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ज्योतिष शास्त्र: कुंडली से जानिये पूर्व जन्म का रहस्य

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तापमान लाइव ब्यूरो.
03 जून, 2023

Patna : सनातन धर्म में पुनर्जन्म (Rebirth) की मान्यता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार प्राणी का केवल शरीर नष्ट होता है, आत्मा अमर है. आत्मा  (Soul) एक शरीर के नष्ट हो जाने पर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है. इसे ही पुनर्जन्म कहते हैं. पुनर्जन्म के सिद्धांत को लेकर सभी के मन में ये जानने की जिज्ञासा अवश्य रहती है कि पूर्वजन्म में वह क्या थे. साथ ही वह यह भी जानना चाहते हैं कि वर्तमान शरीर की मृत्यु हो जाने पर इस आत्मा का क्या होगा? भारतीय ज्योतिष में इस विषय पर भी काफी शोध किया गया है. उसके अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली (Horoscope) देखकर उसके पूर्व जन्म और मृत्यु के बाद आत्मा की गति के बारे में जाना जा सकता है.

ग्रहों की स्थिति
ज्योतिष के अनुसार शिशु जिस समय जन्म (Birth) लेता है उस समय, स्थान व तिथि को देखकर उसकी जन्म कुंडली बनायी जाती है. उस समय के ग्रहों की स्थिति के फलस्वरूप यह जाना जा सकता है कि बालक किस योनि में आया है और मृत्यु के बाद उसकी क्या गति होगी. इस संबंध में कुछ विशेष योग इस प्रकार हैं: जिस व्यक्ति की कुंडली में चार या इससे अधिक ग्रह उच्च राशि के अथवा स्व राशि के हों तो उस व्यक्ति ने उत्तम योनि भोगकर यहां जन्म लिया है.

सप्तम भाव में सूर्य
लग्न में उच्च राशि का चन्द्रमा (Moon) हो तो ऐसा व्यक्ति पूर्वजन्म में सद्विवेकी वणिक था. यदि जन्मकुंडली  (Birth Chart) में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा है तो बालक पूर्वजन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी एवं विवेकशील साधु अथवा तपस्वी था. यदि जन्मकुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा तुला राशि का हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में भ्रष्ट जीवन व्यतीत करनेवाला था. लग्न या सप्तम भाव में यदि शुक्र हो तो जातक पूर्वजन्म में राजा अथवा सेठ था. लग्न एकादश, सप्तम या चौथे भाव मेंशनि इस बात का सूचक है कि व्यक्ति पूर्व जन्म में शूद्र परिवार से संबंधित था एवं पापपूर्ण कार्यों में लिप्त था.

(यह आस्था और विश्वास की बात है. मानना और न मानना आप पर निर्भर है.)

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