दोहरे हत्याकांड : संदिग्ध दिखी थी दरभंगा पुलिस की भूमिका
विकास कुमार
14 दिसम्बर 2024
Patna : दरभंगा (Darbhanga) के नौ साल पहले के दोहरे हत्याकांड (Double Murder) की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है. कारण यह कि पटना उच्च न्यायालय ने इस मामले में निचली अदालत से उम्रकैद की सजा पाये सभी अभियुक्तों को ठोस साक्ष्य के अभाव के आधार पर निर्दोष बता बरी कर दिया. इससे पुलिस के अनुसंधान (Police Investigation) पर प्रश्नचिन्ह लग गया है. पुलिस की कहानी कुछ यूं थी. सड़क निर्माण एजेंसी सी एण्ड सी/ बी एस सी ज्वाइंट वेंचर कंपनी के दो इंजीनियरों की हत्या रंगदारी के लिए हुई थी.
75 करोड़ रुपये की रंगदारी
एसएच-88 (SH-88) बना रही सड़क निर्माण एजेंसी (Road Construction Agency) से लगभग दो माह से रंगदारी (Rangdari) मांगी जा रही थी. परियोजना राशि 750 करोड़ रुपये का 10 प्रतिशत- यानी 75 करोड़ रुपये की रंगदारी. पुलिस की समझ बनी कि रंगदारी के रूप में इतनी बड़ी रकम की मांग किसी छोटेे-मोटे गिरोह की नहीं हो सकती थी. इसके मद्देनजर यह प्रायः स्पष्ट हो गया था कि संतोष झा (Santosh Jha) गिरोह से जुड़े अपराधी रंगदारी मांग रहे थे. तब मुकेश पाठक (Mukesh Pathak) उसी गिरोह में था. गिरोह का खौफनाक इतिहास रहा है.
गंभीरता से नहीं लिया
इस घटना से 23 दिन पूर्व 3 दिसम्बर 2015 को शिवहर में हुई एक निजी बिजली कंपनी के सुपरवाइजर की हत्या में भी इसी गिरोह का नाम उछला था. लोगों को हैरानी हुई कि इसके बाद भी दरभंगा पुलिस (Darbhanga Police) ने रंगदारी की मांग और गिरोह की धमकी को गंभीरता से नहीं लिया था. इस वजह से उसकी भूमिका पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया था हालांकि, सड़क निर्माण एजेंसी की गुहार पर उसके बेस कैंप (Base Camp) पर गृह रक्षा वाहिनी के उन छह जवानों की तैनाती कर दी गयी थी जो बेनीपुर (Banipur) के पुलिस उपाधीक्षक की सुरक्षा में लगे थे.
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जवान हटे और हत्या हुई…
किन, कुछ ही दिनों बाद उन जवानों को वहां से हटा कर फिर से पुलिस उपाधीक्षक की सुरक्षा में लगा दिया गया. 25 दिसम्बर 2015 को उन जवानों को बेस कैंप से हटाया गया और उसके दूसरे दिन ही 26 दिसम्बर 2015 को निर्माण एजेंसी के दो इंजीनियरों का सीना एके-56 (AK-56) से छेद दिया गया. घटना शिवराम चौक पर मध्य विद्यालय के समीप हुई जो बहेड़ी थाना (Baheri Thana) क्षेत्र में है. कंपनी का बेस कैंप बहेड़ा (Bahera) थाना क्षेत्र में था. तब ऐसा कहा गया था कि बाइक सवार बदमाश घटना को अंजाम देने के बाद वहां पर्चा फेंक मुकेश पाठक और विकास झा जिंदाबाद के नारे लगाते आराम से निकल गये.
ठोस साक्ष्य नहीं मिला
मारे गये इंजीनियरों में एक मुकेश कुमार सिंह बेगूसराय (Begusarai) जिले के शाम्हो-सरलाही गांव के थे तो दूसरे ब्रजेश कुमार सिंह रोहतास (Rohtash) जिले के डेहरी थाना क्षेत्र के कमरनगंज के. हत्याकांड में संतोष झा गिरोह की संलिप्तता की बात सामने आयी. पुलिस का अनुसंधान उसी पर केन्द्रित रहा. निचली अदालत ने उसी आधार पर अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा दी. परन्तु, पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) को अनुसंधान में त्रुटि दिखी और ठोस साक्ष्य नहीं मिला. सभी अभियुक्तों को दोषमुक्त कर दिया.
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