सीतामढ़ी-शिवहर : रंग चढ़ने लगा विधान परिषद चुनाव का
मदन मोहन ठाकुर
13 अगस्त, 2021
सीतामढ़ी. बिहार विधान परिषद का स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्रों का चुनाव अभी अनिश्चितताओं में लिपटा है. समझा जाता है कि पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद ही यह हो पायेगा. इस साल के अंत में या नये साल की शुरुआत में इसके होने की संभावना दिखती है. यानी फिलहाल तकरीबन चार माह यह दूर है. इसके बावजूद चुनाव में कूदने की चाहत रखने वाले लोग अभी से ही उम्मीदवारी के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं. सीतमढ़ी-शिवहर स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र में अपेक्षाकृत कुछ अधिक गहमागहमी है. 2015 के चुनाव में दिलीप राय की जीत हुई थी जो उस वक्त महागठबंधन के राजद समर्थित उम्मीदवार थे. उस महागठबंधन में तब जद(यू) भी था. देवेन्द्र साह राजग के भाजपा समर्थित उम्मीदवार थे. दिलीप राय के सामने टिक नहीं पाये थे. वर्तमान में दिलीप राय जद(यू) के विधायक हैं. 2020 के चुनाव में उन्होंने महागठबंधन के राजद के बहुचर्चित उम्मीदवार पूर्व विधायक अबु दोजाना को आसानी से निशाना बना लिया था. इस चुनाव में महागठबंधन और राजग में यह सीट किस घटक दल के हिस्से में जायेगी यह अभी अस्पष्ट है. वैसे, दिलीप राय सीटिंग विधान पार्षद रहते हुए जद(यू) में शामिल हुए थे. इस आधार पर राजग में इस सीट पर जद(यू) का दावा बनता है. बशर्ते कि चुनाव के वक्त तक जद(यू) इस गठबंधन में बना रहे. इस सीट के जद(यू) के कोटे में रहने की स्थिति में उम्मीदवार चयन के मामले में विधायक दिलीप राय की पसंद को तरजीह मिल सकती है, ऐसा विश्लेषकों का मानना है. उम्मीदवारी के लिए प्रदेश जद(यू) पंचायती राज प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष संजय सिंह प्रयासरत हैं. माना जाता है कि उनके इस प्रयास को विधायक दिलीप राय का संपूर्ण समर्थन प्राप्त है. संजय सिंह विधायक दिलीप राय के चुनावों के रणनीतिकारों में शामिल रहे हैं. विधान परिषद चुनाव में जद(यू) की उम्मीदवारी मिली तो इसका लाभ उन्हें मिल सकता है. उनकी संभावना इस वजह से कुछ चमकदार दिखती है कि जद(यू) के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के पटना में हुए अपूर्व स्वागत में विधायक दिलीप राय के साथ उनकी भी उल्लेखनीय सहभागिता रही.
2015 में भाजपा समर्थित उम्मीदवार रहे देवेन्द्र साह वर्तमान में जद(यू) में हैं. उनकी सिमटी-सिकुड़ी संभावना के मद्देनजर भाजपा में पैठ बनाने के लिए जूझ रहे पूर्व सांसद सीताराम यादव अपने पूर्व विधान पार्षद पुत्र दिलीप कुमार यादव या जिला परिषद की कभी अध्यक्ष रहीं पुत्रवधू स्वर्ण किरण को राजग की उम्मीदवारी दिलाने के लिए प्रयासरत बताये जाते हैं. उनका प्रयास सफल हो पाता है या नहीं, यह फिलहाल नहीं कहा जा सकता. वैसे, हाल ही में पटना स्थित अपने आवास पर भाजपा के कई मंत्रियों एवं विधायकों को विशेष दावत देकर उन्होंने सीतमढ़ी की राजनीति में नयी हलचल जरूर पैदा कर दी है. राजग में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी इस पर दावा जता सकती है. 2019 के संसदीय चुनाव में महागठबंधन में मधुबनी से इस पार्टी के उम्मीदवार रहे बद्री पूर्वे की नजर इस पर जमी है. लेकिन, ज्यादा संभावना जद(यू) को ही अवसर उपलब्ध होने की है. महागठबंधन में राजद से बाजपट्टी प्रखंड के उपप्रमुख सुधीर कुंवर ने मजबूत दावेदारी पेश कर रखी है. उनकी पत्नी मधुप्रिया सीतामढ़ी सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक की अध्यक्ष हैं. डुमरा मुखिया संघ के अध्यक्ष कबू खिरहर भी दावेदार हैं. सीतामढ़ी जिले में राजद के दो विधायक हैं. उम्मीदवार चयन में इन दोनों की सहमति को महत्व मिल सकता है. इन विधायकों के मन में क्या है यह नहीं कहा जा सकता, दिखावे के तौर पर दोनों फिलहाल सुधीर कुंवर की पीठ जरूर ठोंक रहे हैं. एक चर्चा विधान परिषद के चुनाव में पूर्व विधायक अबु दोजाना के भी कूदने की है. इन सब में अभी सुधीर कुंवर की चुनावी सक्रियता अपेक्षाकृत अधिक दिख रही है.
इस बीच लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद चिराग पासवान की सीतामढ़ी एवं शिवहर में भी ‘आशीर्वाद यात्रा’ हुई. इस क्रम में उन्होंने रून्नी सैदपुर में भारी भीड़ के बीच डा. श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. मानिक चौक पर पूर्व विधायक विवेकानंद गिरी की प्रतिमा पर भी. यह प्रतिमा विवेकानंद गिरी के नाती आलोक कुमार चैधरी उर्फ पिंटू चैधरी ने स्थापित करायी है. चिराग पासवान ने शिवहर में लोजपा के समर्पित कार्यकर्ता रहे संजय पांडेय की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया. उनकी वहां की आशीर्वाद यात्रा को यादगार बनाने में राजेश चैधरी, पिंटू चैधरी, विजय कुमार पांडेय आदि की अहम भूमिका रही. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि विधान परिषद के चुनाव में इन तीनों में से किसी एक इच्छुक को लोजपा की उम्मीदवारी मिल सकती है.