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शराब की माफियागिरी की भेंट चढ़ गये शशिनाथ झा

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अरविन्द कुमार झा

08 अगस्त, 2021

समस्तीपुर. सरैसा सन्न रह गया… मुसरीघरारी इलाके के चर्चित दबंग व्यक्ति शशिनाथ झा को अपने गांव में ही इस ढंग से मौत के मुंह में ढकेल दिया जायेगा इसकी तनिक भी आशंका किसी को नहीं थी. यही वजह रही कि 6 अगस्त 2021 को दिन-दहाड़े  भून दिये जाने पर सहसा किसी को विश्वास नहीं हुआ. लेकिन, हकीकत यही था. जिस बेखौफ अंदाज में दिन-दहाड़े इस वारदात को अंजाम दिया गया वह विधि-व्यवस्था को लेकर लगातार बदनामी झेल रही समस्तीपुर पुलिस के लिए वाकई नयी चुनौती है. शशिनाथ झा मुसरीघरारी थाना क्षेत्र की बखरी बुजुर्ग पंचायत के पूर्व मुखिया थे. लगातार तीन बार इस पंचायत का मुखिया रहे. अभी उनकी पत्नी माधुरी देवी मुखिया हैं. शशिनाथ झा उपमुखिया पद की जिम्मेवारी संभाल रहे थे. स्थानीय लोगों के मुताबिक उनकी निकटता सरायरंजन के जदयू विधायक शिक्षा मंत्री विजय कुमार चैधरी से थी. उनके विश्वासपात्रों में वह शामिल थे. शशिनाथ झा की हत्या क्यों हुई, इस रहस्य का खुलासा होना अभी शेष है. वैसे, उनके निकट के लोगों को संदेह है कि स्थानीय राजनीति में वर्चस्व के लिए इसे अंजाम दिया-दिलाया गया है. शशिनाथ झा की प्रतिद्वंद्विता पूर्व जिला पार्षद रंजीत राय से थी. एक समय में शशिनाथ झा समस्तीपुर के दिवंगत कुख्यात सरगना अखिलेश राय से जुड़े थे. अखिलेश राय की हत्या बखरी बुजुर्ग पंचायत क्षेत्र में ही हुई थी. शक की सूई शशिनाथ झा की तरफ भी घुमी थी. तब से उस परिवार से उनका दुराव था. वर्तमान में दिवंगत अखिलेश राय के छोटे भाई मिथिलेश राय से पूर्व जिला पार्षद रंजीत राय की नजदीकी है. इससे उनकी दबंगता थोड़ी बढ़ गयी है.

उस दिन शशिनाथ झा को गांव के ही एक साव परिवार के दरवाजे पर पंचायती के लिए बुलाया गया था. पंचायती खत्म होने के बाद वह अपने वाहन पर सवार हो रहे थे कि इसी बीच किसी ने पुकार लगायी और वह रुक गये. रुकते ही दो अपराधियों ने 9 एमएम पिस्टल से उन पर गोलियां झोंक दी. उन्हें सात गोलियां लगी और वहीं उनकी मृत्यु हो गयी. इस सिलसिले में अभी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है. इलाके में चर्चा है कि इसे बरबट्टा निवासी आपराधिक छवि के रंजीत राय के कथित गुर्गों ने अंजाम दिया. वजह प्रस्तावित मुसरीघरारी नगर पंचायत पर ‘आधिपत्य’ कायम करना है. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चैधरी के प्रयास से आसपास की तीन पंचायतों को मिलाकर मुसरीघरारी को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया है. शशिनाथ झा और रंजीत राय दोनों की नजर उसके अध्यक्ष पद पर थी. शशिनाथ झा का अस्तित्व बना रहता तो शायद रंजीत राय की यह मंशा अधूरी रह जाती. एक चर्चा शराब की माफियागिरी की भी हो रही है. सच या झूठ, लोग कहते हैं कि इस माफियागिरी से रंजीत राय के कारिंदों का गहरा जुड़ाव है. शशिनाथ झा बाधक बने हुए थे. घटना से एक दिन पूर्व भी अवैध शराब की बड़ी खेप आयी थी. शशिनाथ झा ने उसका विरोध किया था. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पंचायती में रास्ते का विवाद सलटाकर अपने वाहन में सवार हो रहे शशिनाथ झा को रूकने के लिए पुकार अरविन्द साव नामक व्यक्ति ने लगायी थी. अंधाधुंध फायरिंग करने वालों में एक की पहचान संभवतः उसी गांव के गरेड़ी बिरादरी के राजेश कुमार पाल के रूप में हुई है. ऐसा कहा जाता है कि इन सबका जुड़ाव रंजीत राय से है. चर्चा यह भी है कि हत्या की सुनियोजित साजिश के तहत रास्ते का विवाद सलटाने के लिए उन्हें बुलाया गया था. यह जो हुआ सो हुआ ही, सरैसा आगे की आशंकाओं को लेकर सिहर रहा है.

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