वास्तु शास्त्र : कार्यसिद्धि के लिए रखें घर में कामधेनु शंख
तापमान लाइव डेस्क
21 अगस्त 2021
समुद्र मंथन के समय 14 अनमोल रत्नों की प्राप्ति हुई थी. आठवें रत्न के रूप में शंख सामने आया था. प्राकृतिक रूप से शंख मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं – वामवर्ती, दक्षिणवर्ती तथा गणेश शंख या मध्यवर्ती. इसी के अंतर्गत गणेश शंख, पांचजन्य, देवदत्त, महालक्ष्मी शंख, पौण्ड्र, कौरी शंख, हीरा शंख, मोती शंख, अनंतविजय शंख, मणि पुष्पक, सुघोषमणि शंख, वीणा शंख, अन्नपूर्णा शंख, ऐरावत शंख, विष्णु शंख, गरूड़ शंख और कामधेनु शंख है. इनमें कामधेनु शंख बहुत दुर्लभ है. ये शंख भी प्रमुख रूप से दो प्रकार के होते हैं. गोमुखी शंख और कामधेनु शंख. इस शंख के कामधेनु गाय की मुखाकृति के होने से इसे गोमुखी कामधेनु शंख के नाम से जाना जाता है. कामधेनु शंख की घर में पूजा-अर्चना से तर्कशक्ति प्रबल होती है. चित्त में प्रसन्नता रहती है. ऐसा कहा जाता है कि महर्षि पुलस्त्य और ऋषि वशिष्ठ ने लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस शंख का उपयोग किया था. इसके प्रयोग से धन और समृद्धि स्थायी रूप से बढ़ायी जा सकती है. इसके घर में रहने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कलियुग में मानव की मनोकामना पूत्र्ति का यह एकमात्र साधन है. कामधेनु शंख का मंत्र इस प्रकार है: ऊँ नमः गोमुखी कामधेनु शंखाय मम् सर्व कार्य सिद्धि कुरु-कुरु नमः.