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तबाही झेल रहे बारूदों से खेलने वाले

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प्रवीण कुमार सिन्हा
05 सितम्बर 2023

Samastipur : समस्तीपुर जिले के मुसरीघरारी थाना क्षेत्र में है सलेमपुर गांव. वीरेन्द्र झा उर्फ फुन्नू झा उसी गांव के थे. तीन भाइयों में सबसे छोटे थे. धीरेन्द्र झा उर्फ धीरू झा सबसे बड़े, शिवेन्द्र झा उर्फ टुन्ना झा मंझले हैं. इनके पिता स्वर्गीय रामकिशोर झा सहकारिता विभाग में काम करते थे. डाल्टनगंज सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक (Daltonganj Central Co-operative Bank) में कार्यपालक पदाधिकारी थे. शायद उनकी परवरिश में कहीं कोई खोट रह गयी कि एकाध को छोड़ सभी के पांव अपराध के दलदल में धंस गये. परिवार में एक-एक कर तीन जनों की हत्या हुई. दो सड़क दुर्घटना में मर गये. धीरेन्द्र झा उर्फ धीरू झा (Dhirendra Jha urf Dhiru Jha) का एक बेटा और परिवार की सभी बेटियां सम्मान की सामान्य जिन्दगी जी रही हैं. बारूदों से खेलने वाले शेष जनें तबाही झेल रहे हैं. धीरू झा और टुन्ना झा के पारिवारिक संबंध अच्छे हैं.

अलग है इनकी दुनिया
फुन्नू झा (Phunnu Jha) के परिवार की अपनी अलग दुनिया है. वर्तमान में ठिकाना कहां है, किसी को नहीं मालूम. ‘सामाजिक न्याय’ की राजनीति के दौर से पूर्व इलाके में धीरेन्द्र झा उर्फ धीरू झा की दबंगता थी. वह राजनीति में गहरी रुचि रखते थे. खूब सक्रियता भी थी. समस्तीपुर जिला जनता दल के युवा प्रकोष्ठ से जुड़ाव था. हालांकि, इस परिवार की निष्ठा पहले कांग्रेस (Congress) से जुड़ी थी. धीरू झा की विधायक बनने की उत्कट अभिलाषा थी. 1985 में जनता दल में संभावना नहीं बनने पर जेल से ही सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र (Sarairanjan Assembly Constituency) से निर्दलीय (Independent) लड़ गये. आशंका के अनुरूप हार हुई. उसी क्रम में इलाके के तब के कुख्यात अपराधी सरगना उपेन्द्र राय से खूनी अदावत हो गयी. नतीजतन 20 अक्तूबर 1990 को धीरेन्द्र झा उर्फ धीरू झा की हत्या कर दी गयी. उसमें सलेमपुर गांव के पूर्व मुखिया सीताराम झा की संलिप्तता के आरोप भी उछले.


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उपेन्द्र राय भी एक किरदार
कुछ को छोड़ मामले के तमाम आरोपित एक-एक कर मौत की नींद सुला दिये गये. उपेन्द्र राय और धोटिया नाम से चर्चित एक स्थानीय आरोपित की जान बच गयी. धोटिया के बारे में बताया जाता है कि वह नेपाल (Nepal) में जा बसा है. उसने वहां दुकान खोल रखी है. शायद नेपाल की नागरिकता भी ले रखी है. इधर, कुख्यात उपेन्द्र राय (Upendra Rai) ने अपराध जगत से करीब-करीब तौबा कर लिया है. इसकी खास वजह है. अप्रैल 2002 में कथित रूप से उसी की राह चल रहे उसके 23 वर्षीय पुत्र टेनी राय उर्फ टेनिया की पुलिस से मुठभेड़ (Encounter) में मौत हो गयी. बताया जाता है कि इस हादसे से उपेन्द्र राय इतना व्यथित हो उठा कि उसने अपराध जगत (Crime World) से नाता तोड़ लिया. उपेन्द्र राय का जुड़ाव कुख्यात सहनी गिरोह से था. कहा जाता है कि उपेन्द्र राय ने सहनी गिरोह के सरगना ब्रजेश सहनी को नशा खिला मौत की नींद सुला दी थी और उसके तमाम हथियार हड़प लिये थे. सहनी गिरोह का सरगना पहले सुरेश सहनी था. उसकी मौत के बाद कमान ब्रजेश सहनी के हाथ में आ गयी थी. हकीकत जो हो, अपराध जगत में ऐसी सामान्य धारणा है कि धोखे में हत्या कर देना उपेन्द्र राय की शगल रही है.

हत्या-प्रतिहत्या का दौर
धीरेन्द्र झा उर्फ धीरू झा की जब हत्या हुई थी तब फुन्नू झा सातनपुर चौक (Satanpur Chowk) पर रेडिमेड कपड़े की दुकान चलाते थे. बड़े भाई की दबंगता का बहुत कुछ असर उन पर भी था. भाई की हत्या के प्रतिशोध में उन्होंने भी हथियारों से रिश्ता जोड़ लिया. धीरू झा की हत्या के कुछ ही दिनों बाद माधोपुर लाइन होटल पर प्रतिद्वंद्वी उपेन्द्र राय खेमे के नौ लोगों की सामूहिक हत्या कर दी गयी. हमला इस संदेह में हुआ कि उपेन्द्र राय भी वहां मौजूद है. इससे पुलिस रिकार्ड (Police Record) में पहली बार नामजद अभियुक्त बने फुन्नू झा का अपराध जगत में सिक्का जम गया. प्रतिद्वंद्वी गिरोह कमजोर नहीं था. हथियारों की ताकत तो थी ही, तब की सत्ता और सियासत का संरक्षण भी हासिल था. माधोपुर लाइन होटल पर हुई नौ लोगों की हत्या का बदला माधोपुर (Madhopur) गांव में ब्राह्मण समाज के 11 लोगों की एक साथ हत्या कर चुकता किया गया. हमला सुदिष्ट मिश्र के घर पर हुआ था. उसके बाद दोनों गिरोहों की खूनी जंग ने जातिगत रंजिश (Caste Rivalry) का रूप धारण कर लिया. फिर घात-प्रतिघात और हत्या-प्रतिहत्या का लंबा दौर चला.

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