चिराग पासवान…इसलिए खा जाते हैं गच्चा!
विकास कुमार
08 अक्तूबर 2024
Patna : ऐसा कहा जाता है कि घमंड में हस्तियां और तूफान में कश्तियां अक्सर डूब जाती हैं. प्रसंगवश ऐसी बातों की चर्चा लोग अक्सर किया करते हैं. किसी न किसी प्रसंग में केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) के कानों में भी ये बातें पहुंची ही होंगी. लगता है उस पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया है. दिया होता, तो हालात कुछ और होते. निश्चय ही उन्हें यह नागवार गुजरेगा, पर सामान्य समझ में राजनीति (Politics) के लिए वर्जित अकड़ और अहंकार देर सवेर उनकी कुंडली बिगाड़ दे, तो वह हैरान करने वाली कोई बात नहीं होगी. अतिमहत्वाकांक्षा भी एक बड़ा कारक बन जा सकती है. खैर, यह उनका और उनकी पार्टी का मामला है. हित-अहित देखने-सुनने और समझने का एकाधिकार उन्हें प्राप्त है.
विचार कीजिये इस पर
तब भी शुभचिंतक चाहते हैं कि चिराग पासवान एक बार ठंढे दिमाग से विचार करें कि परिवार और पार्टी में विभाजन किन कारणों से हुआ? 2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा (LJP) की दुर्गति की मुख्य वजह क्या रही? दिल्ली (Delhi) का 12 जनपथ आवास (12 Janpath Housing) हाथ से क्यों निकल गया? आजकल एक मिनट में केन्द्रीय मंत्री (Union Minister) का पद छोड़ देने का वह जो दंभ भर रहे हैं उसका अंतिम परिणाम क्या सामने आ सकता है? केन्द्रीय मंत्री का पद रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने भी छोड़ दिया था. अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की सरकार गिर गयी थी. बाद में क्या हुआ? उसी भाजपा (BJP) की शरण में उन्हें जाना पड़ गया.
तो फिर क्या करेंगे?
चिराग पासवान केन्द्रीय मंत्री का पद छोड़ एनडीए (NDA) से अलग हो जाते हैं तो फिर क्या करेंगे? ‘एकला चलो’ का दुष्परिणाम 2020 में भुगत चुके हैं. महागठबंधन (Mahagathbandhan) की ओर पांव बढ़ाते हैं तो वहां क्या हासिल होगा? एनडीए में जो मिलेगा, उससे चार-पांच अधिक, और क्या? विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान जिद की राजनीति करते हैं. कुछ-कुछ दबाव की भी. इसी में गच्चा खा जा रहे हैं. राजनीति में न जिद चलती है और न अकड़!
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