात यह भी कि सांसद निशिकांत दूबे ने शिव बारात की शोभायात्रा का जो मार्ग तय किया-कराया है, वह अधिसंख्य शहरवासियों को रास नहीं आ रहा है.

नाराज हैं स्थानीय लोग
पहले शिव बारात की शुरुआत के के स्टेडियम (Stadium) से होती थी. बाजला चौक से धोबी टोला, टावर चौक एवं मुख्य बाजार से घूमते हुए शोभायात्रा बाबा मंदिर (Baba Mandir) पहुंचती थी. इस बार शुरुआत तो के के स्टेडियम से ही होगी, लेकिन शोभा यात्रा का मार्ग बहुत लम्बा तय कर दिया गया है. बाजला चौक से पुरनदाहा, सत्संग चौक, रेलवे ओवरब्रिज, उपायुक्त आवास, बरमसिया चौक से बीएड कालेज के सामने स्थित निशिकांत दूबे (Nishikant Dubey) के आवास शिवधाम (Shiv Dham) और फिर वहां से जलसार होते हुए शिवराम झा चौक (Shivram Jha Chowk) से बारात बाबा मंदिर परिसर में प्रवेश करेगी. कतिपय लोगों का कहना है कि यह खुद का प्रभुत्व प्रदर्शित करने के लिए शिव भक्तों एवं स्थानीय नागरिकों को परेशानी में डालने वाला निर्णय है.

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