जयप्रकाश विश्वविद्यालय : यह अंधेर नगरी… नहीं तो और क्या?
राजेश पाठक
28 जुलाई, 2021
छपरा. देशरत्न डा. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर 03 दिसम्बर 2020 को राजेन्द्र काॅलेज छपरा में आयोजित समारोह में कथित रूप से जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति डा. फारूक अली की मौजूदगी में परोसी गयी ‘अश्लीलता’ लोगों की यादों में अब भी बसी होगी. यह भी कि इस आरोप में 13 फरवरी 2021 को काॅलेज के तत्कालीन प्राचार्य डा. प्रमेन्द्र रंजन सिंह एवं 12 सहायक प्राध्यापकों को निलंबित कर दिया गया था. कार्रवाई कुलाधिपति कार्यालय के आदेश-निर्देश पर हुई थी. मामले में कुलाधिपति कार्यालय के जरूरत से ज्यादा तत्परता दिखाने की वजह क्या थी यह नहीं कहा जा सकता. कुलाधिपति कार्यालय ने विश्वविद्यालय की तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति के प्रतिवेदन का इंतजार न कर अपने स्तर से पटना विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डा. गिरीश कुमार चौधरी एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह की उच्चस्तरीय जांच समिति बना दी. उसी के प्रतिवेदन के आधार पर आनन-फानन में ‘गुनहगार’ प्राचार्य डा. प्रमेन्द्र रंजन सिंह के साथ काॅलेज के 12 सहायक प्राध्यापकों को निलंबित कर दिया गया. निलंबन की गाज विश्वविद्यालय की आंतरिक समिति के सदस्य विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार झा, कुलानुशासक डा. कपिलदेव सिंह एवं छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष डा. उदयशंकर ओझा पर भी गिरी. कुलाधिपति कार्यालय की इस कार्रवाई की चतुर्दिक आलोचना हुई. जयप्रकाश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के सचिव प्रो. रणजीत कुमार ने इसे अनुचित और अतार्किक कह अन्यायपूर्ण, एकपक्षीय एवं अवैध बताया.
यह खबर की पृष्ठभूमि है. इस संदर्भ में रोचक खबर यह है कि कुलाधिपति कार्यालय ने 04 जून 2021 को डा. प्रमेन्द्र रंजन सिंह एवं अन्य 12 सहायक प्राध्यापकों को निलंबन मुक्त तो कर दिया, पर विश्वविद्यालय की आंतरिक जांच समिति के निलंबित तीन सदस्यों को उसी स्थिति में छोड़ दिया. जयप्रकाश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के सचिव डा. रणजीत कुमार का कहना रहा कि यह नैसर्गिक न्याय के अनुरूप नहीं है. उनके मुताबिक बिहार में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा पहली बार हुआ कि आरोपित एवं जांचकर्ताओं को किसी मामले में समान सजा दी गयी और बाद में मुख्य आरोपितों को निलंबन मुक्त कर दिया गया. दूसरी तरफ जांच करने वाले वरिष्ठ प्राध्यापकों का निलंबन जारी रहा. निलंबन वापसी का निर्णय विश्वविद्यालय की अनुशासन समिति की बैठक में हुआ. उसकी सिफारिश कुलाधिपति कार्यालय से की गयी. अनुशासन समिति में कुलपति डा. फारुख अली, प्रतिकुलपति प्रो. (डा.) लक्ष्मी नारायण सिंह, कुलसचिव प्रो. आर पी बबलू के अलावा पूर्व विधान पार्षद डा. चन्द्रमा सिंह और जयप्रकाश महिला महाविद्यालय, छपरा की प्राचार्य डा. मधु प्रभा हैं. ऐसी चर्चा है कि इसमें प्रो. आर पी बबलू ने कुछ अधिक रुचि दिखायी. इसलिए कि विश्वविद्यालय की राजनीति में सभी निलंबित प्राध्यापक उनके ही गुट के माने जाते हैं. खबर यह भी है कि प्राध्यापकों की निलंबन मुक्ति के लिए छपरा के भाजपा सांसद पूर्व मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने भी पहल की थी. संभवतः कुलाधिपति कार्यालय को पत्र भी लिखा था. कुलाधिपति कार्यालय ने उस पर भी संज्ञान लिया.