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झटका पर झटका : लालू प्रसाद बेबस !

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विष्णुकांत मिश्र

24 अगस्त 2024

Patna : बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक (Shyam Rajak) ने राजद से नाता तोड़ लिया है. वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे. इस दृष्टि से ऐसा माना जा सकता है कि उनके अलग होने से राजद को बहुत बड़ा झटका लगा है. भारी नुकसान पहुंच सकता है. दावे-प्रतिदावे जो हों, धरातलीय सच यह है कि इससे उसकी सेहत पर थोड़ा भी असर पड़ने वाला नहीं है. इसलिए कि दंभ जो भरते हों, विश्लेषकों की समझ में श्याम रजक जैसे नेता राजद (RJD) की राजनीतिक बगिया में ‘शो प्लांट’ से ज्यादा महत्व नहीं रखते हैं. राजद से अलग होने के कारणों के जिक्र के क्रम में उन्होंने भी ऐसा ही कुछ कहा है.

तब सहानुभूति मिल जाती

उनके त्यागपत्र पर तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi Prasad Yadav) की टिप्पणी से भी इसकी पुष्टि होती है. बिल्कुल निश्चिन्त भाव में उन्होंने कहा- ‘चले गये हैं, तो चले गये हैं.’ तात्पर्य यह कि श्याम रजक के जाने-आने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. राजनीति ने भी इसे ‘नेताओं का मतलब तो आना और जाना है’ के अंदाज में देखा और समझा. आम प्रतिक्रिया आयी कि श्याम रजक को राजद से नाता उसी वक्त तोड़ लेना चाहिये था जब तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने सार्वजनिक तौर पर उनकी इज्जत उतार दी थी. उस समय अलग होते तो जनता की कुछ सहानुभूति मिल जाती. इस समय अलग होने को लोग स्वार्थ के नजरिये से देख रहे हैं.

पक्की हो गयी उम्मीदवारी

जो हो, स्वभाविक तौर पर श्याम रजक अब जदयू (JDU) के मंच पर बंशी बजायेंगे. कब तक, यह वक्त बतायेगा. फिलहाल उनके इस कदम से और किसी को कोई नफा-नुकसान हुआ हो या नहीं, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और राजद के उपाध्यक्ष उदयनारायण चौधरी (Udaynarayan Choudhary) की बांछें जरूर खिल गयी हैं. इमामगंज के उपचुनाव में राजद की उम्मीदवारी करीब-करीब पक्की हो गयी है. रोशन भूइयां (Roshan Bhuiyan) और समता देवी (Samta Devi) की दावेदारी से उनकी संभावनाओं पर ग्रहण लगता नजर आने लगा था. श्याम रजक प्रकरण से वह छंट जा सकता है. नहीं छंटा, उम्मीदवारी रोशन भूइयां या समता देवी को मिल गयी तो फिर श्याम रजक की तरह उदयनारायण चौधरी के कदम भी जदयू की ओर बढ़ जा सकते हैं.

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