तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

विक्रमशिला विश्वविद्यालय : उद्धार की गुहार, कुछ तो कीजिये सरकार!

शेयर करें:

अतीश दीपंकर
17 दिसम्बर 2024

Bhagalpur : किसी ने कहा है- सब्र के कुछ घूंट इतने कड़वे होते हैं कि जिन्दगी की मिठास छीन लेते हैं. खंडहरों में तब्दील अतिप्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय (Vikramshila University) के उद्धार के मामले में भागलपुर को बहुत कुछ ऐसा ही अहसास हो रहा है. पीड़ा इस वजह से कुछ अधिक है कि इसी तरह का खंडहरनुमा नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) परिवर्तित आधुनिकतम‌ स्वरूप में मुस्कुराने लगा है और दूसरी तरफ दीर्घकाल से दुर्भाग्य का आंसू बहा रहे विक्रमशिला विश्वविद्यालय की आंखें उद्धार का बाट जोहते-जोहते पथरा गयी हैं. हैरान करने वाली बात यह कि इसके बाद भी सक्षम प्राधिकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है.

विडम्बना ही कहा जायेगा इसे
नालंदा विश्वविद्यालय का चौमुखी विकास और विक्रमशिला विश्वविद्यालय के साथ सौतेला व्यवहार,‌ भागलपुर के लोगों को साल रहा है. कुछ अधिक इसलिए कि आठवीं शताब्दी में पाल राजवंश (Pal Rajvansh) के द्वारा कहलगांव (Kahalgaon) के अंतिचक में स्थापित विक्रमशिला विश्वविद्यालय से ही कभी नालंदा विश्वविद्यालय का संचालन हुआ करता था. इसे विडम्बना ही कहा जायेगा कि उद्धार के मामले में वही पिछड़ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने हाल ही में नालंदा में केंद्रीय विश्वविद्यालय (Central University) के नये परिसर का उद्घाटन और प्राचीन विश्वविद्यालय के खंडहर का निरीक्षण किया.

इसलिए रुका है पुनरुद्धार
यह देख-सुन विक्रमशिला विश्वविद्यालय का खंडहर कुढ़ कर रह गया. वैसे, और करता भी क्या? यहां यह जानने की जरूरत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में नालंदा विश्वविद्यालय के साथ विक्रमशिला विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार करने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप नालंदा विश्वविद्यालय तैयार हो गया, लेकिन राज्य सरकार और भागलपुर जिला प्रशासन (Bhagalpur District Administration) की उदासीनता, थोड़ा तल्ख शब्दों में कहें, तो अकर्मण्यता के कारण विक्रमशिला विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार रुका पड़ा है.

नहीं पड़ा कोई असर
भागलपुर के सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों, इतिहासकारों, पत्रकारों और अन्य प्रबुद्धजनों के अभियान का भी कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है. हाल ही में जिले के बुद्धिजीवीयों ने कहलगांव के अंतिचक में सत्याग्रह किया. तब भी किसी का ध्यान उस ओर नहीं गया.

#Tapmanlive

अपनी राय दें