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राजद की राजनीति : हवा निकाल दी सुप्रीमो ने!

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विकास कुमार
09 जुलाई 2024

Patna : राजद में इन दिनों खूब भूमिकाबाजी हो रही है. नेतृत्व के स्तर से कहा जा रहा है कि हालिया संपन्न संसदीय चुनाव में जिन विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में महागठबंधन के उम्मीदवार को बढ़त नहीं मिली है उन्हें 2025 के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में उम्मीदवारी नहीं दी जायेगी. हालांकि, थोड़ी राहत भरी बात भी की जा रही है कि ऐसे विधायकों को सीधे तौर पर पतली गली नहीं धरा दी जायेगी. ऐसा करने से पहले तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) इसकी तफ्तीश करायेंगे कि महागठबंधन , विशेष कर राजद के उम्मीदवार को बढ़त विधायक और उनके समर्थकों की नाफरमानी की वजह से नहीं मिली या सामाजिक समीकरण (Social Equation) के बदल जाने के चलते ऐसा हुआ. उस तफ्तीश में जो धरायेंगे उन्हें विधानसभा के चुनाव से दूर कर दिया जायेगा.

174 क्षेत्रों में एनडीए को बढ़त
क्या होगा क्या नहीं , यह वक्त बतायेगा. फिलहाल यह जानते हैं कि संसदीय चुनाव (Parliamentary Elections) में महागठबंधन कितने विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़ गया और कितने में उसे‌ बढ़त मिली है. चुनाव परिणामों के विश्लेषण (Analysis) से जो तथ्य उभर कर सामने आये हैं उसके मुताबिक कुल 243 विधानसभा क्षेत्रों में से 174 में एनडीए को बढ़त मिली है, महागठबंधन वहां पिछड़ गया है. महागठबंधन को सिर्फ 69 क्षेत्रों में बढ़त मिली है. जहां तक राजद की बात है तो जिन 77 क्षेत्रों में उसके विधायक काबिज हैं उनमें 39 में उसे बढ़त मिली है और 38 में वह पिछड़ गया है. ऐसा माना जाता है कि तेजस्वी प्रसाद यादव उन्हीं 38 विधायकों को लक्षित कर तल्ख़ी भरी चेतावनी दुहरा – तिहरा रहे हैं.

यह भी कह दिया तेजस्वी ने
पहले चुनाव समीक्षा बैठक की बात. उसमें तेजस्वी प्रसाद यादव का कहना रहा कि तीन माह के अंदर चिह्नित विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में हालात नहीं बदले तो उन्हें हाशिये पर डाल दूसरे को अवसर उपलब्ध करा दिया जायेगा. इतना ही नहीं, बगैर सोचे – समझे सख्त लहजे में यह भी कह दिया कि इस मामले में वह राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की भी ‘पैरवी’ नहीं सुनेंगे. उनके ऐसा कहने का मतलब क्या निकलता है? यही न कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) की अपनी ही पार्टी में हैसियत अब निर्णय करने की नहीं, ‘पैरवी करने’ तक में सिमट गयी है? 06 जुलाई 2024 को राजद के स्थापना दिवस (Foundation day) समारोह में भी तेजस्वी प्रसाद यादव ने लगभग उन्हीं‌ बातों को दुहराया.

भाषा बदल गयी
पर, भाषा थोड़ी बदली – बदली सी महसूस हुई. उम्मीदवारी से वंचित रखने की बात पार्टी छोड़ गये वैसे विधायकों और नेताओं पर आ गयी जो राजद में वापसी की जुगत भिड़ा रहे हैं. लोग जानना जरूर चाहेंगे कि तेजस्वी प्रसाद यादव की भाषा आखिर इस रूप में बदल क्यों गयी? दरअसल हुआ यह कि समीक्षा बैठक के बाद और स्थापना दिवस से पहले राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने ऐसा कुछ कर दिया कि तेजस्वी प्रसाद यादव की चेतावनी की हवा निकल गयी. कैसे, यह जानने के लिए पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में चलना पड़ेगा.

रीतलाल यादव के लिए भी…
मीसा भारती (Misa Bharti) वहां से राजद की उम्मीदवार थीं. तीसरे प्रयास में उनकी जीत तो हो गयी, पर दानापुर विधानसभा क्षेत्र में वह पिछड़ गयीं. दानापुर से रीतलाल यादव (Ritlal Yadav) राजद के विधायक हैं. पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के सिर्फ इसी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव (Ramkripal Yadav) को बढत मिली. ‌ इस दृष्टि से तेजस्वी प्रसाद यादव की चेतावनी रीतलाल यादव के लिए भी मानी जा रही थी. उन पर संदेह इसलिए भी था कि पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवारी की चाहत वह भी रखते थे. तेजस्वी प्रसाद यादव की चेतावनी के मद्देनजर चर्चा उठी कि रीतलाल यादव राजद छोड़ भाजपा (BJP) में शामिल होने जा रहे हैं.

इतना‌ गु्स्सा क्यों?
जानकारों के मुताबिक बात लालू प्रसाद तक पहुंचीं. कहते हैं कि‌ राबड़ी देवी (Rabri Devi) के आवास पर बुला‌ उन्होंने पीठ‌ सहला दी, रीतलाल यादव गदगद हो गये. विश्लेषकों का मानना है कि लालू प्रसाद की राजनीति का जो स्वभाव है उसमें मुंह फुलाने से पहले तमाम चिह्नित विधायकों को एक -एक कर वह इसी तरह ‘अभयदान’ दे देंगे. वैसी स्थिति में तेजस्वी प्रसाद यादव की चेतावनी का क्या होगा, इसको बड़ी सरलता से समझा जा सकता है. यहां गौर करने वाली बात है कि चुनावों में असहयोग और भितरघात के संदेहों में घिरे विधायकों और नेताओं को ऐसी चेतावनी पहले भी मिलती रही है. कार्रवाई भी होती रही है. इस बार इस मसले पर राजद (RJD) नेतृत्व कुछ अधिक गुस्से में दिख रहा है. आखिर, ऐसा क्यों ?

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