टूट गयीं शवयात्रा की स्थापित परंपराएं
अशोक कुमार
04 अगस्त, 2021
ठाकुरगंज (किशनगंज). उस दिन सीमांचल, विशेषकर सीमावर्ती ठाकुरगंज उस मार्मिक दृश्य को देख-सुन भाव विह्वल हो उठा. दृश्य था इलाके के बहुचर्चित वयोवृद्ध राजनीतिज्ञ एवं समाजसेवी भाई ताराचंद धानुका की 75 वर्षीया धर्मपत्नी पुष्पा देवी उर्फ मिस्त्री की शवयात्रा का. यह देख लोग चकित रह गये कि उसमें सिर्फ पुरुष ही नहीं, सनातनी परंपराओं को तोड़ धानुका परिवार के साथ-साथ काफी संख्या में इलाकाई महिलाएं भी शामिल थीं. सबकी आंखें नम थीं. यह पुष्पा देवी और उनके पति ताराचंद धानुका के पुण्य कार्यों का प्रताप था.
वह खुद तो पोलियोग्रस्त थीं, लेकिन इस असहज व असामान्य स्थिति में भी समाजसेवा के क्षेत्र में उनका जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष योगदान रहा वही असंख्य नर-नारियों को उनकी शवयात्रा में खींच लाया. एक ओर वह अपने पति ताराचंद धानुका के व्यवसाय एवं राजनीति की पथप्रदर्शक थीं तो दूसरी ओर क्षेत्र के दबे-कुचले एवं जरूरतमंद लोगों की सहज-सरल मददगार भी थीं. उनके दरवाजे से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था. पुष्पा देवी 31 जुलाई 2021 को गोलोकवासी हो गयीं. दूसरे दिन 01 अगस्त 2021 को ठाकुरगंज में महानंदा के तट पर रामेश्वर अग्रवाल श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ. भारी संख्या में मौजूद लोगों ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि के साथ अंतिम विदाई दी. यह शमशान घाट उनके ससुर स्वर्गीय रामेश्वर अग्रवाल के नाम पर है और इसका वर्तमान स्वरूप ताराचंद धानुका की ही देन है. पुष्पा देवी के दो प्रतापी पुत्र हैं- उद्योगपति के रूप में स्थापित जगदीश चन्द्र धानुका और पूर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल. समाजसेवा के मामले में दोनों में माता और पिता के गुण भरे हैं. पुष्पा देवी की अंतिम यात्रा को मिले अपूर्व जनसम्मान से ताराचंद धानुका द्रवित हैं.