पश्चिम चंपारण : मुकाबले का खुला एक और मोर्चा
सुनील गुप्ता
27 जुलाई, 2021
पश्चिम चम्पारण. बिहार की 38 जिला परिषदों में पश्चिम चंपारण जिला परिषद ही एकमात्र ऐसा है जिसका अध्यक्ष का पद अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है. क्रमावर्तन (रोटेशन) में 2015 के चुनाव में लागू हुआ यह आरक्षण आगे खत्म हो जा सकता है. बहरहाल, अध्यक्ष पद के सुरक्षित रहने से इसके चुनाव में सामान्य आकर्षण एवं आपाधापी अपेक्षाकृत कम है. इसकी राजनीति में रुचि रखने वालों का दिमाग मुख्य रूप से उपाध्यक्ष पद के चुनाव में खपता है जो सामान्य के लिए है. जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष अमर यादव की पत्नी रेणु देवी फिलहाल उपाध्यक्ष हैं. अध्यक्ष शैलेन्द्र गढ़वाल की बर्खास्तगी के बाद उस पद का भी कार्यभार संभाल रही हैं. इस बार एक नये दावेदार के उभरकर सामने आने से अध्यक्ष पद के चुनाव के प्रति भी आम आकर्षण थोड़ा बढ़ा हुआ दिख रहा है. 2016 के चुनाव में अमर यादव से तालमेल बैठा शैलेन्द्र गढ़वाल अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे. उनका मुकाबला सुरेन्द्र उरांव से हुआ था. 42 सदस्यीय पश्चिम चंपारण जिला परिषद के तीन निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं. बगहा प्रखंड (2) के क्षेत्र संख्या दो एवं तीन तथा गौनाहा प्रखंड के क्षेत्र संख्या 21. आम समझ है कि इसी तीनों निर्वाचन क्षेत्रों से निर्वाचित जिला पार्षद ही अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन, ऐसी बात नहीं है. सामान्य क्षेत्र से निर्वाचित अनुसूचित जनजाति के जिला पार्षद भी इसकी पात्रता रखते हैं. 2016 में सुरेन्द्र उरांव बगहा प्रखंड (दो) के निर्वाचन क्षेत्र संख्या 4 से चुने गये थे. इस बार वह सोची-समझी रणनीति के तहत क्षेत्र संख्या 3 से किस्मत आजमायेंगे. क्षेत्र संख्या 4 में उनकी पत्नी सरिता सुमन कुजूर उतरेंगी. लक्ष्य जिला परिषद का अध्यक्ष पद पाना है. सुरेन्द्र उरांव पश्चिम चंपारण जिला जद(यू) के उपाध्यक्ष और चंपारण आदिवासी उरांव महासभा के अध्यक्ष हैं.
सबसे बड़ी बात यह कि इस बार शैलेन्द्र गढ़वाल चुनाव मैदान में नहीं दिखेंगे. राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग ने तकनीकी कारणों से उन्हें अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर पांच वर्षों तक जिला परिषद का चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर रखा है. शैलेन्द्र गढ़वाल गौनाहा प्रखंड के क्षेत्र संख्या 21से निर्वाचित हुए थे. पंचायती राज विभाग के निर्णय को उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दे रखी है. उनका कहना है कि उन्हें अनुचित तरीके से पदमुक्त किया गया है. शैलेन्द्र गढ़वाल का स्पष्ट कहना है कि वाल्मीकिनगर संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में राजग के खिलाफ उम्मीदवार बन जाने की बजह से उन्हें इस रूप में प्रताड़ित किया जा रहा है. अदालत का फैसला कब आयेगा, कब नहीं इसका इंतजार नहीं कर जिला परिषद के आसन्न चुनाव में वह अपनी पत्नी प्रतिभा गढ़वाल को मैदान में उतारेंगे. इसकी उन्होंने जबर्दस्त तैयारी कर रखी है. जोरदार तरीके से चुनाव अभियान भी चला रहे हैं. इस बीच अध्यक्ष पद के लिए एक नया मोर्चा भी खुला है. अंजू कुमारी गोंड के रूप में. वह नरकटियागंज के शंभु प्रसाद की पत्नी हैं जो वहां गैस एजेंसी चलाते हैं. अध्यक्ष पद को लक्षित कर अंजू कुमारी गोंड गौनाहा प्रखंड के क्षेत्र संख्या 21 से उम्मीदवार होंगी, जहां जिला परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष शैलेन्द्र गढ़वाल की पत्नी प्रतिभा गढ़वाल मैदान में उतरेंगी. इससे स्पष्ट है कि अध्यक्ष पद के दो दावेदारों की किस्मत का फैसला उसी चुनाव में हो जायेगा.