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बिहार प्रदेश भाजपा : हाथ न मलना पड़ जाये तब

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संजय वर्मा
21 अप्रैल, 2023

PATNA : नेतृत्व परिवर्तन के बाद सांगठनिक अनिश्चितताओं में झूल रही बिहार प्रदेश भाजपा (BJP) के अंदर कई तरह के सवाल उमड़-घुमड़ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल यह कि नये प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) का सांगठनिक ढांचा कैसा होगा? प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री भीखूभाई दलसानिया (Bhikhubhai Dalsania) और प्रदेश भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े (Vinod Tawde) उसका कौन सा स्वरूप गढ़ेंगे? ऐसे सवाल इसलिए भी कि इसी सांगठनिक ढांचे (प्रदेश कमेटी) को 2024 के संसदीय चुनाव में अपना रण कौशल बनाना और जौहर दिखाना है. इस परिप्रेक्ष्य में आम भाजपा कार्यकर्त्ताओं में यह जानने की भी उत्सुकता है कि नयी प्रदेश कमेटी का गठन परंपरा के अनुरूप होगा या स्वरूप उससे कुछ भिन्न रहेगा. पदधारियों के चयन का आधार बड़े नेताओं की चाटुकारिता, क्षेत्र विशेष को प्रमुखता और जातीयता होगा या फिर नयी ऊर्जा, नये जज्बा का समावेश होगा?

पहली परख होगी
विश्लेषकों का मानना है कि नयी कमेटी में गणेश परिक्रमा करने वालों को जगह मिलेगी, मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) और समस्तीपुर (Samastipur) जैसे कुछ चुनिंदा जिलों का प्रभुत्व बना रहेगा, कुछ खास जातियों के नेताओं को तवज्जो मिलेगी, पूर्व की कमेटियों में लगातार काबिज रहे नेताओं को ही जगह दी जायेगी तब नेतृत्व परिवर्तन का कोई विशेष मतलब नहीं रह जायेगा. 2024 के संसदीय चुनाव में उसका लाभ शायद ही मिल पायेगा. भाजपा कार्यकर्त्ताओं की निगाहें भीखूभाई दलसानिया और विनोद तावड़े पर जमीं हैं. नागेन्द्रनाथ त्रिपाठी (Nagendranath Tripathi) के बाद प्रदेश संगठन मंत्री बने भीखूभाई दलसानिया के बिहार में सांगठनिक अनुभव की यह पहली परख होगी. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश कमेटी में उनकी कसौटी पर खरे उतरे संगठनकर्त्ताओं को अधिक तरजीह मिलेगी या फिर केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Ray) की ही मर्जी चल जायेगी. भाजपा कार्यकर्त्ताओं के एक तबके का मानना है कि फिर नित्यानंद राय की पसंद को ही महत्व मिला तो वह भाजपा के लिए घातक होगा.

इससे बचना होगा
यहां गौर करने वाली बात है कि अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में नित्यानंद राय ने समस्तीपुर जिले को अधिक महत्व और प्रतिनिधित्व दिया. बाद के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल (Dr. Sanjay Jaiswal) को भी वैसा करने को बाध्य कर दिया. नित्यानंद राय ने समस्तीपुर के सुशील चौधरी (Sushil Chaudhary) को प्रदेश महामंत्री बनाया था. डा. संजय जायसवाल ने उन्हें उपाध्यक्ष के रूप में जगह दे दी. इसी तरह नित्यानंद राय के समय समस्तीपुर के देवेश कुमार (Devesh Kumar) प्रदेश उपाध्यक्ष थे. डा. संजय जायसवाल के कार्यकाल में वह महामंत्री बना दिये गये. डा. संजय जायसवाल ने मुजफ्फरपुर जिले से ही तीन उपाध्यक्ष बना दिये थे. क्षेत्रीय सांसद अजय निषाद (Ajay Nishad), राजेश वर्मा (Rajesh Verma) और बेबी कुमारी (Bebi Kumari) को. बाद में बेबी कुमारी को महामंत्री का पद मिल गया. दूसरी तरफ राज्य के कई जिलों का प्रतिनिधित्व नहीं के बराबर था. भाजपा कार्यकर्त्ताओं की आम भावना है कि सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) को इससे बचना होगा.

जगह नहीं मिल पाती
अगुलियां इस पर भी उठ रही हैं कि कुछ चर्चित चेहरे प्रदेश कमेटी में बार-बार जगह पा जा रहे हैं. राधामोहन शर्मा, मिथिलेश तिवारी, सुशील चौधरी, प्रेमरंजन पटेल, राजेश वर्मा, देवेश कुमार, राजेन्द्र सिंह, प्रमोद चन्द्रवंशी आदि. नित्यानंद राय के कार्यकाल में प्रदेश महासचिव रहे राधा मोहन शर्मा, राजेन्द्र सिंह और प्रमोद चन्द्रवंशी को सांसद डा. संजय जायसवाल ने उपाध्यक्ष के रूप में कमेटी में बना रखा. मिथिलेश तिवारी उपाध्यक्ष के पद पर जमे रहे. इससे कार्यकर्त्ताओं में गलत संदेश गया. वैसे पूर्व का अनुभव बताता है कि जिन नेताओं के नाम संभावित प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चर्चा में रहता है उनमें से कुछ को महासचिव या उपाध्यक्ष का पद दे दिया जाता है. इधर के दिनों में भाजपा में ब्रह्मर्षि, क्षत्रिय, ब्राह्मण के साथ-साथ दलित एवं पिछड़ी-अतिपिछड़ी जातियों में अनेक नये क्षमतावान चेहरे उभरकर सामने आये हैं. इसे पार्टी का दुर्भाग्य ही माना जायेगा कि उन्हें संगठन में जगह नहीं मिल पाती है.

इनका है वर्चस्व
ब्रह्मर्षि समाज से आमतौर पर घुमा-फिराकर राधामोहन शर्मा (Radhamohn Sharma), सुशील चौधरी (Sushil Chaudhary) और देवेश कुमार (Devesh Kumar) ही पद पा रहे हैं. दूसरे किसी प्रतिभावान युवा नेता को अवसर नहीं उपलब्ध हो रहा है. क्षत्रिय समाज से राजेन्द्र सिंह (Rajendra Singh), कायस्थ समाज से राजेश वर्मा (Rajesh Verma) और ब्राह्मण समाज से मिथिलेश तिवारी (Mithilesh Tiwari) कथित रूप से वर्चस्व बनाये हुए हैं. भाजपा में इन दिनों कायस्थ समाज के नाम पर चार नेताओं की कुछ अधिक चलती है. नितिन नवीन (Nitin Navin) विधायक हैं. पूर्ववर्त्ती राजग सरकार में मंत्री थे. वह भी पथ निर्माण जैसे बड़े विभाग के. विधान पार्षद संजय मयूख (Sanjy Mayukh) भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रभारी हैं. नित्यानंद राय के समय प्रदेश कमेटी में सचिव रहे ऋतुराज सिन्हा (Rituraj Sinha) वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री हैं. वह पूर्व सांसद आर के सिन्हा के पुत्र हैं. चौथे प्रभावशाली नेता मुजफ्फरपुर निवासी राजेश वर्मा हैं. इन चारो ने पार्टी में अपनी मौजूदगी इस कदर प्रभावशाली बना रखी है कि किसी पांचवें के लिए कोई जगह ही नहीं निकल पा रही है. सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) की प्रदेश कमेटी में कोई नया चेहरा चमकने लग जाये तो वह अचरज की बात नहीं होगी. हालांकि, वैसा कोई दमदार चेहरा दिख नहीं रहा है.

उपेक्षित है बेगूसराय
प्रदेश भाजपा में जब सुशील कुमार मोदी, नंदकिशोर यादव और राधामोहन सिंह का सिक्का चलता था तब सुधीर शर्मा और राजेन्द्र गुप्ता पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) की पसंद हुआ करते थे. पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष लालबाबू प्रसाद को राधामोहन सिंह (Radhamohan Singh) का विश्वास पात्र माना जाता था. मुजफ्फरपुर के सुरेश शर्मा (Suresh Sharma) को राधामोहन सिंह ने और रवीन्द्र प्रसाद सिंह को डा. सी पी ठाकुर (Dr. C.P. Thakur) ने अपने कार्यकाल में प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया था. उसके बाद से मुजफ्फरपुर के ब्रह्मर्षि समाज के नेताओं का प्रदेश कमेटी में प्रतिनिधित्व नहीं रहता है. डा. सीपी ठाकुर के कार्यकाल में ही बेगूसराय (Begusarai) के पूर्व विधान पार्षद रजनीश कुमार (Rajnish Kumar) को प्रदेश कमेटी में जगह मिली थी. बाद में वह सुशील कुमार मोदी के विश्वसनीय हो गये. इसका लाभ उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री के पद के रूप में मिला. विधान पार्षद बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ. नित्यानंद राय के कार्यकाल में बेगूसराय के रामलखन सिंह (Ramlakhan Singh) को प्रदेश मंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ. परन्तु, डा. संजय जायसवाल की प्रदेश कमेटी में बेगूसराय को जगह नहीं मिली.


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चले गये नेपथ्य में
सुशील कुमार मोदी ने जहानाबाद (Jehanabad) के अनिल शर्मा (Anil Sharma) को प्रदेश कमेटी में शामिल कराया था. बाद के दिनों में जब प्रदेश कमेटी में जगह नहीं मिली तब उनका समायोजन राष्ट्रीय मंत्री के रूप में करा दिया था. प्रदेश भाजपा में कभी सुधीर शर्मा (Sudhir Sharma) और धीरेन्द्र सिंह (Dhirendra Singh) का काफी महत्व था. इन दोनों चेहरों की बदौलत जहानाबाद, अरवल और औरंगाबाद में पार्टी संगठन मजबूत था. सुधीर शर्मा प्रदेश भाजपा में उपाध्यक्ष और महामंत्री रहे हैं. धीरेन्द्र सिंह प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष थे. आजकल धीरेन्द्र सिंह हाशिये पर हैं तो सुधीर शर्मा भाजपा से अलग अपनी जमीन बना रहे हैं. सुधीर शर्मा को नित्यानंद राय के कार्यकाल में किनारे धरा दिया गया था. उनकी जगह जहानाबाद के राधामोहन शर्मा को अवसर दिया गया. सुशील कुमार मोदी और राधामोहन सिंह के करीबी माने जाने वाले सीतामढ़ी (Sitamarhi) के रत्नेश सिंह (Ratnesh Singh) प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री रहे हैं. दो बार प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी. इन दिनों वह नेपथ्य में संभावना संवार रहे हैं.

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