उतरेगा फिर चुनाव मैदान में महाचन्द्र का भतीजा
राजेश कुमार
16 अगस्त 2021
बाढ़. अथमलगोला प्रखंड की पंचायत स्तर की राजनीति में अरविन्द कुमार एक बड़ा नाम है. इस रूप में कि वह कल्याणपुर पंचायत के मुखिया हैं. अथमलगोला प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष भी हैं. सामाजिक कार्यों में खूब रूचि रखते हैं. 2016 के पंचायत चुनाव में इनका मुकाबला पूर्व विधान पार्षद महाचंद्र प्रसाद सिंह के भतीजे परमानन्द सिंह से हुआ था. परमानन्द सिंह उनके मुकाबले टिक नहीं पाये थे. उससे पूर्व के चुनाव में अरविन्द कुमार की पत्नी प्रमिला देवी की जीत हुई थी.
इस तरह विगत दस वर्षों से कल्याणपुर पंचायत की सत्ता प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष अरविन्द कुमार के हाथ में है. इस बार परमानंद सिंह पंचायत चुनाव से अलग रह सकते हैं. तब भी महाचन्द्र प्रसाद सिंह के परिवार से किसी न किसी के चुनावी अखाड़े में उतरने की संभावना जतायी जा रही है. चर्चा उनके भतीजे मधुकांत सिंह की हो रही है, जो परमानंद सिंह के छोटे भाई हैं. उधर, उन्हीं के ब्रह्मर्षि समाज से युवा चेहरा राजकिशोर सिंह भी ताल ठोकने को तैयार हैं. पिछले चुनाव में भी वह उम्मीदवार थे. परमानन्द सिंह की राह का रोड़ा बन गये थे. पंचायत वासियों की मानें तो महाचन्द्र प्रसाद सिंह ने भी भतीजे परमानंद सिंह को पंचायत की सत्ता पर काबिज कराने में अपनी ताकत खपायी थी. परमानन्द सिंह के नाक रगड़ने के बावजूद पंचायत की जनता ने उन्हें सिरे से खारिज कर दिया. महाचन्द्र प्रसाद सिंह की मेहनत पर भी पानी फिर गया. जीत अरविन्द कुमार की हुई.
इस बार अरविन्द कुमार पिछले दस वर्षों के दौरान पंचायत में हुए विकास के कार्यों को लेकर चुनाव में उतरेंगे. उनकी मानें तो इस बार भी उन्हें जनता का भरपूर समर्थन मिलेगा. 10 वर्षों में उन्होंने कोई ऐसा अनुचित काम नहीं किया जिससे जनता उनसे दूर भागे. हर तबके के लोगों को विकास की मुख्यधारा से हर संभव जोड़ने का प्रयास किया. मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना का क्रियान्वयन भी सरकार के गाइडलाइन के अनुसार हुआ है. उनके मुताबिक उनकी ताकत पंचायत की जनता है और वह ईमानदारी पूर्वक चुनाव लड़ते हैं. उधर, महाचन्द्र प्रसाद सिंह के भतीजे मधुकांत सिंह की भी चुनाव की तैयारी चल रही है. भीतर-भीतर रणनीति बनायी जा रही है. हवा के रुख को अपनी ओर मोड़ने की कोशिश की जा रही है. लेकिन, राजकिशोर सिंह का चुनाव मैदान में उतरना उनके लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है. ऐसी चर्चा पंचायत के गांवों में पसरी हुई है. चुनाव का परिदृश्य जो कुछ उभर कर आये, जनता से जुड़ाव, उसकी सहानुभूति और पंचायत में हुए विकास के कार्यों को आधार बनाकर अरविन्द कुमार इस बार हैट्रिक जमाने की तैयारी में हैं.