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दरभंगा का खिरोई तटबंध : तब कुछ बचेंगे तो कुछ डूब भी जायेंगे!

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विजयशंकर पांडेय
29 मार्च 2025
Darbhanga: मुख्यमंत्री (Chief Minister) नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की ‘प्रगति यात्रा’ (Progress journey) के फलाफल के तौर पर दरभंगा जिलावासियों को गुच्छे के रूप में सौगात मिली. जन सामान्य को इससे हर्ष हुआ. पर, एक तबके में विषाद भी छा गया. कारण कि उस सौगात में विनाश की एक आशंका भी छिपी है. वह आशंका खिरोई तटबंध (khiroi Tatabandh) से जुड़ी है. ‘प्रगति यात्रा’ के क्रम में जिन योजनाओं को स्वीकृति मिली है उनमें खिरोई नदी के पश्चिमी तटबंध पर सड़क निर्माण की योजना भी शामिल है. इस तटबंध पर यह सड़क राष्ट्रीय उच्चपथ संख्या 57 के शोभन (Shobhan) से राजकीय उच्चपथ संख्या 52 के अगरोपट्टी चौक मकिया (Agropatti Chowk Makia) तक बनेगी. इसके लिए राज्य मंत्रिपरिषद ने 216 करोड़ 23 लाख 03 हजार रुपये की स्वीकृति प्रदान कर दी है.

बढ़ जायेगा खतरा
इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि सड़क निर्माण से पश्चिमी तटबंध निःसंदेह मजबूत हो जायेगा. इस तटबंध से सटे दो दर्जन से अधिक गांव बाढ़ के मामले में और अधिक सुरक्षित हो जायेंगे. लेकिन, इससे पूर्वी तटबंध से सटे तकरीबन दो दर्जन वैसे गांवों पर बाढ़ का खतरा बड़ा आकार ग्रहण कर लेगा जो प्रायः हर साल इससे जूझते हैं. लगता है, इस योजना का प्राक्कलन तैयार करने वाले अभियंताओं (Engineers) और उसे स्वीकृति देने वाले अधिकारियों (officials) के ध्यान में यह बात नहीं आयी. या फिर राजनीतिक (political) दबाव में उन सबने इसे नजरंदाज कर दिया.

इस रूप में आती है बाढ़
शाहपुर, शिवनगर, मस्सा-धनकौल, तरियानी, पनिहारा, रमौल ढ़ढ़िया, कमतौल, तथैला, कुम्हरौली, मिर्जापुर, अहियारी गोट, निमरौली, उसड़ा, धरमपुर, निकासी, मधुपुर, तिरसठ कन्नौज, हरिहरपुर, माधोपट्टी, करजापट्टी, मखनाही, शिशो, मब्बी आदि गांव पूर्वी तटबंध से सटे हैं. इन गांवों में बाढ़ इस रूप में आती है. खिरोई नदी से लगभग चार किलोमीटर के फासले पर पूर्वी तटबंध के पूरब भाग से कमला (धौंस) नदी गुजरती है. दरभंगा इंजीनियरिंग कालेज से होते हुए एकमी से आगे वह बागमती में मिल जाती है. इसी तरह खिरोई नदी भी मब्बी से पश्चिम शोभन, एकमी होते हुए बागमती (करेह) में विलीन हो जाती है.

ग्रामीणों की है यह मांग
कमला (Kamla) और खिरोई नदी (Khiroi River) के बीच बसैठा (Basaitha) से लेकर एकमी (Ekami) तक बसे गांवों को प्रायः हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ जाती है. इसके मद्देनजर खिरोई नदी के पश्चिमी तटबंध पर शोभन से मकिया तक सड़क निर्माण के निर्णय ने इन गांवों के किसानों एवं अन्य तमाम नागरिकों को भी गहरी चिंता में डाल दिया है. वहां के वाशिंदों का कहना है कि सरकार या तो पश्चिमी और पूर्वी दोनों तटबंधों पर सड़क का निर्माण कराये या फिर पश्चिमी तटबंध की जगह पूर्वी तटबंध को तरजीह दे. इन गांवों के लोगों ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के समक्ष रखने का मन बना रखा है. वहां न्याय नहीं मिला तब पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) की शरण में जा सकते हैं. खिरोई नदी के पश्चिमी तटबंध पर सड़क निर्माण के लिए पहल जाले के भाजपा (BJP) विधायक जीवेश कुमार मिश्र (Jeevesh Kumar Mishra) ने की थी. हालांकि, उनकी पहल में पहले दोनों तटबंधों पर सड़क निर्माण का मुद्दा था.10 अगस्त 2017 को उन्होंने बिहार विधानसभा (Assembly) में गैर सरकारी संकल्प के रूप में इस आशय का प्रस्ताव रखा था.


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नहीं दिया ध्यान मंत्रियों ने
कारण जो रहा हो, बाद में जीवेश कुमार मिश्र की यह पहल पश्चिमी तटबंध पर सड़क निर्माण में सिमट गयी. 27 मार्च 2018 को तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव (Nandkishore Yadav) को उन्होंने इस संदर्भ में पत्र लिखा था. उस पत्र में सिर्फ पश्चिमी तटबंध पर शोभन से मकिया तक सड़क निर्माण की चर्चा थी. पथ निर्माण मंत्री ने उस पर गंभीरता नहीं दिखायी तब जीवेश कुमार मिश्र ने 21 जून 2024 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर इसकी आवश्यकता पर जोर दिया था. फिर 17 अक्तूबर 2024 को पथ निर्माण विभाग संभालने वाले उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) को भी पत्र लिखा था. कहते हैं कि विजय कुमार सिन्हा ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. इन तमाम पत्रों में खिरोई नदी के सिर्फ पश्चिमी तटबंध पर सड़क निर्माण कराने की मांग की गयी थी.

तब डूब जायेंगे चार दर्जन गांव
जीवेश कुमार मिश्र इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं. इलाकाई भौगोलिक स्थिति से पूरी तरह वाकिफ हैं. यह सामान्य समझ की बात है कि खिरोई नदी के पश्चिमी तटबंध पर सड़क बन जाती है तब नदी में जब कभी पानी का दबाव बढ़ेगा तो वह पूर्वी तटबंध को क्षतिग्रस्त कर देगा. खामियाजा उस क्षेत्र के किसानों को उठाना पड़ जायेगा. भगवान न करे कभी ऐसा हो, तब भी मकिया से लेकर शोभन के बीच कभी पूर्वी तटबंध टूट गया, तो जीवेश कुमार मिश्र के विधानसभा क्षेत्र जाले (Jale) के करीब15 गांवों के साथ-साथ केवटी (kevati) विधानसभा क्षेत्र के करीब 15 और दरभंगा शहर (darbhanga city) विधानसभा क्षेत्र के भी लगभग उतने ही गांव बाढ़ से प्रभावित हो जायेंगे. यानी तकरीबन चार दर्जन गांव जलप्लावित हो जायेंगे.

पड़ जायेगा चुनाव पर असर
जीवेश कुमार मिश्र तो हैं ही, केवटी से डा. मुरारी मोहन झा (Dr. Murari Mohan Jha) और दरभंगा शहर से संजय सरावगी (Sanjay Saravagi) विधायक हैं. तीनों भाजपा के हैं. क्षेत्रीय लोग हैरान हैं कि डा. मुरारी मोहन झा और संजय सरावगी इस मुद्दे पर मौन क्यों हैं? जीवेश कुमार मिश्र अब नीतीश कुमार की सरकार में फिर से मंत्री का पद पा गये हैं. संबद्ध क्षेत्र के लोगों को आशंका है कि इसके लिए वह नये सिरे से जोर लगा सकते हैं. उधर, संजय सरावगी पहली बार मंत्री बने हैं. उनके क्षेत्र के आशंकित लोगों को उम्मीद है कि अब इस मुद्दे पर उनका मौन टूट सकता है. विश्लेषकों का मानना है कि इन विधायकों की खामोशी नहीं टूटी और उक्त गांवों के वाशिंदों को आशंकित बाढ़ के भय से मुक्त नहीं किया गया, तो 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सेहत पर इसका गहरा असर पड़ जा सकता है.

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