सीतामढ़ी : टेढ़ी न हो जाये रंजू गीता की सियासी भाग्य रेखा
मदनमोहन ठाकुर
24 जुलाई, 2021
सीतामढ़ी. राजनीति के नैतिकता विहीन वर्तमान दौर में यह कोई मायने नहीं रखता. इसके बावजूद सीतामढ़ी जिले के थोड़ी-बहुत भी सियासी समझ रखने वालों में यह उत्सुकता बनी हुई है कि रालोसपा के जद(यू) में विलय और उसके सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा के इस दल के बड़े सांगठनिक पद- संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष- पर पहुंच जाने के बाद पूर्व सांसद रामकुमार शर्मा और दो विधायकों – रून्नी सैदपुर के पंकज कुमार मिश्र एवं मधुबनी जिले के हरलाखी के सुधांशु शेखर का भविष्य क्या होगा? पार्टी में इत्मीनान से रह पायेंगे या असहज स्थिति में कूढ़ते रहेंगे? गौर करनेवाली बात है कि अन्य कई नेताओं की तरह ये तीनों कभी उपेन्द्र कुशवाहा के करीबियों में शामिल थे. उनके बीच के बुरे दिनों के दौरान एक-एक कर उनसे अलग हो जद(यू) से जुड़ गये. वैसे तो राजनीति में प्रतिशोध त्याज्य है. पर, इन तीनों के मामलों में क्या होगा यह पूरी तरह से उपेन्द्र कुशवाहा के रुख पर निर्भर करता है. रालोसपा से अलग होते वक्त पंकज कुमार मिश्र और सुधांशु शेखर के पार्टी नेतृत्व के प्रति तेवर अपेक्षाकृत नरम रहे. परन्तु, पूर्व सांसद रामकुमार शर्मा ने आलोचना की तमाम सीमाएं लांघ दी थी. उससे इस आशंका को बल मिलता है कि रामकुमार शर्मा का जद(यू) से लंबा जुड़ाव शायद ही रह पायेगा. दूसरी तरफ उपेन्द्र कुशवाहा के जद(यू) में बड़ी हैसियत में आने से रेखा गुप्ता की वकअत कुछ बढ़ जा सकती है.
रेखा गुप्ता रालोसपा उम्मीदवार के तौर पर बाजपट्टी से चुनाव लड़ती रही हैं. वहां से अभी राजद के मुकेश कुमार यादव विधायक हैं. पहले डा. रंजू गीता जद(यू) उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित होती थीं. एकाध बार मंत्री भी बनीं. 2020 की हार तो मुद्दा है ही, हाल के वर्षों में सत्ता शीर्ष की नजरों में जिस ढंग से उनका महत्व कम हुआ है उसके मद्देनजर 2024 या उससे पूर्व संभावित मध्यावधि चुनाव में बाजपट्टी से डाॉ रंजू गीता की जगह रेखा गुप्ता को जद(यू) की उम्मीदवारी मिल जाय तो वह अचरज की कोई बात नहीं होगी. विश्लेषकों की समझ है कि देर-सबेर ऐसे ही हालात से रून्नीसैदपुर के जद(यू) विधायक पंकज कुमार मिश्र को भी गुजरना पड़ जा सकता है.
ऐसा कुछ संकेत जद(यू) संसदीय बार्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के हालिया सीतामढ़ी कार्यक्रम के दौरान दिखा. जद(यू) के स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं ने इस दौरान उपेन्द्र कुशवाहा का जोरदार स्वागत किया. क्षेत्रीय सांसद सुनील कुमार पिंटू, विधान पार्षद देवेश चन्द्र ठाकुर, विधायक दिलीप राय एवं पंकज कुमार मिश्र, सीतामढ़ी जिला जद(यू) के अध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह कुशवाहा, वरिष्ठ जद(यू) नेता अधिवक्ता विमल शुक्ला, रेखा गुप्ता, रामेश्वर महतो आदि की इसमें सहभागिता रही, पर पूर्व सांसद रामकुमार शर्मा कहीं नहीं दिखे. विधायक पंकज कुमार मिश्र की मौजूदगी पर कई तरह की छींटाकशी हुईं. सीतामढ़ी की राजनीति में एक और महत्वपूर्ण बात हुई. इस जिले का प्रभारी मंत्री अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान के बनाया गया. कार्य संपादन में उन्हें जद(यू) के सांसद-विधायक का तो सहयोग-समर्थन मिलता ही है, बिहार विधान परिषद में जद(यू) के उपनेता देवेश चन्द्र ठाकुर का साथ भी मिल रहा है. बहरहाल, उपेन्द्र कुशवाहा के कार्यक्रम से सुस्त पड़ी सीतामढ़ी जिला जद(यू) की राजनीति में थोड़ी ताजगी अवश्य आ गयी है.