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मुजफ्फरपुर : चाल बिजेन्द्र की, मोहरा मानमर्दन!

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अरविन्द कुमार झा
25 जुलाई, 2021

मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर नगर निगम के महापौर पद से सुरेश कुमार की विदाई से राजनीति को कोई हैरानी नहीं हुई. 2017 में उनकी ताजपोशी में जिन सबकी ‘पूंजी’ लगी थी, उसकी भरपाई नहीं हो पाने की वजह से उनका इस पद से हटना प्रायः तय था. भरपाई की तमाम कोशिशों की विफलता के बाद पूंजी लगाने वालों के हाथ सुरेश कुमार के सिर से हट गये और 24 जुलाई 2021 के शक्ति परीक्षण में वह औंधे मुंह गिर गये. अविश्वास प्रस्ताव इत्मीनान से पारित हो गया और वह पदमुक्त हो गये. चर्चाओं पर भरोसा करें तो 2017 में महापौर पद के चुनाव में तब के भाजपा विधायक पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा के खिलाफ अघोषित रूप से गोलबंद हुए स्थानीय नेताओं ने सुरेश कुमार की पीठ ठोक रखी थी. उनमें मुख्य रूप से पूर्व विधान पार्षद दिनेश सिंह, कांग्रेस के वर्तमान विधायक बिजेन्द्र चैधरी, पूर्व महापौर समीर कुमार आदि थे. समीर कुमार अब इस धरती पर नहीं हैं. सुरेश शर्मा ने तब नंदकिशोर प्रसाद साह उर्फ नंदू बाबू को महापौर पद के चुनाव में उतारा था. तीन निगम पार्षदों के इधर से उधर हो जाने के कारण उनकी मंशा फलीभूत नहीं हो पायी थी. इसके साथ ही मुजफ्फरपुर नगर निगम की राजनीति में उनका पांव उखड़ गया. उपमहापौर पद के लिए मानमर्दन शुक्ल उर्फ ललन शुक्ल और सीमा झा के बीच मुकाबला हुआ था. जीत मानमर्दन शुक्ल की हुई थी. उपमहापौर का पद तो मिल गया, पर इसको लेकर उन्होंने जो अपेक्षाएं पाल रखी थी वह पूरी नहीं हो पायी. महापौर सुरेश कुमार के खिलाफ मोर्चा मुख्य रूप से उन्होंने ही खोल रखा था. उन्हें महापौर सुरेश कुमार के कार्यकलापों से खार खाये कांग्रेस विधायक बिजेन्द्र चैधरी का साथ मिला और उन्होंने सुरेश कुमार का खूंटा उखाड़ दिया.

बिजेन्द्र चौधरी और सुरेश कुमार शर्मा

चर्चाओं पर भरोसा करें तो इस खेल में ‘पूंजी’ राकेश कुमार पिंटू की लगी है जो महापौर पद के चुनाव में इस खेमे के संभावित उम्मीदवार माने जाते हैं. महापौर का पद पिछड़ा वर्ग के लिए सुरक्षित है. दूसरी तरफ प्रतिद्वंद्वी खेमे को शिकस्त देने के लिए पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा ने भी कमर कस रखी है. इसलिए भी कि यह नगर निगम की राजनीति में उनके अस्तित्व से जुड़ गया है. इस बार भी वह नंदकिशोर साह उर्फ नंदू बाबू पर ही दांव खेलेंगे, यह करीब-करीब तय है. ऐसे में मुकाबला सुरेश शर्मा बनाम बिजेन्द्र चैधरी का रूप ग्रहण कर ले सकता है. दिलचस्प बात यह कि पूर्व विधान पार्षद दिनेश सिंह का खेमा तटस्थ नजर आ रहा है. दिनेश सिंह और उनके व्यावसायिक सहयोगी भूषण झा की भी कोई सहानुभूति निवर्तमान महापौर सुरेश कुमार के प्रति नहीं है. इसलिए कि बिजेन्द्र चैधरी की तरह ये लोग भी उनके कार्यकलापों से असंतुष्ट हैं. चर्चा यह भी है कि दिनेश सिंह एवं भूषण झा का बिजेन्द्र चैधरी से भी अंदरुनी बनाव नहीं रह गया है. यदि यह सच है तो महापौर पद के चुनाव में इन तमाम लोगों का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष साथ सुरेश शर्मा के खेमे को मिल जा सकता है. उधर, पूर्व विधायक विजय कुमार उर्फ मुन्ना शुक्ला भी अपने भाई उपमहापौर मानमर्दन शुक्ल उर्फ ललन शुक्ल की रणनीति को अंजाम तक ले जाने में साथ निभाते नजर आ रहे हैं. ऐसा संभवतः पहली बार देखने को मिल रहा है.

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