कैबिनेट में सिर्फ एक पद! भाजपा ने नीतीश को उनकी हद बता दी
राजनीतिक विश्लेषक
08 जुलाई, 2021
पटना. केंद्रीय कैबिनेट में विस्तार हुआ। पांच सांसदों के लोजपा गुट के सांसद पशुपति कुमार पारस मंत्री बनाए गए। लोकसभा में 16 की सदस्य संख्या वाले जदयू को भी एक सीट पर संतोष करना पड़ा। अब बिहार की राजनीति में एक दूसरे का मुंह देखकर सवाल पूछा जा रहा है कि यह क्या हुआ। क्यों हुआ। कैसे हुआ। सबसे बड़ी बात यह कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार क्यों किया। दो साल पहले की तरह वे अड़े क्यों नहीं कि एक सीट पर नहीं मानेंगे। दो, तीन या चार दीजिए। हमको आपके कैबिनेट में रहने का कोई शौक नहीं है। हां, नोट करने वाली बात यह है कि नीतीश ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को केंद्र में मंत्री बनने के लिए बधाई नहीं दी। मतलब यह निकाला जा रहा है कि वह इसे अपमान मान रहे हैं। चुप रह कर नाराजगी का इजहार कर रहे हैं।
आरसीपी को रोक नहीं सकते
नीतीश कुमार पूरे प्रकरण में निहायत निरीह नजर आ रहे हैं। मजबूरी यह कि आरसीपी यानी रामचंद्र बाबू उनके कहने पर अब नहीं चल रहे हैं। हैसियत यह हो गई है कि अगर वे आरसीपी को कैबिनेट में शामिल होने से मना करते तो वे उनकी राय या आदेश नहीं मानते। उन्होंने बीच का रास्ता निकाला। आरसीपी को कैबिनेट में शामिल होने दिया। अपनी नाराजगी जताने के लिए बधाई की औपचारिकता निभाई।
भाजपा ने उपेक्षा की
असल में नीतीश भले ही अपनी घटती ताकत को नहीं कबूल कर पा रहे हों, भाजपा उनके कम होते वजन पर नजर बनाए हुए है। 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को परास्त करने के चलते 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तक मजबूत मान रही थी। उनकी मजबूती का ही डर था कि लोकसभा में भाजपा की ओर से उन्हें बराबर सीट दी गई। चुनाव परिणाम उनके हक में गया। उसके बाद भी केंद्रीय कैबिनेट में एक से अधिक सीट देने की उनकी मांग नहीं मानी गई। लेकिन, 2020 के विधानसभा चुनाव ने जदयू की हैसियत को काफी कम कर दिया। 43 सीट जीत कर जदयू तीसरे नम्बर की पार्टी बन गई। फिर भी भाजपा ने अहसान कर नीतीश को मुख्यमंत्री बनाए रखा।
और कितना अहसान किया जाए
विधानसभा के पिछले चुनाव के बाद से ही भाजपा में यह बहस तेज हो गई कि नीतीश कुमार पर और कितना अहसान किया जाए। यही कारण है कि राज्य सरकार में भाजपा ने अपनी भागीदारी बढ़ाई। विधानसभा अध्यक्ष का पद एक तरह से जबरन अपने पास रखा। केंद्रीय कैबिनेट में विस्तार से पहले नीतीश कुमार से एक बार पूछा भी नहीं। चिढ़ाने की गरज से ही गिरिराज सिंह को बड़े विभाग का मंत्री बना दिया। पूरे प्रकरण को सिलसिलेवार ढंग से देखें तो यही लगेगा कि भाजपा एक एक कर नीतीश कुमार को हद बता रही है।