तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

अशोक चौधरी : पदोन्नति या कुछ और… तैयारी विदाई की तो नहीं !

शेयर करें:


विकास कुमार

30 सितम्बर 2024

Patna : जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहने के लिए अपने मानस पुत्र अशोक चौधरी को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दे दल की राजनीति में उनका कद बढ़ा दिया है. अशोक चौधरी के छायावादी ट्वीट – ‘बढ़ी उम्र में इन्हें छोड़ देना चाहिए’ को लेकर पार्टी के अंदर उठे सियासी तूफान के बीच नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात के बाद‌ उन पर गाज गिरने के कयास लगाये जा रहे थे. इस ट्वीट की व्याख्या नीतीश कुमार की बढ़ी उम्र से जोड़ कर की जाने लगी थी. कार्रवाई की आशंका इसी को लेकर जतायी जा रही थी. लेकिन, इसके उलट अशोक चौधरी (Ashok Chaudhary) को जदयू के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर बैठा दिया गया.

न आभार जता पाये और न कोस पाये
सामान्य समझ में राष्ट्रीय महासचिव के पद को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस पद के मिलने को पार्टी में कद बढ़ने के रूप में देखा और समझा जाता है. परन्तु, अशोक चौधरी के मामले में ऐसा ही है, यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता. उन्हें यह पद क्यों दिया गया है, पद मिलने के बाद की उनकी भाव भंगिमा और रुंआसे आभार से बखूबी समझा जा सकता है. ‌बेचारे न ढंग से आभार जता पा रहे थे और न कोस पा रहे थे. ‌‌ ऐसा क्यों, इसे इस रूप में सहजता से समझा जा सकता है.


ये भी पढें :
यौन उत्पीड़न : होश उड़ा देंगे दरिंदगी के ये आंकड़े
जदयू : इसलिए उठ गया था गुस्से का गुबार?
आस्था पर आ गया तिरुमाला लड्डू का विवाद !


तब सात महासचिव थे
गौर कीजिये, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुक्ति और सांसद संजय झा (Sanjay Jha) की कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर ताजपोशी के बाद जदयू के राष्ट्रीय पदधारियों की घोषणा हुई तब कुल जमा सात राष्ट्रीय महासचिव थे. आफाक अहमद खान, कहकशां परवीन, ई. सुनील, भगवान सिंह कुशवाहा, रामसेवक सिंह, राजसिंह मान तथा कपिल पाटिल. प्रशासनिक सेवा (Administrative Services) के अवकाश प्राप्त अधिकारी मनीष वर्मा (Manish Verma) का जदयू से जुड़ाव हुआ नहीं कि राष्ट्रीय महासचिव के पद पर बैठा दिया गया.

हैसियत क्या होगी?
‌इसी तरह राजद (RJD) से मुंह फुला कर जदयू में आये पूर्व मंत्री श्याम रजक (Shyam Rajak) का स्वागत भी राष्ट्रीय महासचिव का पद देकर हुआ. ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी जदयू के दसवें नेता हैं जिन्हें अप्रत्याशित ढंग से राष्ट्रीय महासचिव का पद दिया गया है. अब समझिये, राष्ट्रीय महासचिवों की इस भीड़ में अशोक चौधरी की हैसियत क्या होगी? वैसे भी महासचिव के महत्व को वह भलीभांति जानते और समझते हैं.

यह है मकसद
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि जदयू (JDU) में पार्टी संगठन के पदधारी को सरकार में मंत्री का पद देने की परिपाटी नहीं रही है. अशोक चौधरी के मामले में नियम बदल जाये तो वह अलग बात होगी. वैसे, विश्लेषकों की समझ है कि मंत्रिमंडल से बाहर करने के मकसद से ही उन्हें राष्ट्रीय महासचिव का पद दिया गया है.‌ नीतीश कुमार की राजनीतिक इलाज (Political Treatment) की जो शैली है उसमें मंत्रिमंडल (Cabinet) के आसन्न विस्तार में उनका पत्ता साफ हो जाये, तो वह हैरान करने वाली कोई बात नहीं होगी.

#Tapmanlive

अपनी राय दें