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बिलट गया पूरा का पूरा परिवार

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प्रवीण कुमार सिन्हा
06 सितम्बर 2023

Samastipur : माधोपुर लाइन होटल सामूहिक हत्याकांड के मामले में अन्य लोगों के अलावा फुन्नू झा (Phunnu Jha) की भी गिरफ्तारी हुई. जमानत पर जेल से निकलने के बाद वह ठीकेदारी के धंधे से जुड़ गये, मुख्य रूप से रेलवे की ठीकेदारी से. वह भी बिहार से बाहर वाराणसी (Varanasi) में. कुछ दिनों बाद उन्होंने समस्तीपुर में शराब के धंधे में अपनी टांग घुसेड़ दी और पथ निर्माण के ठीके में भी हस्तक्षेप (Interference) करने लग गये. राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्त्ति के लिए भाजपा से जुड़ गये. सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र (Sarairanjan Assembly Constituency) से उसके दावेदार भी हो गये. 2001 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वह उजियारपुर प्रखंड से जिला पार्षद निर्वाचित हुए. फुन्नू झा की हत्या के बाद एक बार उनकी पत्नी रानी झा भी जिला परिषद का चुनाव लड़ीं, हार गयी. फुन्नू झा के मंझले भाई शिवेन्द्र झा उर्फ टुन्ना झा बरबट्टा (Barbatta) ग्राम पंचायत के मुखिया चुने गये. बाद के दो चुनावों में उनकी पत्नी अनिला झा मुखिया निर्वाचित हुईं. 2016 के चुनाव में मुखिया का पद सुरक्षित हो गया. इस कारण वह उनके हाथ से फिसल गया. 2021 में भी वह चुनाव नहीं लड़ पायीं.

करतूत फुन्नू झा की, नाम उनका
2001 के चुनाव में बरबट्टा के एक मतदान केन्द्र पर प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सरगना उपेन्द्र राय (Upendra Rai) से खूनी भिड़ंत हो गयी थी. आरोपों के मुताबिक उपेन्द्र राय के गिरोह ने टुन्ना झा पर हमला किया था. जवाबी कार्रवाई में फुन्नू झा के शार्प शूटरों ने गोलीबारी और बमबारी कर इलाके को दहला प्रतिद्वंद्वी गुट को कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया था. उस मुठभेड़ (Encounter) में जनक रजक नाम के एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गयी थी. आरोप झा बंधुओं पर लगा था. टुन्ना झा (Tunna Jha) की गिरफ्तारी हुई और वह जेल गये. फुन्नू झा जमानत पर बाहर रहे. बाद में टुन्ना झा को भी जमानत मिल गयी. वैसे, टुन्ना झा का कहना रहा कि इस तरह के लंद-फंद से उन्हें कभी कोई मतलब नहीं रहा. अपराधकर्म से भी नहीं. करतूत फुन्नू झा की होती थी, नाम उनका भी जोड़ दिया जाता था.

अखिलेश राय की हत्या
धीरू झा व फुन्नू झा की दबंगता और प्रतिद्वंद्वी गिरोह से खूनी टकराव का यह शुरुआती दौर था. दूसरा दौर सरकारी निर्माण कार्यों में ठीकेदारी और शराब की बंदोबस्ती में वर्चस्व को लेकर शुरू हुआ. ठीकेदारी में रंगदारी के सवाल पर हत्या-दर-हत्या होने लगी. उसी क्रम में समस्तीपुर के कुख्यात सरगना मोहनपुर (Mohanpur) पंचायत के मुखिया अखिलेश राय (Akhilesh Rai) का काम तमाम कर दिया गया. 13 अप्रैल 2006 को पंचायत चुनाव के दौरान उन्हें गोलियों से भून दिया गया. उनके साथ जितवारपुर निजामत पंचायत के मुखिया रामउदेश राय भी मारे गये. आरोप कल्याणपुर के कुख्यात मुकेश कुमार सिंह उर्फ चुन्नू सिंह, उसके भाई गुड्डू सिंह महात्मा, वीरेन्द्र झा उर्फ फुन्नू झा और उनके भाई शिवेन्द्र झा उर्फ टुन्ना झा पर लगा. इस मामले में भी फुन्नू झा और टुन्ना झा जेल गये थे.

इस कारण टूट गये थे फुन्नू झा
बाहुबली मुखिया अवधेश राय की हत्या को उपेन्द्र राय से अदावत से भी जोड़ कर देखा गया था. कथित तौर पर उपेन्द्र राय को अखिलेश राय की भी ताकत मिली हुई थी. इसे झा बंधु खुद के लिए खतरा मान रहे थे. जमानत पर बाहर आने के बाद फुन्नू झा अपने धंधे में लग गये. लेकिन, पुराना राजनीतिक रुआब कायम नहीं हो पाया. बेटे और भतीजे की अलग-अलग सड़क दुर्घटना में मौत से भी वह टूट गये थे. इसी बीच 29 फरवरी 2012 को उनकी हत्या हो गयी. सातनपुर चौक के समीप पेट्रोल पंप (Petrol Pump) पर ए के 47 से उन्हें भून दिया गया.


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दो को छोड़ सभी बरी हो गये
मामले में दिनेश कुमार चौधरी उर्फ पप्पू चौधरी, रंजीत कुमार उर्फ डब्ल्यू झा, अंटू ईश्वर, बबलू सिंह दुधपीवा, मनोरंजन गिरि और रामाधार झा को आरोपित किया गया. डब्ल्यू झा और पप्पू चौधरी को छोड़ शेष आरोपितों ने अलग-अलग समय में अदालत में आत्मसमर्पण (Surrender) कर दिया. लंबी सुनवाई के बाद अदालत का फैसला भी आ गया. डब्ल्यू झा और पप्पू चौधरी को छोड़ सभी बरी हो गये. इसमें शिवेन्द्र झा उर्फ टुन्ना झा की गवाही की अहम भूमिका मानी गयी. इस रूप में कि घटना के सूचक के तौर पर मुख्य गवाह वही थे और शायद उन्होंने यह कह दिया कि घटना के वक्त वह वहां नहीं थे. बहरहाल, अदालत (Court) का फैसला तो आ गया, लेकिन समस्तीपुर पुलिस फुन्नू झा की हत्या की असली वजह क्या थी इसका खुलासा नहीं कर पायी.

शक आधारित विवाद
आरोपितों में बबलू सिंह दुधपीवा और रामाधार झा की फुन्नू झा से कोई निजी अदावत नहीं थी. अंटू ईश्वर को उन पर भरोसा नहीं था. जानकारों के मुताबिक एक बार अंटू ईश्वर की उजियारपुर (Ujiyarpur) थाना क्षेत्र के पतैली गांव में गिरफ्तारी फुन्नू झा के सलेमपुर स्थित घर से लौटने के क्रम में हुई थी. मुखबिरी का संदेह फुन्नू झा पर हुआ था. अंटू ईश्वर गिरोह को मुकेश कुमार सिंह उर्फ चुन्नू सिंह के दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के हाथों मारे जाने के पीछे भी उन्हीं का हाथ होने का शक था. वैसे, फुन्नू झा की हत्या का तात्कालिक कारण पप्पू चौधरी और डब्ल्यू झा से उनकी उजियारपुर थाना अन्तर्गत सातनपुर स्थित शराब दुकान की बंदोबस्ती को लेकर हुआ विवाद बताया गया था. कहते हैं कि उस विवाद में एक दूसरे को देख लेने की धमकी तक दी गयी थी.

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