यही है वह स्थान जहां शिव ने अपनी जटाओं से निकाल दिया था चंद्रमा को!
सत्येन्द्र मिश्र
13 जुलाई 2024
Pahalgam : बाबा बर्फानी… अमरनाथ धाम में स्थापित हिमलिंग... 12 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ के बीच बनी गुफा के अंदर प्राकृतिक शिवलिंग (Natural Shivalinga). सनातन धर्म में मान्यता है कि बाबा बर्फानी के दर्शन मात्र से तमाम पाप मिट जाते हैं. पर, पवित्र अमरनाथ गुफा तक पहुंच दर्शन कर पाना काफी कठिन है. यात्रा की अवधि निर्धारित रहती है. इस साल 29 जून को शुरुआत हुई है. 19 अगस्त 2024 को श्रावणी पूर्णिमा यानी छड़ी मुबारक के दिन इस यात्रा काअंत हो जायेगा. हिन्दू धर्मग्रंथों में अमरनाथ धाम (Amarnath Dham) का महात्म्य इस रूप में वर्णित है कि भगवान शिव (Lord Shiva) ने माता पार्वती को अपने अमर होने का रहस्य इसी गुप्त स्थान (Secret Place) पर बताया था.
शुरुआत पहलगाम से
गुप्त स्थान की खोज के लिए निकलने से पहले उन्होंने नंदी को अलग कर दिया था. जिस जगह पर उसे छोड़ दिया था वही पहलगाम है, जो प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. तकरीबन 50 किलोमीटर लम्बी अमरनाथ यात्रा की शुरुआत इसी पहलगाम से होती है. वैसे, एक रास्ता बालटाल से भी है, पर पौराणिक मार्ग (Legendary Route) इसे ही माना जाता है. नंदी को छोड़ इसी मार्ग में कुछ दूर आगे बढ़ने पर भगवान शिव ने अपनी जटाओं से चंद्रमा को अलग कर दिया था. माथे पर लगे चंदन और भभूत भी उतार दिये थे. धर्मशास्त्र कहता है कि भगवान शिव ने जिस जगह पर चन्द्रमा को अपनी जटा से अलग किया था वह चंदनबाड़ी (Chandanwadi) है.
पैदल यात्रा तीन दिनों की
चंदनबाड़ी अमरनाथ गुफा मंदिर के लिए पैदल यात्रा का प्रस्थान स्थल है. पहलगाम से चंदनवाड़ी तक सड़क मार्ग है. उससे आगे नहीं. पैसे वालों के लिए हेलीकॉप्टर (Helicopter) की सुविधा है. सामान्य यात्रियों के लिए सिर्फ पैदल रास्ता ही अमरनाथ गुफा तक जाता है, जो बेहद दुर्गम (Inaccessible) है. करीब 32 किलोमीटर की इस यात्रा के कष्ट को कम करने के लिए बहुत से लोग खच्चर, घोड़ा या पालकी का सहारा लेते हैं. पैदल यात्रा (Walking tour) तीन दिनों में पूरी होती है. खच्चर, घोड़ा या पालकी की यात्रा दो दिनों में. चंदनवाड़ी से चार किलोमीटर आगे लगभग एक किलोमीटर की चढ़ाई पर है पिस्सू टॉप. वहां तीर्थ यात्रियों की चाल पिस्सू की तरह हो जाती है इसलिए उसे पिस्सू टॉप (PissuTop) कहा जाता है. हालांकि, अब उस चढ़ाई को सुगम बना दिया गया है.
महगणेश टाप
पिस्सू टॉप से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर शेषनाग झील है. ऐसी मान्यता है कि अमरनाथ यात्रा के समय भगवान शिव ने इसी झील में अपने गले का सांप उतार दिया था. शेषनाग झील से महागणेश टॉप के लिए लगभग छह किलोमीटर की चढ़ाई शुरू होती है. पहलगाम के रास्ते अमरनाथ यात्रा का यह सबसे ऊँचा स्थान है. समुद्र तल (Sea Level) से लगभग 14 हजार 200 फीट ऊपर है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को यहां बैठा दिया था, इसलिए इस जगह को महागणेश टॉप कहा जाता है.
प्रथम अमरनाथ यात्रा
महागणेश टाप (Mahaganesh Top) के बाद पंचतरणी के लिए उतार शुरू हो जाता है. यह सीधा रास्ता साढ़े आठ किलोमीटर का है. पंचतरणी में भैरव पर्वत के चरणों में पांच नदियां बहती हैं जिन्हें भगवान शिव की जटाओं से निकली मानी जाती हैं. पंचतरणी से बाबा बर्फानी की गुफा के लिए चढ़ाई शुरू होती है, जो साढ़े छह किलोमीटर लम्बी है. पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए बर्फ के उस पुल से होकर गुजरना पड़ता है जिसके नीचे अमरावती नदी (Amravati River) बहती है. धर्मशास्त्र में कहा गया है कि प्रथम अमरनाथ यात्रा महर्षि भृगु (Maharishi Bhrigu) ने की थी.
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