कांग्रेस: उम्मीदवार तो मिल जायेंगे, वोट?
विशेष प्रतिनिधि
22अप्रैल 2023
Patna: बिहार के संदर्भ में कांग्रेेस (Congress) की यह बहुत ही रोचक कथा है. लोकसभा (Loksabha)की सदस्यता गंवाने से पहले राहुल गांधी (Rahul gandhi) देश को जोड़ रहे थे. इधर, बिहार(Bihar) के कांग्रेसी मिस्त्री राज्य को जोड़ने लग गये. दोनों ओर से यात्राएं चलीं. लोगबाग पूछते रहे कि इन यात्राओं से कांग्रेस को क्या मिलेगा. देश में कांग्रेस को क्या मिलेगा, यह 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम से पता चलेगा. बिहार में क्या मिलेगा, यह जानने के लिए किसी चुनाव के इंतजार की जरूरत नहीं थी. राज्य में चल रही कांग्रेसियों की यात्रा से ही उसकी झलक दिख रही थी.मोटे तौर पर यह अनुमान लगाया गया कि यात्रा से कांग्रेस को राज्य की सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों के लिए एक से अधिक और किसी-किसी क्षेत्र में तो तीन-चार या उससे भी अधिक उम्मीदवार मिल जायेगा. इसके अलावा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी सभी सीटों पर उम्मीदवार(Candidate) मिल जायेगा. कोई पूछ सकता है कि इससे वोट कितना मिलेगा?
पूरा जोश भर गया
इस सवाल का सही जवाब चुनाव परिणाम आने से पहले कोई नहीं दे सकता है. फिलहाल तो कांग्रेस का असली संकट उम्मीदवार ही है. उम्मीदवार मिल जाये तो वोटर (Voter) भी मिल ही जायेंगे. ऐसी शुभकामना प्रकट की जा सकती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उम्मीदवार से अधिक
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सीटें मिल गयीं. उम्मीदवार बाहर से लेना पड़ा. शत्रुघ्न सिन्हा(shatrughan Sinha), उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह (Uday Singh Urf Pappu Singh) और नीलम देवी (Neelam Devi) जैसे बाहरी उम्मीदवारों के जोर पर किसी तरह चुनाव लड़ने और लड़ कर हारने की रस्म पूरी हो पायी. स्थानीय क्षेत्र के विधान परिषद के चुनाव में उम्मीदवार नहीं मिले. पार्टी कम सीटों पर लड़ी. उसमें भी बाहरी उम्मीदवारों का सहारा लेना पड़ा. जोड़ो यात्रा में शामिल नेता भले ही वोट को लेकर कम उत्साहित रहे, उम्मीदवार को लेकर उनके मन में पूरा जोश भर गया. क्योंकि पूरी यात्रा में इंतजाम का जिम्मा स्थानीय लोगों ने ही संभाल रखा था.
सोचिये, क्या गुजरता होगा!
सुबह के अल्पाहार से लेकर दोपहर और रात के भोजन तक का इंतजाम स्थानीय लोगों पर था. ये लोग बढ़-चढ़ कर इंतजाम कर रहे थे. दरी, जाजिम, कुर्सी, कनात और गद्दा-तकिया तक का इंतजाम इन्हीं के भरोसे था. स्थानीय नेताओं को कान में बताया जा रहा था-लगायेगा तभी पायेगा. जितना ज्यादा लगायेगा, उतना ज्यादा पायेगा. खतरा दूसरा भी पैदा हो गया था. कहीं उम्मीदवारों की भीड़ को देखकर पार्टी अकेले चुनाव मैदान में जाने का फैसला न कर ले. वैस, नयी मुसीबतों में घिरने के बाद राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ऐसा जोखिम शायद ही उठा पायेंगे. अब सोचिये, उन स्थानीय नेताओं पर क्या गुजर रहा होगा, जिन्होंने इसी उम्मीद में यात्रा का सारा इंतजाम किया था!
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